छत्तीसगढ़ - शिक्षामंत्री की पत्नी ने फर्जी परीक्षा दिलवायी, विरोध ज्ञापन प्रदर्शन के बाद भी नहीं हुयी कार्यवाही
छत्तीसगढ़ 30 अगस्त 2015 ( जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ प्रदेश में राज्य सरकार के मंत्री, करीबी लोग, वामहस्त अधिकारी, कर्मचारी व कार्यकर्ता जो कुछ भी कर जाए वो कम ही है, एक के बाद एक करके अभी तक गबन घोटालों का सच बाहर आता रहा है मगर इस बार राज्य की भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री विवादों के घेरे में हैं। प्रदेश के शिक्षामंत्री की पत्नी पर परीक्षा केन्द्र लोहाण्डीगुड़ा में एमए अंतिम वर्ष के अंग्रेजी विषय की परीक्षा में किसी अन्य महिला को बैठाकर अपना पर्चा हल कराने का आरोप लगा है।
राज्य के जिम्मेदार स्कूली शिक्षामंत्री के पद का दुरूपयोग करते हुये उनके परिजनों का इस तरह की अापराधिक घटनाओं में संलिप्त होना प्रदेश एवं शिक्षा जगत के लिये दुर्भाग्यजनक है। इसके लिये आरोपी शांति कश्यप पर अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए था और जांच की जानी चाहिए थी मगर राज्य शासन और प्रशासन ने ऐसा कुछ भी नहीं किया बल्कि राज्य सरकार तो सीधे सीधे शिक्षा मंत्री के बचाव में उतर आई। घटना की जानकारी सार्वजनिक होते ही राज्य सरकार एवं प्रशासनिक अमला शांति कश्यप फर्जी-परीक्षा कांड की लीपापोती करने में जुटा है। सबसे हास्यापद यह रहा कि जैसे ही यह सूचना बाहर निकली वैसे ही मीडिया ने राज्य के शिक्षामंत्री केदार कश्यप से इस बारे में जानकारी चाही तो उस समय शिक्षामंत्री ने बिना हिचके कह दिया था कि मेरी पत्नी एमए कर ही नहीं रही है और यह सभी बातें सिरे से बकवास है। परन्तु सच तो सच ही होता है, वो बाहर निकल ही आता है। मीडिया ने थोड़ी सी जांच पड़ताल की जिसमें पुष्टि हो गई कि इस फर्जी परीक्षा कांड को राज्य के शिक्षामंत्री केदार कश्यप की पत्नी शांति कश्यप द्वारा ही अंजाम दिया गया है। परीक्षा के सभी फार्मों को शिक्षामंत्री की पत्नी शांति कश्यप द्वारा ही भरा गया था व अन्य कई प्रमाण भी प्राप्त हुए जिससे घटना की पुष्टि हुई है।
राज्य में शिक्षा का स्तर कितना अच्छा व श्रेष्ठ हो सकता है, संभवतः अब शायद ही किसी को कुछ समझाने या बताने की आवश्यकता होगी, क्योंकि हरेक व्यक्ति इतना तो समझ ही सकता है। वैसे यह तो स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में पिछले कई वर्षों से शिक्षा के स्तर में क्यों लगातार गिरावट आती ही जा रही है। जब शिक्षा मंत्री की पत्नी फर्जी परीक्षा जैसे कांड को अंजाम दे सकती हैं तो फिर विभागीय सचिव, उच्चाधिकारी व अधिकारी तो दो चार हेरफेर या फर्जीवाड़ा कर ही सकते हैं क्योंकि "सैंया भये कोतवाल, तो डर काहे का "
अमीर व गरीब द्वारा जुर्म और कार्रवाई में अंतर
एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकर के शिक्षामंत्री केदार कश्यप की पत्नी श्रीमती शांति कश्यप ने पंडित सुन्दर लाल शर्मा वार्षिक परीक्षा में लोहंडीगुड़ा अध्यन केंद्र में अंग्रेजी विषय केे एम.ए. अंतिम पेपर में किसी अन्य महिला किरण मौर्य से 4 जुलाई 2015 को आयोजित परीक्षा में अपना पर्चा फर्जी तरीके से लिखाया। लेकिन अब तक उक्त घटना के सम्बन्ध में कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई, क्योंकि यह मामला बड़े लोगों से जुड़ा है। लेकिन बीजापुर जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इल्मीडि में वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल की परीक्षा में उक्त घटना की तरह ही इल्मीडि परीक्षा केंद्र में एक छात्र की जगह दूसरे छात्र ने परीक्षा दी तो उक्त केंद्र के प्राचार्य ने बिना विलम्ब किये एफ़आईआर दर्ज करायी और उक्त परीक्षा में सम्मिलित दोनों लड़कों पर दिनांक 13/5/2014 को कार्यवाही करते हुए थाना अवपल्ली के पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया था। मगर इसके लिए राज्य की भाजपा सरकार व अन्य किसी ने भी आपत्ति नहीं की और न ही जांच की बात को बोलकर मामले में लीपापोती करने का प्रयास ही किया गया जबकि देखने से समझ आता है कि यह घटना भी लोहंडीगुड़ा में घटी घटना के सामान ही है। अंतर सिर्फ इतना है की लोहंडीगुड़ा की घटना एक मंत्री से सम्बंधित है, तो एफआईआर क्यों नहीं हुई? क्योंकि ये बड़े लोग हैं, जबकि ठीक वैसा ही कार्य एक अन्य सामान्य या साधारण व्यक्ति करता है तो एफआईआर भी दर्ज हो गई और उन दोनों को जेल भी जाना पड़ गया। ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि दूसरी घटना एक गरीब आदिवासी से जुड़ा हुआ मामला है इसलिए एफआईआर तुरंत हो गई जबकि मंत्री जी बड़े पद में होने के कारण राज्य शासन व प्रशासन ने जाँच पड़ताल व पुष्टि हो जाने के बाद एफआईआर होगी। आखिर ऐसा भेद क्यों?
क्या कानून गरीबों पर ही लागू होता है
राज्य सरकार के शिक्षामंत्री केदार कश्यप की धर्मपत्नी शांति कश्यप द्वारा फर्जी-परीक्षा कांड का मामला सामने आ जाने के बाद कांग्रेस समेत अन्य लोगों ने भी विरोध जताया, सोशल मीडिया पर यह मामला चर्चा का विषय बना रहा, तो वहीं सोशल मीडिया पर ही इस मामले पर कई प्रकार के जोक्स तक बनाए गए, कविता व तुकबंदी तक लिखा गया। कुल मिलाकर राज्य में भाजपा सरकार की जितनी अधिक छीछालेदर, तीसरी बार राज्य सरकार बनने के बाद से हो रही है शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा। बहरहाल राज्य की भाजपा सरकार को विवादों में रहना पसंद आ चुका है या अब इन्हें इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि केन्द्र व राज्य दोनों ही जगहों पर एक ही सरकार है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय के जयस्तंभ चौक पर धरना प्रदर्शन किया व आंदोलन किया और शिक्षामंत्री का पुतला तक दहन किया गया। विरोध एवं धरना प्रदर्शन के बाद माननीय राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था। ज्ञापन सौंपने में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सहित आदि सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद थे। बहरहाल यह मामला भी अन्य मामलों की ही तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और शायद अब राज्य सरकार इस मामले को भुलाकर या अनदेखा करके आगे बढ़ चुकी है। इसलिए इस मामले पर भी कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती है ठीक वैसे ही जैसे कई अन्य मामलों को राज्य सरकार दबा कर भुला चुकी है। और पूछने पर भी अब याद नहीं आता है कि राज्य में ऐसा कोई मामला भी कभी हुआ था।
मशक्कत के बाद एफआईआर दर्ज मगर मंत्री की पत्नी का नाम ही नदारद
प्रशासन ने गुरुवार को लोहंडीगुड़ा के परीक्षा केन्द्राध्यक्ष हेमराव खापर्डे तथा सुपरवाइजर रमेश नागे को निलंबित कर दिया है। बस्तर पुलिस के द्वारा दर्ज एफआईआर में छत्तीसगढ़ की शिक्षामंत्री या शांति कश्यप तथा उनके स्थान पर कथित तौर पर परीक्षा देने वाली उनकी रिश्तेदार किरण मौर्य के नाम का उल्लेख नहीं है। जब मीडिया ने उस महिला से पूछताछ शुरु की तो महिला परीक्षा छोड़ कर चली गई थी। इस मामले में छत्तीसगढ़ के शिक्षामंत्री केदार कश्यप ने दो दिन तक अपनी पत्नी के परीक्षा को लेकर अनभिज्ञता जताई थी। इसके बाद दावा किया कि उनके खिलाफ़ राजनीतिक साज़िश की गई है। केदार कश्यप ने कहा, "पूरे मामले की जांच हो रही है और मैं जांच में पूरा सहयोग करुंगा। जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ़ कार्रवाई होनी ही चाहिए"
अब शिक्षामंत्री का पीए नकल करते पकड़ाया
छत्तीसगढ़ के शिक्षामंत्री केदार कश्यप के पीए परीक्षा में नकल करते पकड़े गये हैं। मंत्री केदार कश्यप पहले से ही अपने पत्नी के स्थान पर दूसरे के द्वारा परीक्षा देते पकड़े जाने के कारण विवादों में हैं। अब उनके पीए ने उनके लिये नई परेशानी खड़ी कर दी है। गौरतलब है कि 31 जुलाई को छत्तीसगढ़ के शिक्षामंत्री केदार कश्यप के पीए किरण नाग को विकासखण्ड माकड़ी के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित परीक्षा में उड़नदस्ते ने पकड़ा। इसके बाद किरण नाग ने खुद को शिक्षा मंत्री का पीए बताकर धौंस दिखाई, इसके बावजूद उड़नदस्ता प्रभारी डॉ डीजे पटेल ने नकल का प्रकरण बनाकर विद्यालय के प्राचार्य को सौंप दिया। पंडित सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बंसी गोपाल सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुये कहा कि मंत्री कश्यप के पीए किरण नाग को हिन्दी साहित्य में एमए अंतिम वर्ष की परीक्षा में नकल करते रंगे हाथों पकड़ा गया है।