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सड़क घोटाले में तीन अफसर निलंबित

कानपुर। यूपीएसआईडीसी में भ्रष्टाचार की नदी बहाने वाले अफसरों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत चकेरी में कागजों पर सड़क बनाकर दो करोड़ से ज्यादा की रकम का गोलमाल करने वाले अफसरों से हुई है। इस मामले में तीन अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। प्रबंध निदेशक मनोज सिंह ने कैग की आपत्तियों के बाद यह कार्रवाई की है। इस खबर से यूपीएसआईडीसी में खलबली मची है। माना जा रहा है कि जल्द ही कुछ और अफसरों पर कार्रवाई होगी।

वर्ष 2009 में नेशनल हाईवे से पाली गांव होकर चकेरी औद्योगिक क्षेत्र में जाने वाली तीन किलोमीटर सड़क का निर्माण यूपीएसआईडीसी ने किया था। इसके आगे की 1940 मीटर सड़क को पीडब्ल्यूडी ने बनाया था। इसे हिस्से को भी यूपीएसआईडीसी के अधिशाषी अभियंता अजीत सिंह, सहायक अभियंता नागेंद्र सिंह और अवर अभियंता एसके वर्मा ने मेसर्स कार्तिक इंटरप्राइजेज फर्म द्वारा बनाए जाने की बात कहते हुए 12 जनवरी, 2009 को 2 करोड़ 11 लाख रुपए पास करा लिए थे। यूपीएसआईडीसी से दो किस्तों में इस रकम का भुगतान कर दिया गया था। कार्तिक इंटरप्राइजेज फर्म लैकफेड घोटाले के मुख्य आरोपी और पूर्व चेयरमैन अजीत कटियार की है। पिछले शासन ने इस घपले पर पर्दा पड़ा रहा। मगर तीन माह पूर्व मामला खुला तो यूपीएसआईडीसी के पूर्व प्रबंध निदेशक इफ्तेखारुद्दीन ने अजीत सिंह, नागेंद्र सिंह और एसके वर्मा और फर्म कार्तिक इंटरप्राइजेज के खिलाफ चकेरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई। उस वक्त इन्हें निलंबित नहीं किया गया था। इधर कैग द्वारा यूपीएसआईडीसी में बीते पांच वर्षों में हुए कार्यों का ऑडिट किया गया तो बड़ी संख्या में गड़बडि़यां सामने आईं। कैग ने वर्तमान प्रबंध निदेशक मनोज सिंहसे इन मामलों पर हुई कार्रवाई के बारे में भी पूछा। इसके बाद इन तीनों को निलंबित कर दिया गया। प्रबंध निदेशक मनोज सिंह ने निलंबन की पुष्टि करते हुए कहा कि ऑडिटर की आपत्तियों के चलते यह कार्रवाई की गई है।

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