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तालाब सूखे, मर रहे मवेशी, शासन प्रशासन फिर भी खामोश

अल्हागंज 22 अप्रैल 2018 (अमित वाजपेयी/अम्बुज शुक्ला). गर्मी का मौसम चरम पर है। गरम तेज हवाओं के थपेड़े आदमी तो क्या जानवरों तक के मुंह सुखा दे रहे है। सबसे अधिक परेशानी जानवरों को हो रही है, उनकी प्यास बुझाने के लिए तालाबों में पानी तक नहीं बचा है। उनको नहाने की बात तो छोड़ो पीने तक को पानी नहीं मिल रहा है। 


बिन पानी सब सून वाली कहावत इस समय गांवों में देखी जा रही है। गांव के तालाब सूखे पड़े हैं। पानी की एक बूंद भी तालाबों में नहीं बची है। व्याकुल जानवर पानी की तलाश में भटक रहे हैं। सिंचाई विभाग भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं। ऐसे में ग्रामीणों को कुओं-बावड़ियों की याद सताने लगी है। जिन्हें खुद उन्होंने बर्बाद कर डाला। रही-सही कसर प्रशासन की कुओं के प्रति उदासीनता ने पूरी कर दी है। पानी की कमी से बिलखते पशु-पक्षी अपनी परेशानी बतायें भी किसे। उनकी मजबूरी भी कोई समझने वाला नहीं है। क्षेत्र के ग्राम ठिंगरी, चौरासी, दहेना, धर्मपुर पिडरियां, रतनापुर, रामपुर, कोयला, चिलौआ, लालपुर, इमलियां, रामनगर, ततियारी, विचौला, कस्वा इस्लामगंज, समापुर आदि दर्जनों गांवों के तालाबों में पानी की एक बूंद भी नहीं बची।

तालाबों से उड़ रही धूल, सूखी वनस्पति स्वयं अपनी दुर्दशा बयान कर रही है। चिलचिलाती धूप में जानवर पानी में नहाकर तरोताजा भी नहीं हो पा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पानी की कमी से जानवरों को भारी परेशानी हो रही है। हैंडपंप भी अधिकतर खराब हैं। जो सही भी हैं उनमें पानी कम रह गया है। घंटों चलाने के बाद पानी की एक बाल्टी भर पाती है। ऐसे में जानवरों के शरीर का तापमान कम नहीं किया जा सकता है।

लगभग 40 हजार गायें बूँद बूँद पानी को हो रही मोहताज
क्षेत्र के गांव चिलौआ, दहेना के पास बंजर में घूम रही हज़ारों की संख्या में गाय जल और चारे के अभाव की वजह से तड़प तड़प कर मर रही हैं। जिसके लिए प्रशासन से लेकर शासन तक अधिकारीगण ध्यान नहीं दे रहे है। क्षेत्र के किसान भी परेशान हैं।  भाजपा सरकार में गायों के लिए जगह जगह गौशाला बन रही हैं। पर इस क्षेत्र में गौशाला बनवाने का नाम न तो कोई नेता ले रहा है, न कोई अधिकारी।

आपको बता दे कि जलालाबाद तहसील क्षेत्र के गांव दहेना, चौरसिया, धर्मपुर, रामपुर, केबलरामपुर चिलौआ तथा सीमावर्ती हरदोई के गांव द्वारनगला, घसा, गिरधरपुर आदि गावों के बीच कई एकड़ बंजर भूमि पडी है। जहां गायों तथा उनके बच्चे व साडों ने खुले आसमान व तपती हुई जमीन के ऊपर अपना बसेरा बना रखा है। जो चारे एंव बूँद बूँद  पानी के अभाव में तड़प तड़प कर अपना दम तोड़ रहे हैं। पिछले दो सप्ताह में लगभग चार पांच गायों की मौत हो चुकी है। जिनके शव अभी भी पड़े हुऐ सड़ रहे हैं।  क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में गौशाला का निर्माण करा दिया जाऐ तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। साथ ही गायों व उनके छोटे छोटे बच्चे और साडों की प्राण रक्षा भी की जा सकती है। या सरकार ग्राम पंचायतों के द्वारा बनवाऐ गए सभी सूखे तालाबों में पानी भरवा दे तो इनके प्राणों की रक्षा  हो सकती है।