शहादत का अपमान, फंसी छत्तीसगढ़ सरकार
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार को सुकमा में मारे गए
14 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के 'अपमान' पर गृह मंत्रालय को जवाब देना है।
नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों के बूट और वर्दी रायपुर में अंबेडकर
हॉस्पिटल के बाहर कूड़े के ढेर पर पड़े मिले थे। इसी अस्पताल में मंगलवार
को इन जवानों का पोस्टमॉर्टम हुआ था।
शहीद हुए जवानों का सामान 24 घंटे से
ज्यादा समय तक कूड़े पर पड़ा रहा था और इसे कुछ मरीजों के रिश्तेदारों ने
सबसे पहले देखा था। उन्होंने इसकी फोटो लेकर पत्रकारों को दी थीं। अब गृह
मंत्रालय ने पूरे मामले पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। इस
विवाद पर सीआरपीएफ के डीआईजी का कहना है कि राजनीतिक दल इस घटना से भी
फायदा उठाने की कोशिश में हैं। उन्होंने कहा, कांग्रेस कार्यकर्ता शहीदों
का सामान अपने साथ ले गए और प्रदर्शन करने लगे थे। उन्होंने मामले की जांच
का भरोसा दिलाया है। इस बारे में
राज्य कांग्रेस प्रमुख भूपेश बघेल का कहना था कि रमन सिंह सरकार ने शहीदों
का सामान कूड़े में फेंक दिया था और और हम उनके सामान को 'सम्मान से अंतिम
संस्कार करने' के लिए अपने साथ ले गए थे। आपको बता दें कि, किसी
मृतक के सामान को उसके परिजनों की मर्जी से ही कोई अपने साथ ले जा सकता है,
बिना परिजनों के इजाजत के ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आता है। वहीं, अस्पताल का कहना
था कि पोस्टमॉर्टम के समय कोई भी सीआरपीएफ अधिकारी मौजूद नहीं था और अगली
सुबह तक भी कोई उनका सामान लेने नहीं पहुंचा। हमने वह सामान मोर्चरी में
रखा था और सुबह सफाईकर्मी ने उसे बाहर कर दिया। जबकि, सीआरपीएफ के आईजी
एचएस सिद्धू ने सामान को संभालने की जिम्मेदारी अस्पताल और पुलिस पर डाली
है।