भारत के १२ हजार गांवों में आज भी चलता है अंग्रेजी कानून
देहरादून। देश से अंग्रेजों की हुकूमत खत्म हुए 67 साल बीत गए लेकिन उत्तराखंड के
12 हजार से ज्यादा गांवों में आज भी उन्हीं का कानून चल रहा है। इन जिलों में सिविल पुलिस नहीं है। कानून व्यवस्था सम्भालने का काम पटवारी करते हैं। राज्य गठन के बाद इन गांवों में कानून व्यवस्था संभालने वाले पटवारियों
ने कई बार विरोध भी किया।
पटवारियों के आंदोलन के बाद रेवेन्यू पुलिस एक्ट
बना तो दिया गया लेकिन आज तक कैबिनेट के सामने पेश नहीं किया गया। ब्रितानी हुकूमत ने अपनी नीतियों के लिहाज से राजस्व वसूली और कानून
व्यवस्था संभालने के लिए दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में पटवारी पद सृजित किए
थे। इसके लिए तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर उत्तराखंड डिवीजन ने नियमावली बना दी
थी। देश आजाद हो गया, उत्तराखंड प्रदेश बन गया लेकिन अभी तक प्रदेश के 11
जिलों में इसी नियमावली के मुताबिक काम हो रहा है। उत्तराखंड के राज्य बनने के बाद
पटवारियों ने ब्रिटिश कमिश्नर की नियमावली में संशोधन करने की मांग उठाई। पर्वतीय पटवारी (राजस्व पुलिस सम्वर्गीय) महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष
धीरेंद्र सिंह कुमांई ने बताया कि प्रदेश सरकार से कहा गया कि अगर इस
ब्रितानी कानून को खत्म नहीं किया जा सकता तो इस संशोधित ही कर दिया जाए या
फिर ताजा हालात के लिहाज से परिभाषित किया जाए। प्रदेश सरकार ने नियमावली में संशोधन के लिए कमेटी गठित कर दी। कमेटी की
रिपोर्ट के आधार पर एक्ट भी बन गया। लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया
गया। कैबिनेट के सामने इसे पेश ही नहीं किया गया। पर्वतीय गांवों में अब भी
ब्रितानी कानून का राज चल रहा है। पटवारियों का कहना है कि राजस्व गांवों
का माहौल अब बिल्कुल बदल चुका है, ब्रितानी हुकूमत के समय जैसी स्थिति नहीं
है।