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युवाओं सावधान !! बाबूपुरवा में चल रहा है पुलिस से संरक्षण प्राप्त टप्पेबाज संस्‍थान

कानपुर 18 दिसम्‍बर 2017 (अभिषेक त्रिपाठी). कम्प्यूटर ट्रेनिंग देकर हजारों की नौकरी दिलाने का सब्ज़बाग दिखाकर धोखाधड़ी करने वाले एक बड़े गैंग को, बाबूपुरवा पुलिस खुलेआम संरक्षण दे रही है। गैंग के हाथों लुटे-पिटे लोगों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करके जांच या कार्रवाई करने के बजाए बाबूपुरवा पुलिस पीड़ितों पर समझौते का दबाव डालती है। आरोप है कि चंद पुलिसकर्मी समझौते के नाम पर आरोपियों से वसूली मोटी रकम खुद डकार जाते हैं। 
 
पीड़ितों को डांट-फटकार के, भय दिखाकर या साक्ष्य ना होने की बात कहकर टरका दिया जाता है। वहीं टप्पेबाज गैंग को इलाके में ही फर्जी कम्प्यूटर इंस्टिट्यूट चलाने की छूट दे दी जाती है। पीड़ितों के अनुसार इस फर्जी कम्प्यूटर इंस्टिट्यूट में कम्प्यूटर के नाम पर खाली डिब्बे, खराब मॉनिटर रखे हैं। जो लड़के-लड़कियां दिन भर घूम-घूमकर टप्पेबाजी करते हैं और शिकार फंसाते हैं, वही इंस्टीटूट के अंदर फैकल्टी (टीचर-स्टाफ) बन जाते हैं। खुद भले ही "कंप्यूटर" या "माइक्रो सॉफ्ट" जैसे शब्दों की स्पेलिंग ना लिख पाएं, लेकिन गरीब और पिछड़े तबके से आये युवाओं को भ्रमित ज़रूर कर लेते हैं।  
 
जीवन भर जोड़े जेवर गिरवी रखकर पल्लेदार की पत्नी ने चुकाई रकम, टप्पेबाज सब ले गए -  
थाना बाबूपुरवा के ढकनापुरवा निवासी माधुरी देवी ने बताया कि श्यामनगर निवासी युवती रुचि, किदवई नगर निवासी युवकों सागर, सुनील, गौरव आदि के साथ टोली बनाकर आती थी। माधुरी देवी के अनुसार संदिग्ध युवती रुचि और सागर आदि ने उससे कहा कि वो उनकी 16 वर्षीय बेटी अंजलि को 6 माह का कम्प्यूटर कोर्स करवाएंगे, अंग्रेजी बोलना सिखाएंगे, फिर 10 हजार रुपये तक की नौकरी दिलवा देंगे। इसके लिए 11 हजार रुपये देने पड़ेंगे। माधुरी देवी के अनुसार एक पल्लेदार की पत्नी होने के कारण 11 हजार की रकम उनके लिए बहुत बड़ी थी। लेकिन बगल में रहने वाली पड़ोसन पूनम ने कहा कि उसने तो इस कोर्स के लिए अंजलि को 11 हजार दे भी दिए। वहीं रुचि और सागर ने कहा कि कोर्स के बाद तुरंत नौकरी मिल जायेगी तो बेटी अंजलि की ज़िंदगी बन जाएगी। कर्ज लेकर दे दो, दो महीने में ही पूरा कर्जा चुक जाएगा। इस पर माधुरी देवी ने जीवन भर में जोड़ पाए अपने चंद जेवरों को गिरवी रखकर 11 हजार रुपये रुचि और सागर को दे दिए। अंजलि को कोर्स करवाने के लिए बिग बाजार के बगल में स्थित एक छोटे से कंप्यूटर सेंटर में बुलाया जाने लगा। पर पीड़िता अंजलि के मुताबिक सेंटर में कंप्यूटर खराब और टीचर नदारद रहते थे। 6 महीने के बजाए ढाई महीने में ही एक फर्जी किस्म का सर्टिफिकेट पकड़ा कर कोर्स समाप्त घोषित कर दिया। उसे और वहां पड़ने आ रहे उसके जैसे तमाम युवाओं को ना कम्प्यूटर सिखाया और ना अंग्रेजी सिखाकर इंटरव्यू आदि की तैयारी कराई गई। दिनभर घूमकर शाम को सेंटर आने वाला सागर और रुचि कुछ कहनेपर इन छात्र-छात्राओं को डांट देते।  
 
समझौते में आधी-अधूरी रकम, वो भी कर दी गायब -  
साल भर भी नौकरी नहीं मिलने पर जब जब माधुरी देवी और उनकी बेटी अंजली को ठगे जाने का एहसास हुआ तो उन्होंने थाना बाबूपुरवा में सागर, गौरव, सुनील आदि के खिलाफ अगस्त 2017 में धोखाधड़ी करके 11 हजार ठग लेने की तहरीर दी। एक और पीड़ित पूनम देवी ने भी शिकायत की। आरोप है कि तहरीर पर मुकदमा लिखकर जांच करने के बजाए ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इंचार्ज मुरलीधर पांडेय और एसएसआई योगेश शर्मा ने आरोपियों के नहीं मिल पाने की बात कहकर दो महीने टरकाया। जबकी तहरीर में सभी आरोपियों के मोबाइल नंबर लिख कर पुलिस को दिए जा चुके थे और चौकी इंचार्ज व एसएसआई ने पीड़ितों के सामने ही उनको फ़ोन भी किया था। इस हीलाहवाली से परेशान पीड़ित मां-बेटी (माधुरी देवी और अंजली) ने इलाकाई लोगों की मदद से कम्प्यूटर संस्थान से आरोपी युवक समीर को खुद पकड़ कर एसएसआई योगेश शर्मा और टीपी नगर चौकी इंचार्ज के हवाले किया। दबाव देख कर पुलिस ने सभी आरोपियों को थाने बुलाया और दो पीड़ितों (माधुरी देवी की बेटी अंजलि और पूनम) के 22 हजार में से 14 हजार रुपये वापसी करने की बात पर मौखिक रूप से समझौता करा दिया। लेकिन लंबा समय बीत जाने के बावजूद पीड़ितों को उनकी ये आधी-अधूरी रकम भी नहीं दी गई। 
 
वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा और आईरा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट पुनीत निगम का कहना है की सीआरपीसी 154 के अंतर्गत पुलिस को इस मामले में सबसे पहले आईपीसी की धारा 420, 467 के अंतर्गत FIR दर्ज करके आरोपियों को अरेस्ट करना चाहिए था। जांच में साक्ष्य संकलित करना चाहिए था। साक्ष्य मिलने पर या आरोप प्रथम दृष्टया ही सही पाए जाने पर चार्जशीट फाइल करनी चाहिये थी। लेकिन यहां तो पुलिस ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए एनसीआर तक दर्ज नहीं की। इसलिए जिम्मेदार अधिकारी खुद अब शक के दायरे में हैं। 
 
वहीं दूसरी तरफ थाना प्रभारी एवं सीओ का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। यदि पीडित उनके पास आते हैं तो उचित कार्यवाही की जायेगी।