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सर्वाइकल कैंसर से ऐसे करे बचाव

नई‍ दिल्‍ली। भारतीय महिलाएं सबसे अधिक बच्चेदानी के मुख या इसके अग्र भाग (सर्विक्स) के कैंसर से ग्रस्त होती हैं। महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का यह एक प्रमुख कारण है। कुछ सजगताएं बरतकर इस कैंसर को शिकस्त दी जा सकती है। बच्चेदानी के अग्र भाग को सर्विक्स कहते हैं।
माहवारी यहीं से होती है। सर्विक्स में कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहते हैं।
इसके लक्षण:
  • पीड़ित महिला के जनन अंग से असामान्य रूप से रक्त बहना।
  • माहवारी के दौरान असामान्य रूप से रक्त का बहना।
  • जनन अंग (वैजाइना) की सफाई के बाद या सेक्स के बाद रक्तस्राव होना।
  • बीते दिनों की तुलना में माहवारी का असामान्य रूप से लबा होना या अत्यधिक खून बहना।
  • रजोनिवृत्ति (मैनोपॉज) के बाद भी रक्त का बहना।
  • जनन अंग (वैजाइना) से असामान्य रूप से दुर्गन्धयुक्त पीले रंग का द्रव निकलना।
  •  कमर की हड्डी में दर्द।
  • शारीरिक संबंध में दर्द होना।

अगर सर्विक्स में ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस (एच पी वी) का सक्रमण है, तो इससे सर्वाइकल कैंसर होने की आशकाएं बढ़ जाती हैं। सर्वाइकल कैंसर के अनेक मामलों में दर्द नहीं होता है। पीड़िता को पता भी नहीं होता है कि वह कैंसर से ग्रस्त है। लम्बे समय तक एचपीवी के सक्रमण से कैंसर हो सकता है। नियमित रूप से सर्विक्स की जांच से आप कैंसर से बच सकती हैं। पैप स्मीयर टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है। शीघ्र व समुचित इलाज से इसे रोका जा सकता है। लैपेरोस्कोपिक रेडिकल हिस्टेरेक्टॅमी सर्जरी के द्वारा सर्विक्स, अंडाशय और गर्भाशय से सबधित कैंसरों का इलाज किया जाता है। यह तकनीक सबसे ज्यादा उपयोग में लायी जा रही है। सर्जरी के एक सप्ताह के बाद पीड़िता पूरी तरह स्वस्थ हो जाती है।