राष्ट्रीय औसत से ज्यादा हुई मुस्लिम आबादी
नई दिल्ली। जल्द ही जारी होने वाले धार्मिक जनसंख्या पर आधारित जनगणना के
ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच मुस्लिमों की जनसंख्या में 24
फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिससे देश की कुल जनसंख्या में मुस्लिमों
की संख्या 13.4 फीसदी से बढ़कर 14.2 फीसदी हो गई। जो कि
राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।
एक सर्वे में मिले डेटा के मुताबिक मुस्लिमों की
जनसंख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी असम में हुई। 2001 की जनगणना के मुताबिक
असम में मुस्लिमों की जनसंख्या 30.9 फीसदी थी जो एक दशक बाद बढ़कर 34.2
फीसदी हो गई। बांग्लादेश से आने वाले अवैध अप्रवासी हमेशा से असम के लिए एक
समस्या रहे हैं। पश्चिम बंगाल एक और राज्य है जो बांग्लादेश से आने
वाले अवैध प्रवासियों की समस्या से जूझता रहा है। यहां की कुल आबादी में
मुस्लिमों की संख्या बढ़ी है। यह 2001 में 25.2 फीसदी थी जो 2011 में बढ़कर
27 फीसदी हो गई, जोकि 10 साल के समयांतराल में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी
दिखाती है, जोकि राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है। उत्तराखंड में भी
मुस्लिमों की आबादी में तेज बढ़ोत्तरी हुई है, जोकि 11.9 फीसदी से बढ़कर 13.9
फीसदी हो गई। उत्तराखंड में पिछले दशक के दौरान मुस्लिमों की आबादी में 2
फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई जबकि देश भर में 2001 से 2011 के बीच उनकी आबादी में
0.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 2011 की जनगणना के मुताबिक जिन
राज्यों में कुल जनसंख्या में मुस्लिमों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी
देखी गई उनमें केरल (24.7% से 26.6%), गोवा (6.8% से 8.4%),
जम्मू-कश्मीर(67% से 68.3%), हरियाणा (5.8% से 7%) और दिल्ली (11.7% से
12.9%) शामिल हैं। जनगणना कार्यालय ने यह डेटा पिछले साल मार्च में
तैयार किए थे लेकिन यूपीए सरकार ने इसके जारी करने पर रोक लगा दी थी जिसके
पीछे की वजह शायद इन नतीजों से लोकसभा चुनावों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों
का डर था। पिछले हफ्ते जब रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया और जनगणना कमिश्नर सी
चंद्रमौली ने इस 'संवेदनशील' डेटा को जारी करने के बारे में पूछा तो
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर आगे बढ़ने को कहा। राजनाथ ने बुधवार को इस
बात की पुष्टि की कि यह डेटा जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। मणिपुर
एकमात्र ऐसा राज्य है जहां की कुल जनसंख्या में मुस्लिमों की आबादी में
गिरावट (0.4 फीसदी) दर्ज की गई। असम में मुस्लिमों की बढ़ती आबादी का
मुद्दा बहस का विषय रहा और राजनीतिक गतिरोध का एक कारण रहा है।