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जानलेवा हुयी अवैध रिफिलिंग, लीकेज सिलेंडर फटने से लगी भीषण आग

कानपुर 13 दिसम्‍बर 2017 (सूरज वर्मा). एलपीजी की अवैध रिफिलिंग कितनी खतरनाक हो सकती है इसका प्रत्‍यक्ष उदाहरण बीती रात जिले के उत्तरीपुरा इलाके में देखने को मिला जहां एक मकान में गैस सिलेंडर के फटने से भीषण आग लग गई और इलाके में अफरा-तफरी मच गई. हादसे के कारण घर का सारा सामान जलकर राख हो गया.

सूत्रों के अनुसार गैस की अवैध रिफिलिंग करने वाले गैस एजेन्‍सी के स्‍टाफ की मिली भगत से सिलेन्‍डर की डिलिवरी के पहले सील तोड़ कर गैस चुरा लेते हैं अौर उसके बदले समान वजन का पानी भर देते हैं। जिससे ग्राहक को गैस तो कम मिलती ही है और ली‍केज से आग लगने का खतरा भी बना रहता है। जानकारी के अनुसार उत्तरीपुरा इलाके में लीकेज सिलेंडर से लगी आग मकान में तेजी से फैल गई. स्थानीय लोगों ने आग पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन वे असफल हुए. जिसके बाद सूचना पर पहुंची फायर फाइटर की टीम ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया. हादसे के कारण घर का सारा सामान जलकर राख हो गया. फिलहाल नुकसान कितना हुआ है इसकी जांच की जा रही है.

यहां विचारणीय तथ्‍य ये है कि पूरे शहर में कई स्‍थानों पर गैस रिफिलिंग का कारोबार खुलेआम चल रहा है। घरेलू सिलेंडरों से निकालकर फुटकर में छोटे गैस सिलेंडरों में गैस 180 से 200 रुपए किलो के हिसाब से भरी जा रही है। जनता का आरोप है कि स्‍थानीय थाने में अवैध रिफिलिंग करने वालों द्वारा महिने की रकम पहुंचाई जाती है, इसीलिए क्षेत्र की पुलिस इस प्रकरण में कान में तेल डाले बैठी रहती है। खुलासा टीवी पहले भी इस मामले में कई बार खबर प्रकाशित कर चुका है, पर जिला प्रशासन पता नहीं क्‍यों सख्‍त कार्यवाही करने में हिचकिचाता है।

सूत्रों के अनुसार जिले के शास्‍त्री नगर, ग्‍वालटोली, मसवानपुर, रावतपुर, आवास विकास, पनकी समेत कई इलाकों में अवैध रिफिलिंग खुलेआम जारी है। इलाकाई लोगों की माने तो खलासी लाईन इलाके में सूरज पाल होटल के बगल में सन्जू और ग्वालटोली में राजा बहुत दिनों से खुलेआम गैस रिफिलिंग का धन्धा करते आ रहे हैं। बीते दिनों यहां जिलापूर्ति अधिकारी एवं एसीएम 5 का छापा पडा था, जिसके बाद से इनका कारोबार यहां से शिफ्ट हो कर अब ग्‍वालटोली के मकान नम्‍बर 164 और 162 में सुचारू रूप से चल रहा है। आरोप तो ये भी है कि स्‍थानीय थाने का एक कारखास सिपाही इनको छापे की पूर्व सूचना उपलब्‍ध करवा देता है जिससे ये अपना धंधा समेट कर कुछ समय के लिये अण्‍डरग्राउन्‍ड हो जाते हैं। आरोपों में कितनी सच्‍चाई है ये तो जांच का विषय है पर हमारा जिला प्रशासन से अनुरोध है कि मामले को प्राथमिकता के आधार पर निस्‍तारित करवाना सुनिश्‍चित करें, ये जनहित में अति आवश्‍यक है।