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सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर लगाई अंतरिम रोक


नई दिल्ली
(महेश प्रताप सिंह). सुप्रीम कोर्ट से नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने साथ ही इस मुद्दे के समाधान के लिए कमेटी गठित करने का आदेश पारित कर दिया है। समस्या के समाधान के लिए अब कमेटी बातचीत करेगी। 
 
 
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से पूछा हमारे पास एक आवेदन है जिसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन इस प्रदर्शन में मदद कर रहे हैं। क्या अटॉर्नी जनरल इसे मानेंगे या इन्‍कार करेंगे। इसपर अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कहा कि हमने कहा था कि प्रदर्शन में खालिस्तानियों की घुसपैठ है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा है तो केंद्र सरकार कल तक हलफनामा दे। जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हम हलफनामा देंगे और आईबी रेकॉर्ड भी देंगे। 
 
वहीं दूसरी तरफ किसान संगठनों के वकील विकास सिंह ने कहा कि किसान प्रदर्शन स्थल से उस जगह जा सकते हैं जहां से प्रदर्शन दिखे, अन्यथा प्रदर्शन का मतलब नहीं रह जाएगा। रामलीला मैदान दिया जाए प्रदर्शन के लिए। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामलीला मैदान या कहीं और पर प्रदर्शन के लिए पुलिस कमिश्नर से किसान इजाजत के लिए आवेदन दे सकते हैं ऐसा हम ऑर्डर करेंगे. किसान संगठनों की तरफ पेश वकील एम.एल शर्मा ने कहा कि किसानों ने कहा कि कई लोग बातचीत के लिए आए हैं लेकिन मुख्य व्यक्ति प्रधानमंत्री नहीं आए हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पीएम को बातचीत करने के लिए नहीं कह सकते हैं। वह इस मामले में पार्टी नहीं हैं। 
 
 
चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि हम कानून की वैधता को लेकर चिंतित हैं, साथ ही नागरिकों के जीवन और संपत्ति को लेकर भी चिंतित हैं। हम समस्या के समाधान की कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास एक शक्ति है कि हम कानून को निलंबित कर दें और एक कमेटी का गठन करें। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कमेटी सबकी सुनेगी। जिसे भी इस मुद्दे का समाधान चाहिए वह कमेटी के पास जा सकता है। यह कोई आदेश नहीं जारी करेगी या आपको सजा नहीं देगर। यह केवल हमें अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने कहा कि हम एक कमेटी का गठन करते हैं ताकि हमारे पास एक साफ तस्वीर हो। हम यह नहीं सुनना चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास नहीं जाएंगे। हम समस्या का समाधान करना चाहते हैं। अगर आप अनिश्चितकाल के लिए प्रदर्शन करना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं। 
 
 
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आपने इस मामले को सही से हैंडल नहीं किया। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि आप कानून के अमल पर रोक लगाइए अन्यथा हम लगा देंगे।
 
 

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