कारगिल विजय दिवस पर व्यापारियों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
कानपुर 26 जुलाई 2018 (महेश प्रताप सिंह). कानपुर ग्रामीण उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में आवास विकास कल्याणपुर में शहीद संदीप चौहान की प्रतिमा पर मोमबत्ती जलाकर वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर संगठन के जिलाध्यक्ष संदीप पांडे ने बताया कि कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिवस है। इसे हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। कारगिल युद्ध लगभग 2 महीने तक चला और 26 जुलाई को इसका आधिकारिक रूप से अंत हुआ। जिसमें भारत की विजय हुई। यह दिन कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है। इस युद्ध में भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से दो लाख सैनिकों को कारगिल में पाकिस्तान के घुसपैठियों से लड़ने को भेजा था। 3 मई 1999 को इस युद्ध की शुरुआत हुई एवं 26 जून 1999 को इसकी समाप्ति हुई। इस युद्ध के दौरान हमारे 527 वीर सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। यदि आज हम अपने घरों में प्रत्येक त्यौहार सुख और शांति एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं तो इसका श्रेय सीधे तौर पर भारतीय सीमा पर तैनात हमारे वीर सैनिकों को जाता है।
संगठन के कल्याणपुर अध्यक्ष मनोज कलवानी ने बताया कि पाकिस्तान अपने सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को छुपाकर नियंत्रण रेखा के पास भेज रहा था और इस घुसपैठ का नाम ऑपरेशन बद्र रखा था। जिसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। समय रहते भारतीय सेना ने मोर्चा संभाल लिया और लंबे संघर्ष के बाद भारत की जीत हुई।
कल्याणपुर उपाध्यक्ष लकी वर्मा ने कहा कि हमारे वीर सैनिकों ने 18 हजार फीट की ऊंचाई पर यह युद्ध साहस और जांबाजी के साथ लड़ा। यह युद्ध ऐसा उदाहरण है जिस पर सभी देशवासियों को गर्व होना चाहिए । भारतीय सीमा पर तैनात सैनिकों की भांति हर भारतीय का यह कर्तव्य है कि यदि उसे कभी भी कहीं पर भी किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिलती है तो वह तत्काल सक्षम अधिकारी को इसकी जानकारी दें, न कि किसी अन्य की जिम्मेदारी समझ कर उससे मुंह मोड़ ले। यह हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह देश रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहें। कार्यक्रम में मुख्य रूप से महामंत्री पंकज गुप्ता, पनकी मंदिर महंत कृष्ण दास जी, राज राठौर, सुरेश सोनकर, मिथिलेश गुप्ता, विजय अवस्थी, विवेक आदि लोग भारी संख्या में रहे।