मोदी सरकार को करना पड़ सकता बुरे दिनों का सामना
नई दिल्ली। मोदी सरकार के लिए गुरुवार
को ही दो अच्छी खबरें आई थीं। मार्च के मुकाबले में उद्योगों के उत्पादन
में विकास दर 2.9 फीसदी बढ़कर 3.4 हो गई, जबकि खुदरा बाजार में महंगाई की
दर घट गई है।
खुदरा बाजार में महंगाई मई में 8.28 पर्सेंट रही जो अप्रैल
में 8.59 थी। नरेंद्र मोदी के पास भले ही
भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए महात्वाकांक्षी योजनाएं हों,
लेकिन इन्हें लागू करने से पहले उन्हें एक बड़ी चुनौती से निपटना होगा। यह
चुनौती राजनीतिक या आर्थिक नहीं बल्कि प्राकृतिक है। इस साल भारत में सूखे
का खतरा मंडरा रहा है। कमजोर मॉनसून के कारण खाने-पीने की चीजों में कमी की
वजह से महंगाई के बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में मोदी सरकार भी इस
चुनौती से निपटने की तैयारी में जुट गई है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह
ने कहा कि कमजोर मॉनसून की संभावनाओं के मद्देनजर सभी राज्यों को ऐडवाइजरी
जारी कर दी गई है और उनसे हर संभव तैयारियां करने के लिए कहा गया है। सिंह
ने बताया कि देश में खाद्यान्न की कमी नहीं है, इसलिए हमारा पूरा ध्यान
इसके उचित भंडारण और सप्लाई व्यवस्था पर है। गौरतलब है कि मौसम विभाग पहले
कह चुका है कि इस साल मॉनसून 8 से 10 फीसदी कमजोर रह सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि
खराब मॉनसून मोदी के आर्थिक विकास के प्लान पर पानी फेर सकती है। महंगाई और
कमजोर मॉनसून से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों
के साथ अहम बैठक की है। बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि महंगाई पर कैसे
काबू पाया जाए। इसके लिए खाद्य वितरण को भी दुरुस्त करने की कोशिश है। कुछ
वस्तुओं के निर्यात पर भी रोक लगाई जा सकती है।