केदारनाथ में 'सरकारी पूजा' पर विवाद
देहरादून। प्राकृतिक
आपदा के कारण पिछले तीन महीने से केदारनाथ मंदिर में बंद पड़ी पूजा भले ही
उत्तराखंड सरकार ने आज फिर शुरू करा दी, लेकिन तीर्थ पुरोहितों और विपक्षी
बीजेपी के अलावा सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में भी इसे लेकर विरोध के स्वर
फूट पड़े हैं।
'सरकारी पूजा' का विरोध करने वालों का कहना है कि चातुर्मास में दोबारा पूजा शुरू कराने का कोई औचित्य नहीं है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पौड़ी गढ़वाल के सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि आज का मुहूर्त केदारनाथ मंदिर में दोबारा पूजा शुरू कराने के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र से ही केदारनाथ मंदिर में पूजा शुरू की जानी चाहिए थी और अपने इस विचार के बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को बता दिया था।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि संत समाज के मुताबिक, रक्षाबंधन के बाद और नवरात्र शुरू होने से पहले कोई देवकार्य नहीं किया जाता। सतपाल महाराज ने कहा कि भले ही मंदिर समिति के पदाधिकारियों की राय से दोबारा पूजा शुरू करने का मुहूर्त निकाला गया हो, लेकिन इस बारे में ब्राह्मण और पुरोहित समाज से भी पूछा जाना चाहिए था, क्योंकि भगवान की असली सेवा तो वही लोग करते हैं।
'सरकारी पूजा' का विरोध करने वालों का कहना है कि चातुर्मास में दोबारा पूजा शुरू कराने का कोई औचित्य नहीं है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पौड़ी गढ़वाल के सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि आज का मुहूर्त केदारनाथ मंदिर में दोबारा पूजा शुरू कराने के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र से ही केदारनाथ मंदिर में पूजा शुरू की जानी चाहिए थी और अपने इस विचार के बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को बता दिया था।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि संत समाज के मुताबिक, रक्षाबंधन के बाद और नवरात्र शुरू होने से पहले कोई देवकार्य नहीं किया जाता। सतपाल महाराज ने कहा कि भले ही मंदिर समिति के पदाधिकारियों की राय से दोबारा पूजा शुरू करने का मुहूर्त निकाला गया हो, लेकिन इस बारे में ब्राह्मण और पुरोहित समाज से भी पूछा जाना चाहिए था, क्योंकि भगवान की असली सेवा तो वही लोग करते हैं।