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जानबूझकर या भूलवश ? एक अंक की त्रुटि और लाखों का हुआ बिजली बिल

गरियाबंद 14 अप्रैल 2018 (जावेद अख्तर). गरियाबंद जिले में सरकारी विभाग के कर्मियों ने ऐसी हालत कर दी है कि गरिया की बजाए पूरा जिला दरिया में डूबकर बंद ही होने पर आमादा है। उक्त जिला रायपुर संभाग के अंतर्गत आता है किंतु जिले में एक से बढ़कर एक, विभागीय कर्मी कांड पर कांड कर रहे। ऊपर से छग का बिजली यानि ऊर्जा विभाग तो वैसे भी विचित्र व अलबेला विभाग है ही।


कुछ समय पूर्व राज्य सरकार बिजली विभाग को पूर्णतः निजीकरण करने पर लग गई थी किंतु व्यापक जनविरोध के बाद फिलहाल चुनाव तक तो मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। वहीं बिजली विभाग अपने अनोखे बिलों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है, एकलबत्ती कनेक्शनधारी उपभोक्ता को दसियें लाख बकाये का बिल भेजता है। इतनी बड़ी गलती के बावजूद उपभोक्ता को बकाया जमा करने की नोटिस तक भेज देता है। बेचारी गरीब विधवा उपभोक्ता जब मुख्यमंत्री जनदर्शन में शिकायत लेकर पहुंची तब कहीं जाकर मामला सामने आया। वहीं मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद मुख्यमंत्री ने मामले को संज्ञान में लेते हुए आदेश दिए तब कहीं जाकर बिजली विभाग के होनहार अधिकारियों को अपनी गलती पता लगी। हालांकि पूरे प्रदेश में ऐसे ही सैकड़ों मामले सामने आए, कुछेक का तो आजतक निराकरण नहीं हुआ है।
दरअसल बिजली विभाग ने स्पॉट बिलिंग के लिए ठेका दिया गया है। ठेकेदारी प्रथा में कैसे कैसे विचित्र कांड होते हैं ये तो लाखों करोड़ों का बिल उपभोक्ताओं को पकड़ाने पर स्पष्ट हो ही रहा है। ऐसा ही एक मामला पुनः से सामने आया है जिसमें छोटे दुकानदार को स्पॉट बिलिंग कर्मी ने लगभग साढ़े चार लाख का बिल पकड़ा दिया, जिसके बाद उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने पर मामला सामने आया। धन्य है प्रभु ऐसी अलबेली ठेकेदारी प्रथा, और इनसे भी ज्यादा बड़े वाले महान हैं स्पॉट बिलिंग कर्मी। 

एक शब्द का हेरफेर, योजना का लाभ नहीं, परिवार उतरा भूख हड़ताल पर - 
अभी कुछ दिनों पूर्व ही एक मामला सामने आया था जिसमें मात्र एक अक्षर के हेरफेर से ग्रामीण हितग्राही को इस कदर परेशानियां झेलनी पड़ी कि पूरा परिवार ही भूख हड़ताल पर बैठ गया। गरियाबंद के धवलपुर के 'कोमल राम महिलॉग' का प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्र हितग्राहियों की सूचि में नाम 'कोयल' हो गया था, जिसकी वजह से पहली सूचि में उसे योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था हालांकि मामला मीडिया में आने बाद नाम में सुधार किया गया, तब कहीं जाकर पात्र हितग्राही को योजना का लाभ मिल सका। 

अब एक अंक का हेरफेर, साढ़े चार लाख का हुआ बिल -
इसी तरह का एक मामला पुनः से गरियाबंद जिले में सामने आया है किंतु इस बार शब्द की बजाए सिर्फ एक अदद संख्या के हेरफेर का है। दरअसल सब्जी मार्केट के एक दुकानदार बेहोश होते होते बचा जब उसे बिजली बिल पकड़ाया गया क्योंकि बकाया राशि लाखों में दर्ज थी। विद्युत विभाग द्वारा ठेके पर नियुक्त स्पाट बिलिंग कर्मचारी ने 4 लाख 18 हजार 3 सौ 70 रूपये मात्र का बिल थमा दिया। बिल देखने के बाद उपभोक्ता का दिमाग चकरघिन्नी हो गया। जब तक दिमाग व्यवस्थित हुआ, और उक्त बिलिंगकर्ता से पूछता तब तक स्पॉट बिलिंग कर्मचारी आगे बढ़ गया था।

शिकायत पर जांच, पता चली हकीकत -
छ.ग.राज्य विद्युत वितरण कंपनी मर्या. के कार्यपालन यंत्री के सामने मामले की शिकायत पहुंची तब उन्होंने अधीनस्थों से जब इस लाखों के बिल की जांच के निर्देश दिए, तब पता चला की स्पाट बिलिंग करते समय कर्मचारी ने पूर्व वाचन और वर्तमान वचन के अंक प्रविष्ट करते समय एक अंक को दो बार प्रविष्ट कर दिया था जिसकी वजह से विद्युत खपत की युनिट 46550 हो गई और मशीन से लाखों का स्पाट बिल निकला, जिसे उपभोक्ता को थमा दिया।

एक अंक ने बिल को बनाया लाखों में - 
हकीकतन उपभोक्ता का पूर्व वाचन था 5105 युनिट और वर्तमान वाचन के अंक प्रविष्टि के समय कर्मचारी ने 5165 युनिट की जगह 51655 युनिट मशीन में डाल दिया, अंतर में 46550 युनिट की खपत आई और विद्युत देयक लाखों में हो गया। उपभोक्ता की शिकायत के बाद इसे सुधार लिया गया है। बिजली विभाग द्वारा प्रायोगिक तौर किए जा रहे स्पॉट बिलिंग को लेकर काफी शिकायतें सामने आ रही है। गरियाबंद कार्यपालन यंत्री बी.पी. जायसवाल के अनुसार, स्पॉट बिलिंग का ठेका 'नागपुर की "मेसर्स टेनेट कम्युटर्स एण्ड कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड' को दिया गया है। जिले के 08 वितरण केंन्द्रों में 04 ब्लाकों के 04 वितरण केंन्द्रों 'गरियाबंद शहर, देवभोग, मडेली व पांडुका' में स्पॉट बिलिंग (फोटो बिलिंग) परीक्षण के तौर पर जारी है।

* हम सदैव कुछ नया और बेहतर करने के प्रयास में है, पहले आमतौर पर शिकायतें आती थी कि रीडर घर पहुंचते ही नहीं और टेबल पर ही बैठकर मनचाही रींडिग भर लेते है। उस समस्या के निदान के लिये हमने ये नयी व्यवस्था लागू की है, जो फिलहाल परीक्षण के प्रथम माह में है, हो सकता है आगे प्रीपेड प्लानिंग के तहत विद्युत देयकों का भुगतान हो। - बी.पी. जायसवाल, कार्यपालन यंत्री, छ.ग. विद्युत वितरण कं. मर्या.