39 महिलाओं से रेप करने वाला बलात्कारी मौलवी गिरफ्तार
इलाहाबाद 30 अगस्त 2017. पुलिस ने मौलाना आफताब को गिरफ्तार किया है ये एक इनामी शातिर अपराधी
आफताब उर्फ नाटे था जो पिछले 32 साल से पुलिस और आम जनता की आंखों में धूल
झोंककर मौलवी के रूप में छुपकर घूम रहा था। यही नहीं, इस दौरान
इसने ट्रिपल तलाक की पीड़ित मुस्लिम महिलाओं का हलाला के नाम पर यौन शोषण
भी किया। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अनिरुद्ध
सिंह ने आरोपी को बॉलीवुड स्टाइल में
गिरफ्तार किया।
आफताब उर्फ नाटे पर इलाहाबाद
पुलिस ने 12 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। एसपी सिटी सिद्धार्थ शंकर
मीणा के मुताबिक नाटे 1985 से फरार चल रहा था। "नाटे नाम बदलकर मौलाना करीम
के नाम से घूम रहा था। वो मुंबई, सूरत, अजमेर शरीफ और फर्रुखाबाद जैसे
शहरों की मस्जिदों और दरगाहों में छिपता फिर रहा था।" नाटे दरगाहों में आने
वाले श्रद्धालुओं से कहता था कि मैं तांत्रिक हूं, भूत-प्रेत की बाधा दूर
कर सकता हूं। ऐसा बोलकर वो लोगों से पैसे ऐंठता औऱ उन्हें आफताब गंडा और
ताबीज बनाकर देता।
एसपी सिटी के मुताबिक नाटे
खुद को हलाला निकाह एक्सपर्ट भी बताता था। "उसने पूछताछ के दौरान झांसा
देकर 39 महिलाओं का हलाला करवाने की बात कबूल की है। उसने लोगों को धोखा तो
दिया ही, साथ ही लाखों रुपए भी ऐंठे।"
इस
धोखेबाजी के बिजनेस के लिए उसने अपना नेटवर्क तैयार किया था। 33 सालों में
उसने खुदको सिद्ध मौलाना बताकर दर्जन से ज्यादा शागिर्दों की टीम बनाई थी।
ये शागिर्द उसके तंत्र मंत्र की विद्या का प्रचार प्रसार करते थे। मौलाना
करीम के नाम से ही वह सारे गलत करता था, लेकिन कहीं पर भी उसने अपना कोई ID
प्रूफ नहीं बनवाया था।
पुलिस से बचने के लिए वह
महीने-15 दिन में सिम कार्ड चेंज कर देता था। गोपनीय तरीके से फैमिली से
कॉन्टेक्ट में रहता था। जब पुलिस ने फैमिली से पूछताछ की तो उन्होंने उसके
बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी देने से मना कर दिया था। परिवार का
कहना था कि नाटे से उनका कोई संबंध नहीं है, क्योंकि वह उन पर तेजाब फेंक
कर घर से भागा था और तब से वापस नहीं लौटा। पुलिस ने लगातार उनका नंबर
सर्विलांस पर रखा और नाटे की लोकेशन का पता लगाया।
गिरफ्तार
होने के बाद नाटे ने बताया, "मैं इलाहाबाद के शाहगंज थाना क्षेत्र में
रहता था। 1981 में मोहल्ले के लड़के मोहम्मद अजमत ने मेरी भांजी से
छेड़खानी की थी। उसकी हरकत ने मेरे अंदर इतना गुस्सा भर दिया कि मैंने बदला
लेने की ठान ली।" "मैं अजमत के पास पहुंचा और उसे वहीं गोली से उड़ा दिया।
पुलिस ने मुझे गिरफ्तार किया और दो साल बाद 1983 में मुझे जिला कोर्ट ने
ताउम्र कारावास की सजा सुनाई।" "मैंने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील
दाखिल की और दो साल बाद 1985 में मुझे जमानत भी मिल गई। जेल से बाहर आते ही
मैं शहर से भाग गया।"
26 एनकाउंटर कर चुके
इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह ने बताया, "हमने एक महीने पहले इसकी तलाश तेज की।
15 दिन पहले खबर मिली कि आफताब उर्फ नाटे कौशांबी एक प्रोग्राम में आ रहा
है। हम वहां पहुंचे थे, लेकिन वो चकमा दे कर निकल गया।" "हमने उसके फैमिली
मेंबर्स का फोन सर्विलांस पर रखा था, जिससे हमें पुराने साथी नवाब के बारे
में पता चला। हमने उसे दबोचा। पहले उसने नाटक किया, फिर हमारी सख्ती के बाद
उसने नाटे की डीटेल्स बताईं।" "नवाब ने बताया- नाटे पीर बाबा की मजार पर
एक मेंटल आदमी की झाड़-फूंक करने आया था। वही फैमिली उसका नंबर देगी।"