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हाय हाय महंगाई , तू आखिर कहाँ से आई


महंगाई में लगातार तेजी की आखिरकार क्या वजह है? पूरी दुनिया में खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही हैं, इस्पात और ताम्बा जैसे धातुएं नई ऊंचाई छू रहे हैं और कच्चे तेल की कीमत में तो मानो आग ही लग गई है। आखिरकार कमोडिटी में इस भयानक तेजी की क्या वजह है?

कहीं मायूसी तो कहीं जश्न का माहौल है। अमेरिका का डाओ जोंस अपनी ऊंचाई से 20 फीसदी नीचे है, भारत का सेंसेक्स इसी साल 40 फीसदी गिर चुका है। चीन के शंघाई सूचकांक का तो हाल और भी बुरा है, यह अपने उच्चतम स्तर से 60 फीसदी से भी ज्यादा नीचे चला गया है। लेकिन कच्चा तेल इसी साल 50 फीसदी महंगा हुआ है।अनाज की कीमतें पिछले छः महीने में 50 फीसदी बढ़ी हैं, कच्चा लोहा पिछले एक साल में 70 फीसदी महंगा हुआ है। आखिर यह क्या हो रहा है?

अमेरिकी कांग्रेस की मानें तो सारा खेल सटोरियों का है। शेयर बाजार से तो मुनाफा नहीं मिल रहा है। इसलिए सारे बड़े सटोरिये कमोडिटी वायदा में जमकर पैसा लगा रहे हैं। जहां 2003 में कमोडिटी वायदा में कुल निवेश महज 13 अरब डॉलर का था, यह 2008 के मार्च में बढ़कर 260 अरब डॉलर हो गया। यानी पांच साल में ही करीब 20 गुना बढ़ोतरी हुई है।यही वजह है कि कच्चा तेल, धातु, खाने का तेल, गेहूं, चावल, मक्का लगभग सारी वस्तुओं की कीमतों में पिछले एक साल से बेतहाशा तेजी रही है।

दुनियाभर के बाजार में सट्टेबाजी की वजह से जिन चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए उसने हमारी महंगाई को भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया है और सरकार इसी का सहारा ले रही है कि यह आयातित महंगाई है। हमारा कोई कसूर नहीं है।
तो भाई तुम भी कहो :- हाय हाय महंगाई .........

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