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कानपुर - महेश्वरी मोहाल में हुआ हिस्ट्रीशीटर छोटे बब्बन का दिनदहाड़े कत्‍ल

कानपुर 29 नवम्‍बर 2017 (सूरज वर्मा). पुराना कानपुर स्थित महेश्वरी मोहाल की तंग गलियों में आज सुबह बेखौफ हत्‍यारों ने बेहद दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देते हुये तथाकथित भाजपा नेता समेत दो लोगों का बेरहमी से मर्डर कर दिया। इस घटना से शहर की कानून-व्यवस्था की पोल एक बार फिर खुल गई है। पुलिस के मुताबिक मरने वाला अधेड़ हिस्ट्रीशीटर रहा है, नगर निकाय चुनाव में वह बीजेपी के लिए प्रचार भी कर रहा था। हत्यारों के बारे में अभी तक कुछ भी पता नहीं चला है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। 
जानकारी के अनुसार पुराना कानपुर की तंग गलियों में बुधवार सुबह बेखौफ कातिलों ने कानून-व्यवस्था को एक बार फिर चुनौती दे डाली। महेश्वरी मोहाल निवासी सतीश कश्यप उर्फ छोटे बब्बन (55) बुधवार को मोहल्ले में एक नेता से मुलाकात के बाद वापस घर लौट रहा था। तभी पहले से घात लगाए बैठे हत्‍यारों ने छोटे बब्बन को रोका और चाकुओं से ताबड़तोड़ प्रहार कर उसे मौत की नींद सुला दिया। हमलावरों ने छोटे बब्बन के साथ मौजूद उसके नाबालिग साथी ऋषभ (14) को भी बेरहमी से चाकुओं से गोदकर मार डाला। ऋषभ को मारने के पीछे बताया जा रहा है कि कातिलों को लगा कि वह गवाह बनेगा, इसलिए उसे भी बेरहमी से मौत की नींद सुला दिया गया।

डबल मर्डर के बाद महेश्वरी मोहाल की तंग गली में चारों तरफ खून ही खून फैल गया। तमाशबीन बने लोग अपने घरों में दुबक गए। कुछ लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए सूचना पुलिस को 100 नंबर पर दी। वायरलेस पर मैसेज मिलते ही थाना पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंच गई। थोड़ी ही देर में एसपी और क्षेत्राधिकारी भी मौके पर पहुंचे। समाचार लिखे जाने तक SSP कानपुर अखिलेश कुमार मीणा भी मौके पर पहुंच गए थे।

जानकार सूत्रों की मानें तो चावल मंडी निवासी सतीश कश्यप उर्फ छोटे बब्बन का पुराना लंबा-चौड़ा अपराधिक इतिहास है। क्षेत्र के ही एक सफेदपोश से उसे पूरे समय संरक्षण मिलता रहा। उसके उपनाम को उसने अपने नाम के आगे जोड़कर काफी धाक भी जमाई। हत्या समेत कई संगीन मामले जब छोटे बब्बन पर दर्ज हुए तो करीब डेढ़ दशक पहले फीलखाना पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट खोल दी। बताया जा रहा है कि पुलिस से बचने के लिए पिछले कुछ सालों से वह बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के कारोबार से जुड़ गया था।

हिस्ट्रीशीट खुलने के बाद जब पुलिस ने सतीश कश्यप उर्फ छोटे बब्बन की घेराबंदी शुरु की तो शहर के कुछ दलाल और अपराधिक प्रवृत्ति वाले तथाकथि‍त पत्रकारों के टच में छोटे बब्बन आ गया। कुछ दिनों तक उनकी जी, हुजूरी और पैलगी करके उसने अपना प्रेस कार्ड भी बनवा लिया। जो पुलिस कभी उसके पीछे भागती थी, प्रेस कार्ड बनने के बाद वही सिपाही और दरोगा उसे सलाम ठोंकने लगे। सवाल यह उठता है कि महज कुछ दर्जा तक ही पढ़े इस अपराधी को क्यों और किस आधार पर प्रेस कार्ड जारी किया गया ? यह भी एक जांच का विषय पुलिस के लिए बनेगा। सतीश कश्यप उर्फ छोटे बब्बन के पास से प्रेस का जो परिचय पत्र मिला है वो पड़ोसी जनपद का है।


शहर के क्रिमिनल्स के पास से प्रेस कार्ड बरामद होने की यह कोई पहली वारदात नहीं है। इससे पहले भी शहर के कई बड़े अपराधियों के पास से प्रेस कार्ड मिल चुके हैं। शहर के खूंखार अपराधी रहे जावेद रिंगवाला के पास से भी पुलिस प्रेस कार्ड बरामद कर चुकी है। सूत्रों की मानें तो इस समय शहर के मुस्लिम एरिया के तमाम बड़े बदमाशों के पास से किसी न किसी प्रेस के परिचय पत्र हैं। वह गाड़ियों पर फर्जी तरीके से प्रेस लिखवाने के बाद बेखौफ होकर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में नहीं चूकते हैं। शहर के कुछ दलाल टाइप के तथाकथि‍त पत्रकारों का ऐसे अपराधिक प्रवत्ति वाले बदमाशों का खुला संरक्षण रहता है। थानेदार और क्षेत्राधिकारी इसलिए खामोश रहते हैं कि इन अपराधियों को संरक्षण देने वाले तथाकथि‍त दलाल पत्रकार शहर के आला अफसरानों के पास दरबार सजाते हैं।