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कोई मोदी जी को बता दो, कि अल्हागंज भी विकास का इन्‍तज़ार कर रहा है

अल्‍हागंज 20 जुलाई 2018  (अमित वाजपेयी). इसे अल्‍हागंज का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इसके विकास के लिए योजनाएं तो बनी लेकिन धरातल पर नहीं आ सकी। यहां का रोडवेज बस स्टेशन, गल्ला मंडी, ब्लाक और मैलानी फर्रुखाबाद रेलवे लाइन का विस्तार जैसी योजनाएं पूरी हो जाती तो अल्लाहगंज क्षेत्र का विकास जिले में मालूम पड़ता, क्षेत्रीय जनता तथा काश्तकारों का आर्थिक स्थर भी ऊंचा उठता। लेकिन अफसोस कि जनप्रतिनिधियों ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। 



आज ये क्षेत्र पुकार पुकार कर कह रहा है कि इस दुर्दशा को प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के संज्ञान में कोई पहुंचा दे, हो सकता है कि इससे क्षेत्र के विकास को गति मिली जाए। रोडवेज बस स्टेशन के निर्माण के लिए शासन की तरफ से 2 बीघा जमीन का प्रबंध किया था, निर्माण के नाम पर इसकी बाउंड्री वाल बनाई गई तथा इसके परिसर में कांप्लेक्स बनवाने के नाम पर आधा दर्जन दुकानें बनवा दी गईं, जो कि अब जीर्ण क्षीण हो गई हैं। यहां जयपुर, ग्वालियर, हरिद्वार, देहरादून, कानपुर, आगरा, मेरठ, बेवर, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, बरेली व दिल्ली जैसे महानगरों के डिपो की बसें आती हैं। लेकिन बस स्टेशन के अंदर नहीं जाती, वहां यात्रियों के बैठने के लिए बेंच टीन शेड तथा  शीतल पेय जल की व्यवस्था नहीं है, शौचालय टूटा है, लेकिन कैंटीन जरूर खुलवा दी गई है जहां हैंड पंप के पास गंदगी फैली रहती है। सवाल ये है कि इस स्थिति के चलते दूर दराज से आने वाले यात्री कैसे और कहां बैठे।

सरकारी गल्ला मंडी का निर्माण भी अटका है -
यहां की गल्ला मंडी से प्रतिवर्ष लगभग 2 करोड रुपए का मंडी शुल्क राजस्व  के रूप में शासन को प्राप्त होता है। पिछले 25 वर्षों से गल्ला मंडी का निर्माण स्वीकृत है, लेकिन इसका निर्माण अफसरशाही के चक्कर में उलझा  हुआ है। मंडी निर्माण के वास्ते आधा दर्जन लोग भूमि बाजार के भाव देने के लिए तैयार हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों को आर्थिक लाभ ना होने की वजह से इसकी फाइल दर-दर भटक रही है। वर्तमान में इसे मंडी उप स्थल कहां जाता है। नगर पंचायत कार्यालय के सामने  सडक की फुटपाथ पर  क्षेत्रीय कास्तकार अपना अनाज बेचने के लिए लाता है। उसके बैठने तथा अनाज को रखने  के लिए कोई इंतजाम नहीं है, सर्दी गर्मी बरसात में कास्तकार तथा व्यापारी काफी परेशान रहते हैं। वर्षा होने पर तमाम अनाज भीग कर नाले में बह जाता है। जिससे काश्तकार तथा व्यापारी को काफी आर्थिक नुकसान होता है। यहां के दो व्यापारियों को सर्वाधिक मंडी टैक्स अदा  करने पर  सम्मानित किया जा चुका है। मंडी सचिव जलालाबाद कहते हैं कि अगर भूमि का बंदोबस्त हो जाए तो मंडी का निर्माण शुरू हो जाएगा लेकिन जो लोग इसके लिए भूमि देने को तैयार हैं उनके सामने कई तरह के व्‍यवधान अधिकारियों के द्वारा डाले जा रहे हैं। इस स्थिति के चलते मंडी का निर्माण अधर में पडा है। 

ब्लाक के निर्माण में भी रुकावट -
यहां खंड विकास (ब्लाक) आफिस भी शासन के द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है, सपा सरकार के दौरान नवसृजित कलान तहसील बनाने की कार्रवाई के साथ साथ अल्लाहगंज को खंड विकास का दर्जा देने के लिए कार्यवाही शुरु की गई थी। इसके सर्वे के लिए पैनल भी बनाया गया था, ब्लॉक कार्यालय के लिए भूमि चयन के लिए ग्राम चिलौआ के पास बंजर भूमि के सर्वे के लिए तिथि  भी निर्धारित हो चुकी थी। ब्लॉक जलालाबाद तथा मिर्जापुर के कुछ ग्राम पंचायतों को मिलाकर ब्लॉक बनाने की योजना थी।  लेकिन  यह योजना भी अफसरशाही के चक्कर में रुकी पड़ी हुई है। 

मैलानी-फरूखाबाद रेलवे लाइन का विस्तार भी अधर में -
केंद्र सरकार मैलानी- फर्रुखाबाद  रेलवे लाइन विस्तार परियोजना शुरु कर देती तो पूरे शाहजहांपुर जिले का विकास प्रदेश के मानचित्र पर साफ नजर आता। अल्लाहगंज प्रमुख आलू उत्पादन क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान रखता है लेकिन इसके परिवहन की उचित व्यवस्था ना होने की वजह से काश्तकार काफी परेशान रहता है। आम यात्रियों को लंबी यात्रा की कोई सुविधा नहीं है। यह क्षेत्र धान, गेहूं, मक्का के उत्पादन में भी अपना स्थान रखता है, लेकिन इसके लदान स्टोर  तथा परिवहन के साधन सीमित होने की वजह से काश्तकार और व्यापारी काफी परेशान रहता है। अगर यह परियोजना पूरी कर दी जाए तो आपातकाल के दौरान देश की सीमा पर फतेहगढ़ रेजीमेंट के सैनिक कुछ ही समय में पहुंचाये जा सकते हैं, यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है इसके लिए मैलानी फर्रुखाबाद रेलवे लाइन का विस्तार होना अति आवश्यक है।


और अंत में कस्बे की बाजार से साहबगंज तक की मुख्य सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है, इसके निर्माण में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को कोई रुचि नहीं है। जनप्रतिनिधि भी खामोश हैं। पर मोदी जी याद रखियेगा कि मतदाता कुछ भूलता नहीं है और वो मौके की तलाश में है।