पूर्व राष्ट्रपति मंडेला का निधन, भारत में पांच दिन का राष्ट्रीय शोक
जोहांसबर्ग। दक्षिण
अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन
हो गया। यह जानकारी
राष्ट्रपति जैकब जुमा ने गुरुवार रात दी, मंडेला 95 वर्ष के थे। सूत्रों के मुताबिक, फेंफड़े में संक्रमण की वजह से उन्हें तीन माह तक अस्पताल
में रहना पड़ा था, जिसके बाद
उन्हें उनके घर में ही गहन चिकित्सा सुविधा के दायरे में रखा गया था।
जुमा ने
राष्ट्रीय टेलीविजन पर वक्तव्य जारी कर कहा मंडेला नहीं रहे। हमारे देश ने एक
महान बेटे को खो दिया। जुमा ने कहा कि मंडेला को राजकीय सम्मान के साथ
विदाई दी जाएगी और राष्ट्रीय झंडा झुका रहेगा। जुमा के अनुसार, मंडेला का शव प्रिटोरिया स्थित कब्रिस्तान
ले जाया जाएगा और अंतिम संस्कार शनिवार को होने की संभावना है। नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित
मंडेला विश्व के श्रेष्ठ नेताओं में थे। वह 2004 में राजनीति से सन्यास लेने के बाद से सार्वजनिक स्थान
पर बेहद
कम नजर आते थे। उन्हें 2010 में
दक्षिण अफ्रीका में आयोजित फुटबॉल विश्वकप में आखिरी बार सार्वजनिक स्थान पर
देखा गया था। जुमा ने कहा, "मंडेला को उनकी इंसानियत ने महान बनाया था। हमने उनमें वह देखा है,
जो हम खुद में चाहते थे। देशवासियों को मंडेला ने
हमें साथ लाया और हम साथ में उन्हें अंतिम विदाई देंगे
सरकार ने दक्षिण
अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन पर पांच दिन के राष्ट्रीय शोक
की घोषणा की हैा केन्द्रीय गृह मंत्रालय से आज यहां मिली जानकारी के अनुसार डॉ. मंडेला के निधन पर
छह से 10 दिसम्बर तक
राष्ट्रीय शोक रखा जायेगा। इस दौरान समूचे देश में राष्ट्रध्वज झुका रहेगा और कोई भी सरकारी समारोह
आयोजित नहीं किया जायेगा। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभाकर दुनियाभर
में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेल्सन मंडेला ने ना
सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को, बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी
स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था। अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटे मंडेला अपने
देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे, जिससे देश पर अब तक चले आ रहे
अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली
लोकतंत्र का उदभव हुआ। मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों में
दक्षिण अफ्रीका के उनके आंदोलनों से प्रेरित थे। मंडेला ने भी हिंसा पर
आधारित रंगभेदी शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से संघर्ष किया