Breaking News

बेमियादी हड़ताल कर रहे शिक्षाकर्मी अपनी मांग पर अड़े, नहीं निकला समस्‍या का हल

रायपुर 29 नवंबर 2017 (जावेद अख्तर). छग में लगभग दो लाख शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं और सरकार हल निकालने की बजाए अपने अहम के चलते चिड़िया की एक टांग पर अड़ी हुई है जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। हैरानी का विषय है कि कोई स्थायी हल निकालने की बजाए सरकार वैकल्पिक जुगाड़ के सहारे शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने में लगी हुई है, इसी के तहत अफसरों एवं कर्मचारियों को पढ़ाने भेजा जा रहा है तो वहीं भृत्यों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपना हास्यास्पद है। इसी के तहत लोगों से अपील की जा रही है कि लोग स्वेच्छा से आकर बच्चों की क्लास ले सकते हैं, अपील के चलते कुछेक जगहों पर जनप्रतिनिधि‍ तो कहीं स्थानीय नागरिकों को बच्चों को पढ़ाते देखने में आए। 

जुगाड़ भृत्य व चपरासी बने शिक्षक - 
जिला बस्तर के दरभा विकासखंड में शिक्षा विभाग ने एक विचित्र आदेश जारी किया है, जिसमें बस्तर संभाग के जगदलपुर दरभा क्षेत्र के विकासखंड शिक्षा अधिकारी गिरिजा साहू ने सरकारी स्कूलों में भृत्यों यानि सफाईकर्मियों तथा चपरासियों को छात्रों को पढ़ाने का आदेश जारी किया है। हालांकि इस तनातनी में सबसे ज्यादा छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो रही तो सरकार ने जुगाड़ के तहत चपरासी एवं सफाईकर्मी को भी शिक्षक की भूमिका निभाने का आदेश दे दिया। ऐसे अतार्किक एवं अनैतिक फैसलों के चलते सोशल मीडिया पर सरकार एवं शिक्षा विभाग को जमकर ट्रोल किया जा रहा। सोशल मीडिया पर आदेश पत्र वायरल होने के बाद जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल ने बैठक लेकर दरभा बीईओ को फटकार लगाते हुए ऐसे हालात में इस तरह के निर्णय नहीं लेने को कहा। 

सरकार की कथनी करनी में फर्क - 
छग शासन व प्रशासन प्रत्येक वर्ष सैकड़ों करोड़ का बजट, शाला एवं शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर, विगत सात सालों से खर्च करती आ रही है तो वहीं प्रत्येक वर्ष शिक्षाकर्मियों की भर्ती कर शिक्षकों की पूर्ति करने का आश्वासन देती आ रही है। परंतु शिक्षाकर्मियों की मांगों को लेकर सरकार ने ऐसा रव्वैय्या अपनाया कि शिक्षाकर्मी हड़ताल पर चले गए। वहीं भृत्यों एवं चपरासी को पढ़ाने के आदेश ये स्पष्ट कर गया कि सरकार शासकीय शाला एवं शिक्षा में गुणवत्तायुक्त के लिए कैसी विचारधारा रखती है और शिक्षा में गुणवत्ता के प्रति कितनी गंभीर है और कितना प्रयासरत है। प्रतिवर्ष सरकारी शालाओं में छात्रों की कम होती संख्या भी हकीकत बयान कर रही है। वास्तविकता तो यही है कि छग शासन व प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति ही करती आ रही है और सिर्फ सरकारी कागज़ों में गुणवत्ता दिखाकर करोड़ों का बजट हजम करती आ रही है।

झूठे आश्वासनों से शिक्षाकर्मी को ठगा - 
शिक्षाकर्मियों द्वारा मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का प्रमुख कारण सरकार का वादों से मुकरना एवं झूठा आश्वासन देना है। सरकार विगत कई वर्षों से शिक्षाकर्मियों की मांगों को पूरा करने का आश्वासन देती रही एवं तमाम वादे करती रही। इस दौरान सरकार को दो बार सत्ता मिली परंतु दूसरे कार्यकाल के चार साल पूरे होने के बाद भी मांगें पूरी नहीं की गई। अतः सरकार को वादा याद दिलाते हुए पूरा करने की मांग शिक्षाकर्मियों ने रखी मगर सरकार ने फिर से आश्वासन का झुनझुना पकड़ा दिया गया। जिससे शिक्षाकर्मी खुद को ठगा महसूस करने लगे और उन्होंने अब सरकार के आश्वासन एवं वादों पर विश्वास न करते हुए मांगों को पूरा करने की मांग पर अड़ गए। परंतु सरकार ने आश्वासन देते हुए विचार करना बताकर टालने का प्रयास किया जिसके चलते प्रदेश के सभी शिक्षाकर्मी अपनी मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर चले गए।

सरकार ने दिया निलंबित करने का आदेश - 
अपनी जायज़ मांगों पर रमन सरकार के रव्वैय्ये से शिक्षाकर्मियों में विरोध का भाव पैदा हो गया और वे हड़ताल पर चले गए। तो वहीं इससे रमन सरकार के अहम को चोट लगी और अपनी हनक में कई जगहों पर शिक्षाकर्मियों की बर्खास्तगी का नोटिस तक जारी करने का आदेश विभागों को दे दिया है। विभागीय अफसर शनिवार देर रात तक शिक्षाकर्मियों की सूची को तैयार करने में जुटे रहे। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को अगर स्कूल समय तक शिक्षाकर्मी अपने पदस्थता पर उपस्थित नहीं होतें हैं तो अनुपस्थित रहने वाले शिक्षाकर्मियों के विरूद्ध शासन के आदेशानुसार कारवाई के तहत नोटिस जारी कर दिया जाएगा। 

शिक्षा कर्मियों ने जलाए आदेश पत्र - 
मुख्यमंत्री छग शासन द्वारा हड़ताल करने वाले शिक्षाकर्मियों पर कार्रवाई करने के आदेश पत्र को प्रदेश के लगभग सभी धरना स्थल पर जलाते हुए विरोध प्रदर्शित किया। वहीं शिक्षाकर्मियों ने मुख्यमंत्री को अपने किए गए वादे और वर्ष 2008 व वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा द्वारा जारी किए संकल्प पत्र की प्रतियां लोगों को भेंट की गई। भाजपा द्वारा चुनाव में दिए संकल्प पत्र में भी शिक्षाकर्मियों की मांगे मानने एवं संविलियन करने का वादा दो बार किया गया है। 

सोशल मीडिया पर मचा घमासान - 
प्रदेश में शिक्षाकर्मियों की बेमियादी हड़ताल को लेकर सबसे ज्यादा घमासान सोशल मीडिया पर मचा हुआ है। अधिकांश लोग इस आंदोलन के समर्थन और सरकार से उनकी मांगें पूरी करने के लिए लिख रहे। शिक्षाकर्मियों को निलंबित करने को लेकर सरकार की आलोचना कर रहें। वहीं ऐसे लोगों की भी ठीक-ठाक संख्या है, जो इस हड़ताल को गलत लिख रहे और इस तरह बेमुद्दत हड़ताल पर जाने को भी गलत ठहरा रहे। शिक्षाकर्मियों के निलंबन आदेश को भी उचित बता रहे। 

भाजपा सरपंच व अन्य संघ भी शिक्षाकर्मियों के समर्थन में - 
इन सब में सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाले पोस्ट, जिसमें भाजपा से जुड़े सरपंचों ने शिक्षाकर्मियों की मांगे नहीं माने जाने पर इस्तीफे की पेशकस कर दी, वायरल हो गयें हैं। इस सिलसिले में जो पोस्ट/बयान सोशल मीडिया में ज्यादा घूम रहे हैं, उनमें दो पत्र रायपुर जिले के आरंग ब्लॉक के ग्रामपंचायत सरपंचों के नाम से हैं और एक पत्र ग्राम पंचायत मुनरेठी के सरपंच बिरिज लाल यादव के नाम से है।
         
मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और विधायक को संबोधित इस पत्र में लिखा गया है कि - हम शिक्षाकर्मियों की मांगों का समर्थन करते हैं क्योंकि सरकार ने इनसे वादा किया था कि मांगों को जल्द ही पूरा किया जाएगा मगर सात साल बीतने के बाद भी मांगे पूरी नहीं करना दुखद और अशोभनीय है। अगर मांगें पूरी नहीं की गई तो हम अब वादा करते हैं कि भाजपा को कभी वोट नहीं देंगें। शासन अगर 3 दिवस के अंदर संविलयन की मांग पूरा नहीं करती है तो हम जैसे सैकड़ों सरपंचों का इस्तीफा तैयार है। भाजपा कार्यकर्ता अपनी पार्टी से मांग करते हैं कि 2018 के चुनाव को जीताना है तो शिक्षाकर्मियों का संविलयन करा देवें। 

दूसरी चिट्ठी आरंग ब्लॉक के ही जुगेसर ग्रामपंचायत के सरपंच मयाराम जांगड़े के नाम से जारी की गई है। इसमें भी संविलयन की माँग का समर्थन करते हुए मांगें नहीं माने जाने पर भाजपा से इस्तीफे की पेशकस की गई है। उधर मुंगेली जिले के पथरिया ब्लॉक के विकास खंडस्तरीय प्रेरक/पंचायत कल्याण संघ की ओर से जनपद पंचायत के सीईओ को लिखा गया है कि शिक्षक संवर्ग 20 नवंबर से हड़ताल पर है। ऐसी स्थिति में पथरिया के सभी प्रेरकों को विद्यालयों के संचालन हेतु आदेशित किया गया है। 

दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ प्रेरक पंचायत कल्याण संघ ने सभी जिलों में कार्यरत प्रेरकों को अपने मूल कार्य लोक शिक्षा केन्द्रों का संचालन करने कहा गया है। जिसकी लिखित सूचना संघ की ओर से संचालक राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण रायपुर को पहले ही दी जा चुकी है। ऐसी स्थिति में प्रेरक अपने लोक शिक्षा केन्द्र एवं साक्षर भारत का कार्य करेंगे। स्कूल का संचालन नहीं करेंगे। एक हिसाब से शिक्षाकर्मियों को बाहर से समर्थन दिया गया है। शिक्षा कर्मियों की हड़ताल के समर्थन में स्वास्थ संयोजक कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़, सारंगढ़ ब्लॉक इकाई की ओर से जारी पत्र भी सोशल मीडिया में घूम रहा है। जिसमें शिक्षाकर्मियों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा गया है कि उनकी मांगे शीघ्र पूरी की जानी चाहिए।

अब प्रशासन उखाड़ने लगा धरना प्रदर्शन के लिए खड़े तंबू - 
सरकार द्वारा निलंबन आदेश के बाद भी शिक्षाकर्मियों पर कोई असर नहीं पड़ता देख सरकार ने प्रशासनिक अधिकारों का दुरूपयोग करना शुरू कर दिया है। सरगुजा संभाग के जिला अंबिकापुर में शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के बैनर तले हड़ताल के छठवें दिन भी सुबह से शाम तक शिक्षाकर्मियों डटे रहे। परंतु शनिवार शाम को एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा के नेतृत्व में प्रशासनिक अमले द्वारा धरना स्थल पर लगे टेंट तंबू जबरिया उखाड़ कर ले गए। जिस पर शिक्षाकर्मियों ने शासन के साथ प्रशासन के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की। इस पर एसडीएम ने तर्क दिया कि हड़ताल का समय समाप्त होने के बाद भी टेंट तंबू धरना स्थल से नहीं हटाए जाने के कारण प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई है। वहीं इस संबंध में हड़ताल समय को लेकर आदेश पत्र दिखाने पर एसडीएम शर्मा बहानेबाजी करने लगे और संभाग मुख्यालय के अनुसार हड़ताल समय के अनुसार कार्यवाही करने का हवाला देने लगे।