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जेनेटिक भी हो सकती है तनाव की समस्‍या

न्यूयॉर्क। एक ताजा शोध से पता चला है कि तनाव होने की समस्या वंशानुगत भी हो सकती है। शोध में उस गुणसूत्रीय जोड़े की पहचान की गई है, जो मुश्किल हालात के बाद तनाव का खतरा बढ़ा देते हैं। इसका स्पष्ट आशय है कि पीढ़ियों से मिले ये गुणसूत्र हममें मानसिक अवसाद बढ़ाने की समस्या भी पिछली पीढ़ियों से ले आते हैं।
मस्तिष्क के कार्य में अहम भूमिका अदा करने वाले इन दोनों गुणसूत्रों को सीओएमटी और टीपीएच-2 नाम से जाना जाता है। शोध के मुख्य लेखक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता अर्मेन गोएनजियान ने कहा कि हमें शोध में तनाव बढ़ने की समस्या और सीओएमटी और टीपीएच-2 गुणसूत्रों के बीच महत्वपूर्ण संबंध का पता चला। ये गुणसूत्र ही इस मानसिक तनाव की बीमारी को लगातार बढ़ाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 200 लोगों के डीएनए इकट्ठे किए, ताकि इस मानसिक समस्या के आनुवंशिक लक्षणों का पता लगाया जा सके।शोधकर्ताओं ने अर्मेनिया के लोगों को इस शोध के लिए चुना, क्योंकि 1988 में वहां 6.8 तीव्रता का बेहद प्रलयकारी भूकंप आया था, जिसमें 25,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और मरने वालों में एक-तिहाई संख्या बच्चों की थी। गोएनजियन ने कहा कि हमारे शोध के परिणामों से संकेत मिलता है कि जिन लोगों में ये गुणसूत्र मौजूद होते हैं, उनमें मानसिक अवसाद बढ़ने का जोखिम अधिक हो सकता है। इस शोध से मानसिक अवसाद से समस्याग्रस्त लोगों के बेहतर उपचार और निदान के लिए जैविक आधार मिल सकता है।युद्ध, दुष्कर्म या प्राकृतिक आपदा जैसी जीवन को हिला देने वाली घटनाओं के बाद ज्यादातर लोग इस तरह के मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो जाते हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि तनावग्रस्त सभी व्यक्तियों को यह समस्या हो।