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'बैलून काइफोप्लॉस्टी स्पाइन फ्रैक्चर' से होगा सटीक इलाज

नई दिल्‍ली। रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) के फ्रैक्चर के इलाज में बैलून काइफोप्लॉस्टी बेहतरीन तकनीक के रूप में सामने आ चुकी है। बैलून काइफोप्लॉस्टी रीढ़ की हड्डी की विकृति में भी कारगर है। इसके अलावा यह स्पाइन के ट्यूमर में और ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाले फ्रैक्चर में भी प्रभावी है।
पारंपरिक सर्जरी में ज्यादा चीर-फाड़ की जाती है। इस स्थिति में रोगी की रीढ़ की हड्डी के मुलायम टिश्यूज और मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं बैलून काइफोप्लास्टी में बहुत कम चीर-फाड़ की जाती है, जिससे रोगी के रक्त का ज्यादा नुकसान नहीं होता। इसमें रोगी के रीढ़ की हड्डी के मुलायम टिश्यू और मांसपेशियों को भी ज्यादा क्षति नहींपहुंचती। रोगी की जल्दी रिकवरी होती है। 24 घंटे के अंदर चलने-फिरने में समर्थ हो जाता है। जल्द ही व्यक्ति रोजमर्रा की जिंदगी के काम करने में सक्षम हो जाता है। बैलून काइफोप्लॉस्टी तकरीबन एक घंटे की प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत रीढ़ की टूटी हड्डी में सुधार किया जाता है। इसमें बैलून की मदद से टूटी हड्डी को उठाकर सही स्थिति में रखते हैं। फ्रैक्चर ग्रस्त हड्डी को ठीक रखने के लिए 'बोन सीमेंट' लगाया जाता है।  इसके बाद रोगी को एक दिन तक देखभ्भाल के लिए रखा जाता है, लेकिन रोगी की मेडिकल जरूरत के हिसाब से इसे बदला भी जा सकता है।इसके अच्छे परिणामों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 90 प्रतिशत रोगियों को 24 घंटे में ही दर्द से आराम मिल जाता है। बैलून काइफोप्लास्टी की प्रक्रिया शुरू करने से पहले रोगी की कई मेडिकल जांचें जैसे एक्स रे, एमआरआई, सीटी स्कैन और डेक्सा स्कैन आदि करायी जाती हैं।