छत्तीसगढ़ में भाजपा से उसके अपने ही समर्थक नाखुश, अलग पार्टी बनाकर सबक सिखाने की सिफारिश
रायपुर 16 फरवरी 2018 (जावेद अख्तर). यह मानी हुई बात है कि पूरे छग में तीन बड़े नेताओं के ही समर्पित कार्यकर्त्ता मिलते हैं अजीत जोगी, स्व. विद्याचरण शुक्ल एवं स्व. दिलीप सिंह जूदेव। दो नेताओं के जाने के बाद भी समर्थकों में उनके प्रति मान सम्मान, समर्पण एवं लगाव आज भी कम नहीं हुआ है और न ही समर्थकों की तादाद। राजनीति के क्षेत्र में आज भी लाखों समर्थक अपने चहेते एवं आदरणीय नेताओं के विरूद्ध बात सुनना गंवारा नहीं करते। कांग्रेस पार्टी से विद्याचरण शुक्ल रायपुर क्षेत्र, भाजपा से स्व दिलीप सिंह जूदेव बिलासपुर संभाग एवं छजकां पार्टी से अजीत जोगी का मरवाही क्षेत्र में प्रभुत्व हैं हालांकि सशक्त, दमदार एवं अत्यंत लोकप्रिय तीनों नेता एक दूसरे के विरोधी दलों से हैं। किंतु नई पार्टी गठन से पहले अजीत जोगी कांग्रेस पार्टी में थे।
दरअसल जूदेव राजपरिवार तथा क्षेत्र बिलासपुर है। यहां के निवासियों के लिए जूदेव परिवार सबसे अधिक सम्मानीय है। ऐसे में यदि जूदेव परिवार तीन बार से सत्तासीन सरकार और दल से किनारा कर ले तो भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी यानि छग में भाजपा का मुश्किलों का दौर शुरू हो जाएगा, या यूं समझ लें कि लगभग एक दर्जन सीटें निकल जाएगी और सरकार को इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। छग में कांग्रेस दो फाड़ होने के भाजपा भी इसी कगार पर खड़ी है। यह सुनी सुनाई बातें बिल्कुल भी नहीं है बल्कि विगत दो तीन दिनों से लगातार सोशल मीडिया पर बकायदा बहस चल रही है।
स्व जूदेव प्रतिमा को लेकर खड़ा हुआ विवाद -
चंद्रपुर विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव द्वारा अपने पिता स्व दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा स्थापित किये जाने को लेकर, सरकारी नौटंकी के खिलाफ छेड़े गए विरोधी तान के बाद से भारतीय जनता पार्टी की सरकार और बिलासपुर विधायक व नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल का भी विरोध शुरू हो गया। स्व दिलीप सिंह जूदेव की आदमकद प्रतिमा लगाए जाने को लेकर दो सालों से कई बार विवाद की स्थिति उतपन्न हो चुकी है। कई साल पहले प्रदेश के मुखिया डॉ रमन सिंह ने जिले के जशपुर नगर और कुनकुरी में आदमकद प्रतिमा लगाए जाने की घोषणा की थी। घोषणा पूरा होने में कई साल लग गए तो सोशल मीडिया में सवाल उठने शुरू हो गए। अगस्त वर्ष 2016 में अचानक सरकार ने अपनी घोषणा रद्द कर दी और प्रतिमा लगाने में तकनीकी दिक्कत का हवाला दे दिया। यह खबर आते ही जूदेव समर्थको ने सोशल मीडिया के जरिये सरकार को घेरना शुरू कर दिया और राजपरिवार की भी कहीं न कहीं नाराजगी दिखी तो सरकार ने कुछ घण्टे में ही फैसले बदल दिया और कहा कि प्रतिमा किसी भी सूरत में लगेगी।
जिस नियम का हवाला, उसका ही उल्लंघन कर चुकी है सरकार -
सरकार की घोषणा के बाद समर्थक शांत हो गए लेकिन इसके बाद प्रतिमा स्थल को लेकर विवाद शुरू हो गया। अब तक यह तय नही हो पा रहा था कि प्रतिमा कहां लगानी है तभी मंगलवार को यह खबर आयी कि नगरीय प्रशासन विभाग ने शासन को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित निर्देशों का हवाला दे दिया और क्लीयर कर दिया कि किसी भी चौक, चौराहे फुटपाथ या सार्वजनिक जगहों पर आदमकद प्रतिमा नहीं स्थापित की जाएगी, ऐसा करने पर माननीय उच्चत्तम न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना होगी। जूदेव समर्थक बीजेपी बीडीसी गोपाल कश्यप ने कमेंट किया कि वर्ष 2013 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जब निर्देश जारी कर दिये थे तो वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री के हाथों राजधानी में मंत्रालय के सामने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति का अनावरण क्यों कराया गया?
भड़के मंत्री कहा जनभावनाओं का सम्मान करें सरकार -
जिससे प्रदेश की सियासत फिर से गर्म हो गयी। एक समय से स्व दिलीप सिंह जूदेव के सबसे करीबी माने जाने वाले पूर्व आजाक मंत्री गणेश राम भगत ने सरकार को साफ शब्दों में कहा कि सरकार जनभावनाओं का सम्मान करें, क्योंकि स्व जूदेव जनआस्था का विषय है। हालांकि बाद में प्रबल प्रताप जूदेव ने देर शाम को इस मामले में सस्पेंस खत्म कर दिया और लाईवलीहूड कालेज के समीप प्रतिमा लगाने का बताया।
युद्धवीर एवं जूदेव समर्थकों ने खोला मोर्चा -
सरकार एवं अमर अग्रवाल की नौटंकी से भड़के युद्धवीर ने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद युद्धवीर प्रसंशक और जूदेव समर्थकों ने भी भाजपा की नीयत पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। समर्थकों का कहना है कि कभी स्व जूदेव का नाम हटा देना तो कभी कार्यक्रमों में उनकी तस्वीर न लगाना और अब प्रतिमा लगाए जाने पर सीधे रोक लगा देना जूदेव परिवार के खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र है। समर्थकों का कहना है कि लख्खीराम अग्रवाल जो कभी पार्षद का चुनाव भी नहीं जीते उनकी प्रतिमा अष्टधातु की लगवाई गई, उनके नाम से मेडिकल कॉलेज का नामकरण कर दिया गया और जिनके दम पर आज छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है उनकी एक अदद प्रतिमा लगवाने के लिये इतना नियम और कानून? बस राजपरिवार का एक इशारा मिलने की देरी है लाखों समर्थक अपने सहयोग से प्रतिमा स्थापित करा देंगे।
सोशल मीडिया पर सरकार बनाम जूदेव समर्थक की जंग -
दरअसल 13 फरवरी की देर रात से ही सोशल मीडिया में सरकार बनाम जूदेव समर्थकों की जंग शुरू है। ऐसा लग रहा है मानों सभी जूदेव समर्थक युद्धवीर की जुबान खुलने का ही इंतज़ार कर रहे हों। जूदेव समर्थको ने जैसे ही देखा कि अब जूदेव परिवार के लोग भी सामने आ रहे हैं तो उनके सब्र का बांध टूट गया और सोशल मीडिया में प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया। युद्धवीर के पोस्ट पर दो चार कमेंट्स को छोड़कर शेष कमेंट्स सरकार के विरोध में है।
जूदेव समर्थकों के पोस्ट व कमेंट्स -
एक देवीलाल नामक समर्थक ने कमेंट्स किया कि जिस दिलीप सिंह जूदेव ने कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिए अपनी मूंछ तक को दांव पर लगा दिया उस जूदेव की एक प्रतिमा लगाने के लिए सरकार राजनीति कर रही है ऐसी सरकार को सबक सिखाना जरूरी हो गया है। रामभगत साहू नामक समर्थक ने तो जबरदस्त गुस्से का इजहार करते हुए कमेंट किया कि अमर अग्रवाल को बिलासपुर से जीतने का सबसे बड़ा कारण दिलीप सिंह जूदेव हैं, अगर जूदेव परिवार समर्थन नहीं करता तो अमर अग्रवाल की जमानत तक जब्त हो जाती।जिनके समर्थन से चुनाव जीते और मंत्री पद तक मिला, उनके सम्मान में लगने वाली प्रतिमा को नहीं लगाने की नौटंकी कर रहे, बड़ी जल्दी बुरे दौर को भूल गए मंत्री जी। जूदेव जी की प्रतिमा के विरूद्ध निकृष्ट राजनीति करके आपने ये दर्शा दिया कि कैसी सोच, विचारधारा एवं कार्यशैली है। अन्य एक समर्थक ने लिखा कि चुनाव सिर पर है श्रीमान मंत्री जी? अगर जूदेव परिवार ने आपका साथ छोड़ दिया तो अपने पिता के जितना भी वोट मिलना मुश्किल हो जाएगा।
कुसुम लता नामक महिला समर्थक ने लिखा कि लगता है पद और कुर्सी ने अहंकार भर दिया है मगर ये नहीं भूलना चाहिए कि सफलता किसके कारण मिली, जो आज मंत्री बने हुए हैं। आपसे ऐसी आशा नहीं थी। एक कमेंट में लक्ष्मण वर्मा खुद को किसान बताते हुए लिखा कि इधर के जितने भी ग्रामीण एवं किसान बसे हैं उनके लिए जूदेव परिवार के लिए प्राण न्यौछावर करना गर्व की बात है। संजीव कुमार (भाजपा कार्यकर्ता) ने लिखा कि चौदह सालों से हमारे क्षेत्र के लगभग बारह सौ परिवार इसलिए भाजपा को वोट देतें आ रहे क्योंकि हम सबके भगवान रूपी नेता ने कमल को वोट देने का आह्वान किया था। जो भी प्रतिमा का विरोध करेगा, मेरे जैसे लाखों लोग उसके विरोध में हो जाएंगे।
सरकार को सबक सिखाने की सिफारिश -
कई समर्थकों ने लिखा है कि भैय्या (युद्धवीर सिंह जूदेव) अलग होकर नई पार्टी बनाइए और सबको उनकी असली औकात दिखाइए ताकि जिन्हें गलतफहमी हो गई है वो दूर हो जाए। जूदेव समर्थकों ने पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं और जूदेव समर्थकों के सहयोग से मूर्ति बनाने की भी बात कही। कई समर्थकों ने लिखा कि हम अपना राजनेता सिर्फ जूदेव को मानते हैं। इसलिए इस बार सरकार को सबक सिखाने की जरूरत है। एक इशारा भर करिए हम सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।
डरी सरकार प्रतिमा लगाने पर सहमत -
सोशल मीडिया पर दिन भर पोस्ट और कमेंट्स की झड़ी लगी थी कि बात दिल्ली और आलाकमान तक पहुंच गई। जब ऊपर से फोन आने शुरू हुए तब सरकार की हालत पतली हुई। सरकार ने आनन-फानन सोशल मीडिया पर ही पोस्ट किया कि स्व दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा अवश्य वहीं पर लगेगी जहां पर जूदेव परिवार चाहता है। वहीं सूत्रों की मानें तो ऊपर से फोन आने के तुरंत बाद नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल को राज्य सरकार की तरफ से फोन गया और उन्हें समझाया गया कि मामला दिल्ली तक गूंज गया है इसलिए इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं किया जाए और सरकार प्रतिमा लगाने के लिए सहमत है। तब कहीं जाकर विवाद खत्म हुआ। हालांकि सरकार की घोषणा के बाद भी जूदेव समर्थक पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं है उन्होंने मांग की कि जब तक प्रतिमा का अनावरण नहीं हो जाता तब तक वे चुप नहीं बैठने वाले।