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फिर चला अभियान फर्जी चिकित्सकों पर, रायपुर में पकड़ाए सैकड़ों झोलाछाप डॉक्टर

छत्तीसगढ़ 19 मार्च 2017 (जावेद अख्तर). डेढ़ वर्षों​ के इन्‍तजार के बाद जागी प्रदेश सरकार द्वारा लगातार तीस दिनों से स्वास्थ्य विभाग द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों, क्लीनिकों व पैथालॉजी जांच केंद्रों पर कार्यवाही अभियान चलाया जा रहा है, जिसके चलते प्रदेश में लगभग हज़ार से भी अधिक झोलाछाप डॉक्टरों व क्लीनिकों पर कार्यवाही की गई है। वहीं सौ से अधिक पैथालॉजी लैबों पर कार्यवाही करते हुए उन्‍हें सील कर दिया गया है।


दरअसल विगत एक डेढ़ वर्षों​ में हज़ारों शिकायत व लगातार पेपरबाज़ी के बाद आखिरकार स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और निरंतर तीसरे दिन भी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही जारी है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग तथा प्रशासन की टीम ने 125 इस तरह के क्लीनिक पर ताला जड़ दिया, जबकि पहले दिन शुक्रवार को इस तरह के 356 क्लीनिक सील किये गये थे। इसके विरोध में करीब 500 झोलाछाप डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया और स्वास्थ्य मंत्री से मिलने बंगले पहुंच गए, परंतु मुलाकात नहीं हो पाई।

नहीं है अधिकार फिर भी कर रहे थे इलाज -
दिलचस्प बात यह है कि शनिवार को की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई में झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक में ऐसी दवा पाई गई है, जिसे स्वास्थ्य विभाग के अफसर देख दंग रह गए। शेड्यूल एच वन की दवा का जखीरा पाया गया। महिलाओं के जच्चा बच्चा की जांच कराने से लेकर गर्भपात की भी दवा जब्त की गई है। 

झोलाछाप पहुंचे मंत्री के पास -
स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात नहीं हो पाने के चलते शनिवार सुबह झोलाछाप डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल परिवहन व पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत से मिलने पहुंच गया। जहां पर मंत्री मूणत ने साफ कह दिया कि यदि क्लीनिक नियमों के विरुद्ध संचालित की जा रही है तो वे भी कोई मदद नहीं कर पायेंगे। इसके बाद फिर से झोलाछाप डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर से मिलने जाने लगे तो पुलिस उन्हें रोककर सिविल लाइन थाने ले गई तथा उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया। 

शासन ने तीन वर्ष पूर्व दिया आदेश - 
शासन ने साफ कर दिया था कि तीन साल पहले नर्सिंग होम एक्ट के तहत जिन्होंने लाइसेंस लिया है उन्हीं को ही क्लीनिक चलाने का अधिकार दिया है। वह भी केवल एमबीबीएस डॉक्टरों को ही पात्रता है। शेष झोलाछाप की कैटेगरी में आते हैं।

नोटिफिकेशन पर कार्यवाही -
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तथा स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त नोटिफिकेशन के आधार पर यह कार्यवाही की जा रही है। वहीं छत्तीसगढ़ के अधिकांश गांवों एवं शहरों में ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। गांवों में इनमें से कई सम्मानित व रसूखदार के तौर पर माने जाते है, जबकि इनके पास किसी भी तरह का चिकित्सीय डिग्री या डिप्लोमा नहीं होता है। मात्र कुछ महीने बतौर ट्रेनी किसी प्राइवेट नर्सिंग होम्स में काम करने के बाद गांवों में क्लीनिक खोलकर बैठ जातें हैं। सस्ती व गांव में ही सुविधा मिलने से ग्रामीण इन चिकित्सकों से उपचार करवाने लगते हैं।

नवागढ़ में भी छापामार​ कार्यवाही जारी -
जांजगीर-नवागढ़ जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। शासन के लाख कोशिशों के बाद भी इनका कारोबार चोरी छिपे चल रहा है, इसीलिए झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही का अभियान चलाया गया है। इसका पालन करते हुए सीएमएचओ डॉ. वी जयप्रकाश, नवागढ़ बीएमओ डॉ. नरेश साहू, नायब तहसीलदार अराधना प्रधान समेत आला अफसर शनिवार को ऐसे क्लीनिक में छापेमारी के लिए नवागढ़ ब्लाक के गांवों में निकल पड़े। उन्होंने जहां जहां झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक संचालित होने की सूचना मिली थी वहां-वहां दबिश देकर ताबड़तोड़ कार्रवाई की। 

कार्रवाई से मचा हड़कंप -
डॉक्टरों की टीम पहले सलखन के उप-स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। इसके बाद सलखन के शत्रुहन क्लीनिक को सील किया। क्लीनिक संचालक अफसरों को देख भाग निकला। नर्सिंग होम एक्ट के तहत सीएमएचओ की इस तरह की पहली बार कार्रवाई से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। 

पहले ही पहुंच गई सूचना, अधिकांश क्लीनिक रहे बंद -
सीएमएचओ व बीएमओ की टीम ने शनिवार को झोलाछाप डॉक्टर के क्लीनिक में छापेमारी के लिए गांवों में पहुंची परंतु अधिकांश गांवों में ऐसे ज्यादातर क्लीनिक बंद पाए गए। क्षेत्र के सलखन के कर्मभूमि मेडिकल एजेंसी बंद मिला। विक्रम पैथोलेब व दवाखाना बंद मिला। बंगाली दवाखाना भी बंद मिला। टीम आगे गोधना की ओर निकली और दो ठिकानों में छापेमारी के लिए गए लेकिन वहां पर भी दुकानें बंद मिली। तीसरे ठिकाने शुभज्योति दवाखाना में झोलाछाप डॉक्टर इलाज करते पाए गए। डॉ. एल विश्वास के खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।  वहीं सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि टीम जैसे ही सीएचएमओ के साथ अभियान पर निकली, वैसे ही ज्यादातर झोलाछाप डॉक्टरों​ को इसकी जानकारी पहले से मिल गई थी जिसके चलते अधिकांश क्लीनिक बंद करके निकल लिए वहीं कई झोलाछाप डॉक्टर तो भूमिगत हो गए। बलौदा जिले में बीएमओ यूके तिवारी, तहसीलदार व थाना प्रभारी ने कार्रवाई करते हुए झोलाछाप डॉक्टरों पवन देवांगन व खिसोरा में वायडीएस वैष्णव के क्लीनिक में दवा जब्त करते हुए कार्रवाई की।

लगातार चलेगा अभियान -
झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई होते देख उनमें दहशत का माहौल है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि अब ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है जो कि लगातार जारी रहेगा, हर रोज ऐसे डाक्टर, क्लीनिक एवं पैथालाजी लैब पर कार्रवाई की जाएगी जो कि नियमों के विपरीत संचालित हो रहे हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बताया गया कि भारत में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता इन्हीं झोलाछाप डॉक्टरों के कारण उत्पन्न हुई है। ये लोग चिकित्सीय जानकारी के अभाव में एंटीबायोटिक दवाओं को साधारण से पेट खराब या दर्द की समस्या में भी मरीजों को दे देते हैं, वह भी एंटीबायोटिक का पूरा डोज नहीं दिया जाता है। जिस कारण से बैक्टीरिया में उन एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोध की क्षमता उत्पन्न हो जाती है।गांव व शहरों के लोग भी इन अधकचरी जानकारी की अनदेखी करके इनके पास सस्ते इलाज की आशा से जाते हैं जिससे उन्हें अन्य तरह की शारीरिक क्षति पहुंचती है जिसे वे समझ नहीं पाते हैं।