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मंत्री के करीबी ठेकेदार को बचाने की योजना, बिना एफआईआर व जांच के हटा दिया मलबा

छत्तीसगढ़ 26 फरवरी 2017 (जावेद अख्तर). न्यू सर्किट हाउस की निर्माणाधीन एक्सटेंशन बिल्डिंग का स्लैब गिरने की घटना के 48 घंटे बाद भी ठेकेदार और इंजीनियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुआ है। ठेकेदार ने दो-दो जांच समितियों को ठेंगा दिखाते हुए साक्ष्य मिटाने के लिए मलबा मौके से हटा दिया है। इसके लिए मजदूरों को रात भर काम में लगाया गया और शुक्रवार की दोपहर तक पूरा मलबा साफ हो चुका था। जांच के पहले और बिना एफआईआर मौके से मलबा हटाए जाने के बारे में अधिकारियों के पास जवाब नहीं है। वहीं ठेकेदार सोहन ताम्रकार भूमिगत हो गए हैं।

घटना के अगले दिन हटा दिया गया मलबा -
सरकार के निर्देश पर घटना की जांच के लिए चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता में एक तकनीकी कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने दूसरे ही दिन से जांच शुरू करने का दावा किया था, लेकिन एेसा कुछ नहीं किया गया। इससे ठेकेदार को साक्ष्यों को मिटाने का मौका मिल गया। घटना की रात में ही मलबा हटाने का काम शुरू किया और दूसरे दिन शुक्रवार दोपहर तक सारा मलबा हटा दिया गया। शनिवार को घटना स्थल का जायजा लिया तो पता चला कि जांच​ टीम अभी तक आई ही नहीं थी और शुक्रवार की शाम 4 बजे तक ठेकेदार की ओर से लगाए गए मजदूर सारा मलबा हटा दिए। 

जांच रिपोर्ट के बाद होगी एफआईआर - 
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल की अगुवाई में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज करने को कहा। मामले में एसडीएम ने कहा कि 45 दिन के बाद मामले की जांच रिपोर्ट आ जाएगी। उसके बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी।

विकास उपाध्याय ने बोला हमला -
कांग्रेस पार्टी के विकास​ उपाध्याय ने कहा कि आरोपी ठेकेदार मंत्री व अधिकारियों का करीबी होने के चलते पुलिस एफआईआर दर्ज करने से कन्नी काट रही है और एसपी मजिस्ट्रियल जांच का हवाला देकर एफआईआर दर्ज नहीं होने का कारण बता रहें हैं। स्पष्ट है कि सभी ठेकेदार को बचाने पर लगे हुए हैं। हाईकोर्ट में निर्माणधीन ​बिल्डिंग ढहने की जांच का क्या हुआ, इसमें सांसद पुत्र ठेकेदार था। मुख्यमंत्री प्रदेश को भ्रष्टाचार-मुक्त करने और जीरो टॉलरेंस की बातें करतेंं हैं​, मगर यहां पर मौन धारण किए हुए हैं। क्या मुख्यमंत्री इसे भ्रष्टाचार नहीं मानते हैं? इस तरह से खुलेआम भ्रष्टाचार की तीसरी घटना है, यह शर्मनाक और गरीब मजदूरों के जीवन से खिलवाड़ है, विभागीय मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। 

पीडब्ल्यूडी के अधिकांश ठेके सोहन ताम्रकार के पास ही - 
पीडब्ल्यूडी के अधिकतर ठेके सोहन ताम्रकार के पास ही हैं। वह अब तक करीब 100 करोड़ रुपए के कार्य करा चुका है। वहीं निर्माण कार्य के दौरान विभाग का एक भी अधिकारी उपस्थित नहीं था। सोहन, लोक निर्माण विभाग की नौकरी छोड़कर ए-5 ठेकेदार बना है। इसी कारण सरकार, मंत्री व विभाग के आला अफसरों का भी उसे संरक्षण मिल रहा है।

ठेकेदार नहीं मानता है नियमों को - 
ठेकेदार द्वारा पीएफ और ईएसआईसी की सुविधा तक नहीं दी जाती है। घायल मजदूर सोनू ने बताया, ठेकेदार ने हर दिन की मजदूरी की दर से उन्हें काम पर रखा था, कुछेक पास के गांवों के थे। काम करने वाले अधिकतर लोग निर्माणाधीन भवन के नीचे ही रह रहे थे। उन्हें सुरक्षा के लिए भी कोई उपकरण नहीं दिए गए थे। श्रमिकों ने बताया कि सेफ्टी के नाम पर किसी को भी ठेकेदार की ओर से कोई उपकरण नहीं दिए गए थे। ठेकेदार द्वारा उन्हें पीएफ और ईएसआईसी की सुविधा भी नहीं दी जा रही।

एमएलसी रिपोर्ट मिली पुलिस को - 
पुलिस ने ठेकेदार और पीडब्लयूडी विभाग के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह का केस दर्ज नहीं किया है। पुलिस अब मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। पुलिस ने किसी तरह का मामला दर्ज नहीं किया। बताया जाता है कि ठेकेदार और अधिकारियों को बचाने के लिए उच्चस्तर पर पुलिस पर दबाव बनाया गया है। 

लीपापोती करके ही मानेंगे - 
घटना में घायल सभी 16 मरीजों की एमएलसी रिपोर्ट सिविल लाइन थाने को भेजी गई है। आमतौर पर एमएलसी रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस संबंधित ठेकेदार के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज करती है, लेकिन इस मामले में अभी तक किसी को आरोपी नहीं बनाया गया है। मेडिकल के आधार पर एफआईआर दर्ज हो सकती है मगर एफआईआर दर्ज नहीं होने से काफी हद तक सरकार व विभाग की मंशा साफ हो रही है कि घटना की लीपापोती करके ही मानेंगे, भले चाहे जो भी कर लो। 

2 को निजी अस्पताल, शेष अन्य को किया डिस्चार्ज - 
हादसे के घायल मजदूरों में से 3 को प्राथमिक उपचार के बाद गुरुवार को और 11 को मेडिकल रिपोर्ट के आंकलन के बाद शुक्रवार को डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं, 2 गंभीर रूप से घायल दीपक डहरिया और भूषण साहू को पचपेढ़ीनाका के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इन दोनों को सिर और गाल में गंभीर चोटें आई थीं। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया था कि अंबेडकर अस्पताल में घायलों का बेहतर इलाज होगा। गंभीर घायल के परिजनों ने सीएम से निजी अस्पताल में इलाज करने की बात कही थी।

गंभीर घायलों को डिस्चार्ज करने से मामला संदेहास्पद बना -
घटना के दिन आंबेडकर अस्पताल के ट्रामा वार्ड में कुल 16 घायल मजदूर लाये गए थे जिनमे से कई गंभीर रूप से घायल थे तो कई चलने फिरने की हालात में नहीं थे। परंतु 24-48 घंटे के दौरान अचानक ही 13 मज़दूरों को डिस्चार्ज क्यों कर दिया गया एवं 03 मज़दूरों को प्राइवेट हास्पिटल में रेफर क्यों कर दिया गया। क्या राजधानी के सबसे प्रमुख सरकारी अस्पताल में इतनी भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है? जबकि सरकार दावा करती है कि अंबेडकर अस्पताल अत्याधुनिक तकनीक मशीनों एवं अन्य सुविधाओं से परिपूर्ण हैं एवं काफी भारी बजट भी दिया जाता है। ऐसे में प्रश्न उठना स्वाभाविक है। वहीं मज़दूरों से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी जा रही है। इससे कई अनसुलझे सवाल हैं, जो कि घटनाक्रम को रहस्यमयी बना दे रहें हैं। इन गरीब मजदूरों को सरकार द्वारा घोषित मुआवज़े की राशि मिली है या नहीं? मज़दूरों से मुलाकात न हो पाने के कारण इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। 

16 घायल मजदूरों के नाम इस प्रकार से हैं -
 1)गुड्डू 2)देवीप्रसाद 3)रमतु यादव 4)मनीराम 5)विजय कुमार 6)उत्तम कुमार 7)अशोक 8)शिव कुमार 9)भूषण 10)राकेश 11)ओमप्रकाश 12)लाला चंद्राकर 13)सोनू 14)दीपक डहरिया 15)अमित दास 16)जीत सिंह



* घटना एवं मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज किया जा सकता है परंतु प्रशासन मजिस्ट्रियल जांच के बाद एफआईआर दर्ज करेगा। ठेकेदार के विरूद्ध अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं करना भ्रष्टाचारी को सरंक्षण देना है। - भूपेश बघेल, अध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी

* राजनीतिक रसूखदार ठेकेदार की हिम्मत तो देखिए कि बिना जांच के मलबा हटवा दिया और सरकार सोती रही। - विकास उपाध्याय, कांग्रेस पार्टी 

* यदि घटना स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई है तो यह साक्ष्य मिटाने का प्रयास है। इस संबंध में पीडब्लूडी के अधिकारियों से बात करता हूं। - ओ.पी. चौधरी, कलक्टर रायपुर 

* मजिस्ट्रियल जांच होने की वजह से पुलिस अभी जांच नहीं कर रही है। जांच रिपोर्ट में लापरवाही के चलते घटना घटित होना पाया जाएगा तो संबंधितों के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाएगा। - डॉ. संजीव शुक्ला, एसपी, रायपुर

* जांच के बाद ही घटना की वजह पता चलेगी। मलबा हटाने की जानकारी नहीं है। संबंधितों से पूछा जाएगा। - सुबोध कुमार सिंह, सचिव,  लोक निर्माण विभाग