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फतेहपुर के गाँव अमौली के रहने वाले हैं 'बीहड़ का बागी' फेम दिलीप आर्या

फतेहपुर के गाँव अमौली के रहने वाले हैं 'बीहड़ का बागी' फेम दिलीप आर्या

कानपुर (महेश प्रताप सिंह).
एमएक्स प्लेयर ने आश्रम 2 की सफलता के बाद बीहड़ का बागी नाम की अपनी अगली वेब-श्रृंखला जारी की है। बीहड़ का बागी नामक नई श्रृंखला में नवोदित अभिनेता दिलीप आर्य प्रमुख भूमिका में हैं, जो बुंदेलखंड के खूंखार डकैत शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ के चरित्र पर आधारित है। कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध यह वेब श्रृंखला बहुत सारे दर्शकों को आकर्षित करने में सक्षम रही है और लोग न केवल कहानी, बल्कि दिलीप के प्रदर्शन की भी सराहना कर रहे हैं। 
 
 
 
कानपुर में आज आयोजित एक प्रेस वार्ता में दिलीप ने बताया कि वो उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक छोटे से गाँव अमौली के रहने वाले हैं जहाँ उनके पिता राजमिस्त्री का काम करते थे। उन्‍होंने मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री में काफी संघर्ष के बाद अपनी जगह बनाई है।  11 वर्ष की आयु में पिताजी के निधन हो जाने के बाद, उन्‍होंने अपनी माँ के खेत में काम करने के दौरान छोटे छोटे काम करना शुरू कर दिया था। बाद में, एक बेहतर जीवन यापन करने के लिए वो एक सिलाई की दुकान में काम करने लगे और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। 
 
 

 
कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ के पूर्व छात्र, दिलीप का सपना राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में शामिल होना था, इसलिए वे दिल्ली चले गए। उन्‍होंने दिल्ली में एक स्थानीय समूह के साथ थिएटर करना शुरू कर दिया और कुछ समय के लिए एन.के शर्मा ग्रुप के साथ भी काम किया। बाद में, उन्‍होंने एनएसडी के लिए आवेदन किया। जाने-माने अभिनेता पंकज त्रिपाठी और इनामुल हक कार्यशाला में उस समय उनके समूह में ही थे। दिलीप ने बताया कि बीएनए वह जगह थी जिसने मुझे ऊंची उड़ान भरने के लिए पंख दिए। उन्‍होंने वहाँ के शिक्षकों से अभिनय की बारीकियां सीखीं। फिल्मों में आने का उनका सपना उन्हें मुंबई ले गया। जहां इस वेब सीरीज़ में नायक के रूप में उन्हें पहला ब्रेक मिला और अब दर्शकों द्वारा उनकी भूमिका को बहुत सराहा जा रहा है। 
 
इस सीरीज में एक्टर दिलीप आर्या को उनके किरदार डकैत ददुआ के लिए खूब सराहना मिल रही है.

ददुआ की भूमिका की अपनी तैयारियों के बारे में बात करते हुए दिलीप आर्या ने बताया कि सीरियल की तैयारी करने में हमें लगभग चार साल लगे और मैंने चरित्र को और करीब से समझने के लिए बुंदेलखंड के आसपास भी काफी समय बिताया। मैंने बीहड में डाकुओं के साथ भी समय बिताया। दिलीप आर्या ने बताया कि मुझे इतना प्यार और प्रशंसा देने के लिए मैं वास्तव में सभी का शुक्रगुजार हूं। मुझे उम्मीद है कि अग्रणी फिल्म निर्माता मेरे काम पर ध्यान देंगे और मुझे खुद को और आगे बढ़ाने का मौका देंगे।
 
 
 

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