काजीगुंड-बानिहाल रेल लाइन राष्ट्र को समर्पित
जम्मू। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को हरी झंडी दिखाकर काजीकुंड-बनिहाल रेल सेवा का शुभांरभ किया। इसके
साथ ही जम्मू-कश्मीर की पीर पंजाल की पहाड़ियों के बीच बनिहाल से काजीगुंड
तक 11.21 किलोमीटर की एशिया की दूसरी सबसे लंबी सुरंग में रेल सफर शुरु हो
गया।
इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं। औपचारिक शुभांरभ के बाद इस मार्ग पर गुरुवार से ट्रेन सेवा यात्रियों के लिए खोल दी जाएगी। ये ट्रेनें सप्ताह में पांच दिन चलेंगीं। कभी रियासत के महाराजा प्रताप सिंह और बाद में इंदिरा गांधी ने कश्मीर को रेलवे लाइन से जोड़ने का जो सपना देखा था, वह अब पूरा गया। न्यू ऑस्ट्रिया टनलिंग मैथड से तैयार टनल पर कुल 1300 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। खास
बात यह है कि टनल में रंग बिरंगी लाइटें लगाई गई हैं और इसमें एक वैकल्पिक
रास्ता बनाया गया है, ताकि आपातकालीन स्थितियों में यात्रियों को निकालने
के लिए उसका उपयोग किया जा सके। 11.21 किलोमीटर लंबी सुरंग में 200 सीसीटीवी कैमरे और 25 फोन बूथ लगाए गए हैं। बनिहाल से काजीगुंड सेक्शन आठ साल साल में बनकर तैयार हुआ है। इसे तैयार करने में छह सौ मजदूर दिन रात काम कर रहे थे। बनिहाल-काजीगुंड ट्रैक पर 28 दिसंबर 2012 और 18 जून 2013 को ट्रेनों के संचालन का सफल प्रशिक्षण हो चुका है। यात्रियों को पहले सड़क मार्ग द्वारा बनिहाल से श्रीनगर जाने तक डेढ़ सौ रुपये खर्च करने पड़ते थे, वहां अब लगभग 50 रुपये लगेंगे। बनिहाल
से काजीगुंड तक 35 किमी का सड़क सफर है। जबकि रेल का 17 किमी सफर है। डेढ़
घंटे का सफर आधे में पूरा होगा। इससे लोगों का समय भी बचेगा।