रेलवे में यात्रियों को परोसा जा रहा है घटिया भोजन
कानपुर 11 मई 2017. ट्रेन यात्रा के दौरान अगर किसी यात्री को भूख सताती है तो उसे किसी तरह बस अपने पेट की आग को शांत करना होता है। वास्तव में यात्रियों को अगर ये
मालूम हो जाए कि रेलवे के प्लेटफॉर्मो पर मिलने वाला भोजन, समोसा, ब्रेड पकोड़ा एवं वेज बिरयानी कहां से और किस तरह से तैयार करके परोसा
जा रहा है, ये देखकर शायद आपका सिर चकराने लगे।
भोजन में मक्खियां गिरे या कीड़े इससे हमें क्या -
कानपुर सेंट्रल रेलवे पर मानक को ताक पर रखकर यात्रियों को
गन्दगी के बीच बने भोजन को खुलेआम परोसा जा रहा है। जिसमें प्रमुख रूप से
पूड़ियां, समोसा व ब्रेड पकोड़ा है। खान पान अधिकारियों की रहनुमाई की वजह से
बिना डरे अवैध वेंडर भोजन को खुलेआम ठेलियों एवं ट्रेनों के
अंदर घुसकर बिकवा रहे हैं। भोजन में मक्खियां भिनभिनाए या कीड़े गिर जाएं इस
बात से बेचने वाले वेंडरों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। चाहे लंबे सफर की
यात्रा कर रहे यात्री इस भोजन को खाकर बीमार ही पड़ जाएं, इनकी बला से। इन्हें
तो बस मोटी कमाई से मतलब है।
रेलवे कर्मचारी के संरक्षण में मलिन बस्ती में मानक के विपरीत बनता है भोजन -
सेंट्रल स्टेशन में यात्रियों को परोसी जा रही खान पान सामग्री
की सच्चाई जानने की कोशिश में जब हमारी टीम स्टेशन से मिली बस्ती में
पहुंची तो वहां का दृश्य देखकर हमारी आंखें फ़टी की फ़टी रह गईं। सड़े आलू के बोरे
जिसमें शायद कीड़े लग चुके थे, खुले में पड़े हुए थे। खुले टब में चावल रखे हुए थे। बिना धुले हुए थाल में समोसे बनाकर रखे जा रहे थे। एक कोने में खड़ा
वेण्डर पूड़ियां तल रहा था। चारों तरफ मसाला थूके जाने के निशान साफ़ देखे जा
सकते थे। गंदे पड़े बर्तनों में बेतहाशा मक्खियां भिनभिना रही थीं। चारों तरफ
गंदगी पसरी हुई थी। सामने बैठा व्यक्ति बिना दस्ताना पहने सब्जियां डिब्बे
में पैक कर रहा था। जब हमने
वहां काम कर रहे लोगों से पूछा कि ये सारा भोजन कहां जाता है और इसका कर्ता
धर्ता कौन है। उनका कहना था कि ये सारा भोजन रेलवे खान पान कर्मचारी जूनियर
उर्फ़ अजीम की देख रेख में बनता है। इसके कर्ता धर्ता जूनियर उर्फ़ अजीम
ही हैं। इसके बाद ये सारा भोजन यहाँ से पैक होकर पॉलीथिन के सहारे स्टेशन की
ठेलियों पर पहुंचाया जाता है। जिसे मानक को ताक पर रखकर बिना वर्दी नेम प्लेट
के बीसियों अवैध वेंडरों के सहारे यात्रियों को परोसा जाता है। अगर कोई
यात्री खुले में बेचे जा रहे भोजन का विरोध करता है तो वेण्डर यात्री को
धकियाते हुए कहता है कि इससे अच्छा भोजन चाहिए तो किसी होटल में जाओ, यहाँ तो
ऐसा ही भोजन मिलेगा। बेचारा यात्री लंबे सफर की वजह से
गंदगी से भरे भोजन को खाने पर मजबूर हो जाते हैं। मजे की बात तो ये है कि ये
सारा गोरखधंधा सेंट्रल स्टेशन के आला अधिकारियों की नाक के नीचे हो रहा है
और किसी भी अधिकारी को अभी भनक तक नहीं हुई। प्रतीत होता है कि रेलवे अधिकारियों के लचर रवय्ये की वजह से ही ये
वेण्डर बिना किसी से डरे गंदगी से लबरेज भोजन यात्रियों को परोस रहे हैं।
रेलवे के मानक क्या कहते हैं -
1. रेलवे मानक के अनुसार भोजन बेच रहे वेण्डर वर्दी में होना
चाहिए एव उसके नाम की नेम प्लेट वर्दी में चस्पी होना अनिवार्य है।
2. खाना
बनाने एव परोसने वाले का रेलवे अस्पताल से मेडिकल होना अनिवार्य है, किसी भी
हाल में पका हुआ भोजन खुले में नहीं रखा जाए।
3. तीन वेण्डर से ज्यादा स्टाल
व ठेलियों पर नहीं खड़े हो सकते। वेंडरों का ट्रेन पर चढ़ना वर्जित है।
4. स्टाल-ठेलियों का लाइसेंस एवं शिफ्टवार वेंडरों का ड्यूटी चार्ट होना
अनिवार्य है।
5. लाइसेंस धारक का स्टाल या ठेली पर नंबर भी दर्ज़ हो।
6. साफ़ सफाई एवं रेट लिस्ट का बोर्ड ऐसी जगह लगा हो जो दूर से ही दिखाई दे।
ये
सारे सारे नियम यात्रियों की सेहत एवं सुविधाओं को ध्यान में रखकर ही बनाये
गए हैं, लेकिन अफ़सोस की बात तो ये है इनमें से शायद ही कोई नियम ऐसा हो जिस पर
रेलवे के लाइसेंसी स्टाल व ठेलिया धारक चल रहे हों।
कौन है ये जूनियर उर्फ़ अजीम -
रेलवे विभाग जिसे लोग सोने की मुर्गी कहते हैं इसलिए हर कोई
यहाँ पर दौलत कमाने के लिये आतुर रहता है। जो जंग में जीत
गया वो यहाँ जम गया। ऐसा ही एक नाम चर्चाओं एवं सूत्रों द्वारा सामने आया है ,
जिसे लोग जूनियर उर्फ़ अजीम कहते हैं। सूत्रों के अनुसार इसकी जड़ें रेलवे विभाग में फैली हुई
हैं, इसके बीसियों गुर्गे वेण्डर के रूप में रेलवे में फैले हुए हैं। ये खुद
रेलवे खान पान कर्मचारी है। बावजूद इसके रेलवे परिसर में इसके गुर्गे ठेलियों द्वारा घूम घूमकर यात्रियों को भोजन परोसते हैं। सूत्रों की
माने तो इसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसकी ठेलिया पर कोई भी कैटरिंग इंस्पेक्टर
भोजन की जांच करने नहीं आता है, और ना ही कोई चेकिंग स्टाफ आस पास फटकता है।
जूनियर की पकड़ का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी ठेलिया रेलवे के सभी प्लेटफार्मो पर यात्रियों को भोजन परोसती हैं। भोजन भी ऐसा जिसे बनते हुए देखने के बाद हलक में रखने से पहले ही उल्टी हो जाए। ये सारा खेल खानपान विभाग की उदासीनता की चादर ओढ़ लेने की वजह से हो रहा है। बहरहाल अगर जल्द ही रेलवे विभाग ने चन्द पैसों की लालच में यात्रियों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे जूनियर जैसे कर्मचारी के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं की तो इनकी मनमानी का शिकार भोले भाले यात्री होते रहेंगे।
जूनियर की पकड़ का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी ठेलिया रेलवे के सभी प्लेटफार्मो पर यात्रियों को भोजन परोसती हैं। भोजन भी ऐसा जिसे बनते हुए देखने के बाद हलक में रखने से पहले ही उल्टी हो जाए। ये सारा खेल खानपान विभाग की उदासीनता की चादर ओढ़ लेने की वजह से हो रहा है। बहरहाल अगर जल्द ही रेलवे विभाग ने चन्द पैसों की लालच में यात्रियों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे जूनियर जैसे कर्मचारी के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं की तो इनकी मनमानी का शिकार भोले भाले यात्री होते रहेंगे।