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खरी खरी – न खाता न बही, जो एसओ साहब बोलें वो ही सही

कानपुर 15 फरवरी 2016. भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्‍ती तो है नहीं। बात कानपुर के एक थाने की है। यहां के एसओ साहब अपने को एसओ नहीं सीएम समझते हैं, थाने में बैठना उनकी शान के खिलाफ है इसलिये बगल के होटल से सरकारी कामकाज निपटाते हैं। अब इसमें भला किसी को क्‍या एतराज हो सकता है, काम तो पूरा हो रहा है न।

हमें भी कोई एतराज नहीं होता लेकिन बीती रात एक संपादक महोदय के साले को पुलिस उठा ले गयी, बेचारे संपादक जी मामला पता करने थाने गये तो देखा कि पुलिस वाले साले की खातिरदारी में व्‍यस्‍त थे। संपादक जी ने एतराज जताया तो पुलिसवालों ने सम्‍पादक जी की मदर-सिस्‍टर कर दी। सम्‍पादक जी ने पूरी शान से एसओ साहब को फोन लगाया पर एसओ साहब तो भड़के हुये थे, अब आदमी का मूड है कभी ठीक है तो कभी खराब भी हो सकता है। क्‍या पता भाभी जी ने बेलनटाइन डे मना दिया हो साहब का। खैर वो किस्‍सा फिर कभी, अभी तो बात सम्‍पादक जी की हो रही थी। अपने सम्‍पादक जी ने इन एसओ साहब की शान में कसीदे पढने में कभी कोई कमी नहीं छोडी थी पर पता नहीं क्‍यों एसओ साहब पुराने एहसान भूल कर लगे सम्‍पादक जी पर भड़कने। केवल उन पर ही भड़कते तो भी कोई बात नहीं थी पर एसओ साहब झोंक में पूरी पत्रकार बिरादरी को जूते की नोंक पर बिठा लिये और सभी अखबार मालिकों को 2 कौडी का बता दिया। बस ये बात हमें चुभ गयी। वैसे तो हम गांधी जी के सच्‍चे भक्‍त हैं न बुरा देखते हैं, न सुनते हैं, न कहते हैं। पर गांधी बाबा बुरा लिखने के बारे में बताना भूल गये थे, तो हम लिखते खरा हैं, बुरा तो अपने आप ही लग जाता है। 

अब एसओ साहब आप को हम याद दिला दें कि आप हैं पब्लिक सर्वेन्‍ट यानी जनता के नौकर, तो सर जी नौकर ही बने रहो मालिक बनने की कोशिश न करो। थाना आपके बाप की जागीर नहीं है कि आप किसी को घुसने न देने का फरमान सुना दो। हमें आपके घर में घुसने का शौक नहीं है पर थाना आपका घर नहीं जनता की सम्‍पत्ति है और हमारे दिये टैक्‍स से ही आपको सैलरी मिलती है और जो आप घूस खाते हो न वो भी जनता का ही पैसा होता है। तो सर जी आपसे विनम्र अनुरोध है कि अपना व्‍यवहार जरा नम्र बना लो वरना रंगबाजी तो रावण और कंस जैसे महारथियों की भी नहीं टिकी थी, आप की तो बिसात ही क्‍या है। इस पूरे प्रकरण से अपने सम्‍पादक जी ने तो सबक ले लिया है, आप भी ले लो। रही बात हमारी तो भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्‍ती तो है नहीं।