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अपनों के प्रश्नों से घिरे पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर, स्वीकारा त्रुटिपूर्ण थी कमेटी, नाराज विपक्ष ने किया वॉकआउट

रायपुर 22 फरवरी 2018 (जावेद अख्तर). इस कार्यकाल का सबसे छोटा विधानसभा सत्र छग की राज्य सरकार के लिए बड़ा भारी पड़ रहा है। सरकार भ्रष्टाचार घोटालों अनियमितताओं फर्जी नियुक्तियों सहित तमाम तरह के आरोपों से घिरी हुई है वहीं मंत्री संतुष्टिजनक उत्तर नहीं दे पा रहे जिसके चलते सरकार की किरकिरी भी खूब हो रही है। आज तो विस में अपने ही दल के विधानसभा प्रतिनिधियों के प्रश्नों से पंचायत व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर बुरी तरह से घिरे कि उन्हें त्रुटि को स्वीकार तक करना पड़ गया।


भाजपा के विधायक देवजी भाई पटेल ने विधानसभा में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में उपायुक्त/संयुक्त आयुक्त की पदोन्नति के लिए विभागीय समिति के गठन का मामला उठाते हुए पूछा कि कमेटी का गठन नियम प्रक्रिया के तहत हुई थी या नहीं? जिस के जवाब में मंत्री अजय चंद्राकर ने माना कि कमेटी गलत बनी थी, तत्कालीन एसीएस ने कमेटी का गठन किया था। उन्होंने कहा कि राजपत्र के हिसाब से कमेटी नहीं बनी थी और वो त्रुटिपूर्ण थी। ये जानकारी आने के बाद पीएससी को नई कमेटी के गठन के लिए पत्र लिखा गया है। कमेटी के गठन के बाद हुई दो बैठकों के निर्णय को अमान्य करते हुए ही पीएससी को नई कमेटी के गठन के लिए लिखा गया। 

अपनों के प्रश्नों के शिकार हुए मंत्री चंद्राकर - 
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से विधायक देवजीभाई पटेल ने पूछा कि 26 जुलाई 2017 और 26 अगस्त 2017 को दो बैठकें भी हो गईं, ऐसे डिक्टेटर एसीएस के खिलाफ क्या कार्रवाई किया जाएगा? पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि 26 जुलाई 2017 को हुई बैठक में डीपीसी कमेटी के अध्यक्ष ने कहा था कि एसीएस से निर्देशित किया गया था। देवजी ने पूछा कि डीपीसी कमेटी के अध्यक्ष जो कि पीएससी के सदस्य भी हैं, उन पर कार्रवाई के लिए क्या राज्यपाल को आग्रह करेंगे? मंत्री अजय चंद्राकर ने घोषणा करते हुए कहा कि मुख्य सचिव से मैं कहूंगा कि 15 दिनों के भीतर पीएससी से चर्चा कर पूरे मामले पर संबंधित कार्रवाई की जाए। पीएससी संवैधानिक संस्था है, वहीं मेरे निर्णय लेने की सीमा है। 

शिवरतन के सवाल, मंत्री हुए बेहाल - 
वहीं भाजपा के दूसरे विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि पंचायत विभाग ने पूरी प्रक्रिया को गलत ढंग से किया। उन्होंने कहा कि पीएससी को भी देखा जाना चाहिए था कि डीपीसी कमेटी का गठन प्रक्रिया के तहत हुई है या नहीं, यानि जितनी गलती पंचायत विभाग की है, उतनी ही गलती पीएससी की भी है। उन्होंने कहा कि क्या पीएससी के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई किए जाने की घोषणा सदन में करेंगे? 

शिवरतन शर्मा ने कहा कि मंत्री जी कह रहे हैं कि मुख्य सचिव से इस मामले के निराकरण की बात कर रहे हैं, लेकिन इस मामले में मुख्य सचिव क्या करेंगे। इस विषय पर आपको शासन स्तर पर कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो, इसके लिए क्या किया जाएगा? पीएससी शासन के पत्र को लगातार नजरअंदाज कर रहा है, क्या सदन की कमेटी से इसकी जांच कराएंगी? मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि 15 दिनों के भीतर यदि इस मामले का निराकरण नहीं होता, तो उसके बाद राज्यपाल के पास क्या राष्ट्रपति तक के पास जाने की नौबत आएगी, तो हम जाएंगे। मंत्री चंद्राकर जवाब देते समय बेहाल दिखाई देने लगे थे हालांकि ये स्वाभाविक है कि मंत्री चंद्राकर को अपने दल के विधायकों से इस तरह के प्रश्नों एवं आरोपों की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं रही होगी।

कहें भी तो कहें किससे दोनों ही थे अपने - 
सदन में जिस तरह से दोनों विधायकों ने मंत्री को घेर लिया था उससे मंत्री जी के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई देने लगी थी। वहीं बेहाल मंत्री की हालत देखकर विपक्ष जरूर खुश था और मजे ले रहा था। चूंकि पंचायत मंत्री सही से जवाब देने में विश्वास नहीं रखते और न ही दूसरों की बातों को ध्यान से सुनना पसंद करते हैं। मगर इस बार मंत्री फंस गए अपने ही विधायकों के तीखे प्रश्नों में, ऐसी हालत में सत्तापक्ष के सभी प्रतिनिधि चुपचाप बैठकर माजरे को देखते रहे, सत्तापक्ष विरोध करता भी तो किसका क्योंकि दोनों ही तो सत्तापक्ष के थे। ऐसे में बेचारे किसे समझाते और किसे चुप कराते, दोनों ही स्थिति में अपने ही विधायक नाराज़ हो जातें। गजब का माहौल बन गया था आज विधानसभा में। देखने वाले बोल रहे थे कि कहें भी तो कहें किससे क्योंकि दोनों ही तो है अपने। 

नाराज विपक्ष ने किया वॉकआउट - 
कांग्रेस विधायक अमरजीत भगत ने कहा कि मूल निवासी आदिवासियों का हक मारा जा रहा है। आदिवासियों के लिए आरक्षित पद पर बैकलॉग के जरिए सामान्य वर्ग को लिया जा रहा है, सच्चाई सामने आने के बाद भी मंत्री जी कारवाई करने की बजाए सत्र खत्म होने तक मामले को खिसकाने के लिए अनावश्यक रूप से बढ़ा रहे। मंत्री के जवाब से नाराज विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।