अल्हागंज - SBI भष्टाचार मामले में जांच अधिकारी ने की लीपापोती
अल्हागंज 11 फरवरी 2016 (शाहजहांपुर ब्यूरो). प्रधानमंत्री लाख देशवासियों का भला करने की सोचें पर जब तक भ्रष्टाचार रूपी दीमक भारतीय समाज में लगी है तब तक गरीबों का भला नहीं हो सकता। क्योंकि गरीब चाहे लाख शिकायतें कर ले पर जांच करने वाला भी बेईमान का साथी निकल आये तो पीडि़त अपनी व्यथा किससे कहे। ताजा मामला अल्हागंज भारतीय स्टेट बैंक शाखा प्रबंधक व उनके भ्रष्टाचार की जांच को आये जांच अधिकारी का है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मोहल्ला बगीया के पीड़ित राजकुमार का कहना है कि आज दोपहर एक सज्जन उसकी दुकान पर आ धमके और अपना नाम विनोद कुमार बताते हुए कहा कि मैं शाहजहांपुर से बैंक का जांच अधिकारी हूँ आप ने शाखा अल्लाहगंज कि आनलाइन शिकायत दर्ज करायी थी, मैं उसकी जांच करने आया हूँ। पीड़ित राजकुमार ने सारा हाल बताया और अधिकारी महोदय ने कहा इस मोहल्ले में और जो कोई भी पीड़ित हो उसे भी बुला लो उसकी भी समस्या सुन लें। पीड़ित राजकुमार ने अपने पड़ोसी अमन कुमार गुप्ता व आशा राम को बुलाया, दोनों पीडितों ने अधिकारियों को बताया कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत चार महीने पहले आवेदन किया था इन चार महीनों में शाखा प्रबंधक ओ.के बाथम ने 100 ₹ के पांच स्टाम्प व कुटेशन के साथ दो बैंकों से नो डयूज लिखवाया साथ ही हम लोगों के दुकान व मकान का मुआयना किया। बीते शनिवार को शाखा प्रबंधक जी ने हमको बुलाया और कहा भाई टिन नम्बर लेकर आओ तो हम दोनों पीड़ितों ने विनम्रतापूर्वक कहा कि 50,000 ₹ में टिन नम्बर नहीं लगता। इस पर शाखा प्रबंधक जी बोले टिन नम्बर नहीं है तो 6% कमीशन दो इस पर जब हमने कहा कमीशन ही देने को होता तो लोन क्यों लेते। शाखा प्रबन्धक ने 'अब तो लोन नहीं हो पायेगा' यह कह कर हम पीड़ितों को टरका दिया। तब हम लोगों ने जिला अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर पूरे मामले से अवगत कराया था।
पीडि़तों ने खुलासा टीवी के संवाददाता को बताया कि जांच अधिकारी ने कहा था कि हमने आपकी सारी समस्याएं लिख व सुन ली हैं व आप 25 मिनट के बाद शाखा में आ जाऐं । खुलासा टीवी रिपोर्टर को अमन गुप्ता व आशा राम ने प्रार्थना पत्र देकर बताया कि 25 मिनट बाद जब हम बैंक पहुंचे तब देखा कि जांच अधिकारी महोदय दलालों द्वारा कराये गए लोन के लाभार्थीयों से सादे कागज पर कुछ लिखा रहे थे, उसमें से एक आदमी ने लिखने से इन्कार किया और अपना लिखा हुआ कागज लेकर चला गया। जांच करने को आये अधिकारी महोदय श्री विनोद कुमार ने हम सब से कहा कि तुम्हारे एक दो लोगों के ना लिखने से क्या होगा, ज्यादातर लोग तो मैनेजर के पक्ष में हैं। पता नहीं तुम लोग सुविधा शुल्क देकर आराम से काम क्यों नहीं करा लेते हो, बेकार का तमाशा करके क्या मिलेगा। बाद में शाखा प्रबन्धक ने हम लोगों से अभद्र व्यवहार करते हुये बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब अंधेर नगरी का हाल ये है कि दलालों की बल्ले बल्ले है और पीड़ित उपभोक्ता न्याय के लिए भटक रहे हैं।