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विदेशी दौरों पर मंत्रियों ने अरबों लुटाए

नई दिल्ली। ऐसे वक्त में जब देश आर्थिक मंदी के झटके झेल रहा हो, केंद्र सरकार के मंत्रियों पर इसका खास असर देखने को नहीं मिला। इस दौर में केंद्र के मंत्रियों ने अपने दौरों में रेकॉर्ड खर्च किए। महज एक साल के अंदर इन दौरों पर होने वाला खर्च 12 गुणा तक बढ़ गया। इसका खुलासा आरटीआई ऐक्ट के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।
बीते वित्तीय साल में इन दौरों के लिए 47 करोड़ का बजट आवंटित हुआ था। लेकिन खर्च 6 अरब रुपये से भी अधिक हो गया। यह पहला मौका है जब दौरों पर हुए खर्च ने 1 अरब का आंकड़ा पार किया। खबरों के मुताबिक, दौरों पर हो रहे अंधाधुंध खर्च को लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सवाल खडे़ किए थे और कटौती की दिशा में महंगे होटल में मीटिंग करने से परहेज करने के अलावा दौरों पर भी कम खर्च करने की सलाह दी थी।
मंत्रियों की शाहखर्ची का खुलासा सुभाष चंद्र अग्रवाल की आरटीआई से हुआ है। तीन जुलाई के आरटीआई आवेदन के जवाब में गृह मंत्रालय ने मंत्रियों के यात्रा खर्चो के बारे में जानकारी दी है। वित्तीय वर्ष 2010-11 में केंद्रीय मंत्रियों की यात्राओं का खर्च 56 करोड़ 16 लाख रुपये था, जो 2011-12 में 12 गुना बढ़कर 678 करोड़ 52 लाख साठ हजार रुपये तक पहुंच गया, जबकि 2011-12 के लिए यात्राओं का अनुमानित बजट महज 46 करोड़ 95 लाख रुपये था। हालांकि 2009-10 में यात्रा का अनुमानित बजट जहां एक अरब साठ करोड़ 70 लाख रुपये था लेकिन उस साल यात्रा खर्च आम चुनाव की वजह से 81 करोड़ 54 लाख रुपये के करीब रहा। 

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