BJP को सत्ता में लाने के लिए मोदी के सामने पहाड़ जैसी चुनौती
नई
दिल्ली। नरेंद्र मोदी बीजेपी के
प्रधानमंत्री उम्मीदवार बन गए हैं, लेकिन
पार्टी के अंदर चल रही खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है। मोदी के 'पीएम इन वेटिंग' बनने के बाद अब चर्चा है कि वह इलेक्शन कैंपेन कमिटी के
चेयरमैन का पद छोड़ देंगे।
ऐसे में अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के बीच इस पद के
लिए होड़ हो सकती है।
आडवाणी
से मिलने आज सुबह सुषमा स्वराज, अनंत
कुमार और मुरलीधर राव उनके घर पहुंचे। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि ये नेता इसलिए उनसे मिलने
गए हैं ताकि आडवाणी को यह न लगे कि उन्हें अलग-थलग कर दिया गया है। आडवाणी लंबे
समय से बीजेपी की ताकत रहे हैं, इसलिए मोदी लंबे समय तक उन्हें नाराज रखने का जोखिम नहीं लेंगे। आडवाणी को मनाना उनकी
प्राथमिकताओं में शुमार होगा। जानकारों के मुताबिक, मोदी के लिए आगे की राह आसान नहीं है। जहां उनके सामने
आडवाणी की नाराजगी को दूर करने की चुनौती है, वहीं यह सुनिश्चित करना होगा कि अब वह इस तरह के अंदरूनी कलह से दो-चार
न हो। बीजेपी
ने भले ही 2014 में 272 प्लस का टारगेट रखा
है, लेकिन वह भी जानती है कि
मौजूदा परिदृश्य में यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है। बीजेपी की मौजूदगी करीब 375
लोकसभा सीटों पर है, करीब 170 सीटों पर पार्टी का कोई नाम लेने वाला भी नहीं है। ऐसे में गठबंधन के रूप में महज अकाली दल और
शिवसेना के सहारे 273 का आंकड़ा
हासिल करना लगभग नामुमकिन है। हालांकि, येदयुरप्पा ने पार्टी में लौटने के संकेत देकर और जयललिता व बाबूलाल
मरांडी ने मोदी को बधाई देकर सकारात्मक संदेश दिया है। बीजेपी के पास फिलहाल लोकसभा में 116 सीटें हैं, उसे अगर अगली सरकार बनानी है तो इस आंकड़े को 200
के पार ले जाना होगा। मध्य प्रदेश,
छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड और
गुजरात में बीजेपी पहले भी मजबूत स्थिति में रही है। इस बार भी इन सूबों में बीजेपी के बढ़िया प्रदर्शन की उम्मीद है। सीट
बढ़ाने के लिए पार्टी को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम
बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार और कर्नाटक में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। इन राज्यों में लोकसभा
की कुल 301 सीटें हैं और मोदी के
सत्ता तक पहुंचने का रास्ता इन्हीं राज्यों से निकलेगा।