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अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना हेतु सीडीओ ने की ग्राम प्रधानों के साथ बैठक

बहराइच 23 जनवरी 2019 (ब्यूरो). आम जनमानस को निराश्रित/बेसहारा गोवंश की समस्या से छुटकारा दिलाये जाने के उद्देश्य से शासन द्वारा अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना व संचालन के लिए प्रख्यापित नीति की जानकारी ग्राम प्रधानों के माध्यम से आमजन को उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से विकास भवन सभागार में ग्राम प्रधानों के साथ आहूत बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य विकास अधिकारी राहुल पाण्डेय ने कहा कि शासन ने निराश्रित/बेसहारा गोवंश को आश्रय उपलब्ध कराये जाने के लिए यथा ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत व नगर पालिका स्तर पर अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना का निर्णय लिया है। 


सीडीओ ने ग्राम प्रधानों से कहा है कि ग्राम पंचायत मनरेगा योजना से चारागाह को विकास करें तथा अस्थायी आश्रय स्थल के निर्माण के लिए नवीन परती भूमि, बंजर व ऊसर भूमि का चिन्हाॅकन कर ग्राम निधि से आश्रय स्थल के निर्माण की कार्यवाही प्रारम्भ करायी जाय। उन्होंने यह भी कहा कि ग्राम स्तर पर ही टास्क फोर्स का गठन कर पशुओं के टैगिंग की कार्यवाही की जायेगी तथा इस कार्य से सम्बन्धित अभिलेख भी ग्राम स्तर पर सुरक्षित रखे जायेंगे। पाण्डेय ने कहा कि गायों का दूध निकाल कर उन्हें एवं उनके गौवत्स को छोड़ने वाले कृषकों/पशुपालकों का चिन्हाॅकन की कार्यवाही भी ग्राम स्तर पर गठित टास्क फोर्स के माध्यम से की जायेगी तथा ऐसे लोगों पर अर्थ दण्ड लगाने की कार्यवाही भी ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा की जायेगी। 

बैठक के दौरान मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बलवन्त सिंह ने बताया कि गोबर एवं गोमूत्र आधारित जैविक कृषि एवं बागवानी, गोशाला के गोबर व गोमूत्र से बने खाद व कीटनाशक, गोबर से बने गमले, गोबर से बने लट्ठों का शमशान घाट में व सर्दियों में अलाव जलाने, उद्यमियों को प्रेरित कर गोबर-गोमूत्र के सदुपयोग से बड़े बायोगैस/सी.एन.जी. प्लाण्ट, शून्य बजट पर गो-आधारित प्राकृतिक कृषि पद्धति को अपनाकर गोबर एवं गोमूत्र से प्राकृतिक तरीेके से जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत तथा कीटनाशक का निर्माण करके भी गोवंश आश्रय स्थलों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी जिससे वे स्वावलम्बी हो सकेंगे और क्षेत्र के लोगों के लिए रोज़गार के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे। इस अवसर पर जिला पंचायत राज अधिकारी के.बी. वर्मा, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. शिव कुमार रावत सहित लगभग 100 ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधान मौजूद रहे।