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वक्‍फ की सम्पत्ति पर कुंडली मार कर बैठे भूमाफिया, खौफ में जीने को मजबूर हैं हिस्सेदार

कानपुर 22 फरवरी 2018. थाना बेकनगंज क्षेत्र के हीरामनपुरवा व नई सड़क के इलाकों में भूमाफिया को पुलिस का ज़रा भी ख़ौफ़ नहीं है। यहां विकलांग मुहम्मद अहमद की जगह पर कर रहे कब्ज़े का मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के बाद भी भूमाफिया निर्माण कार्य में जुटे हैं और पुलिस मूक दर्शक बनी हुयी है। 


बताते चलें कि ताज़ा मामला कानपुर के रि‍जवी रोड, थाना बेकन गंज  93/202 का है। यहां हाजी मोहम्मद बख़्श 22 A के वक्फ़ नामे की वसीयत के मुताबिक उसी खानदान का ही मुतवल्ली बनने का अधिकारी है। पर सना उल्लाह व शमीम व शब्लू अंडा रोल नामक शातिर अपराधी इस मामले  में पूरी तरह से लिप्त हैं। शब्‍लू अण्‍डा रोल ओलंगा गैंग का शार्प शूटर भी रह चुका है इसके ऊपर हत्या का भी एक मामला दर्ज हुआ था, हाज़िर न होने पर 82 सीआरपीसी का नोटिस भी चस्पा हुआ था। इसके ऊपर पहले से ही कई आपराधिक मामले थाने में दर्ज हैं। बावजूद इसके वह अब भी अपने पिता के साथ चोरी-चुपके आता है और उस वक्फ़ की संपत्ति के कई हिस्सेदारों को हिस्सा मांगने पर जान से मारने धमकी देता है। यहां का एक हिस्सेदार जो विकलांग है और उक्त संपत्ति में बराबर का हिस्सा है, उसे भी ये अपराधी जान से मारने की घमकी देता है और हाथापाई भी करता है।


अपराधी अपने ख़ौफ़ से हिस्सेदारों को संपत्ति से बेदखल करते जा रहे हैं। उक्त संपत्ति पर 10 वर्षो से कब्ज़ा करे शब्लू अण्डा रोल , शमीम सनाउल्लाह अपने अगल बगल के मकानों पर लगातार कब्ज़ा करते चले आ रहे हैं और दूसरे हिस्सेदारों को उक्त सम्पत्ति से बेदखल कर रहे हैं। उक्त सम्पत्ति पर 7 दुकानों का अवैध रूप से किराया भी वसूल करते हैं। इन्हीं हिस्सेदारों में से एक 80 वर्ष की महिला भी थी, जो काफी समय से लापता हैा अब उस संपत्ति के दाईं ओर मदरसे के नाम का बोर्ड लगाकर उसकी आड़ में 4 दुकानों का निर्माण अभी भी जारी है। उक्त संपत्ति पर 4 लाख 97 हज़ार का हाउस टैक्स भी बकाया है। 


उक्त सम्पत्ति के पूर्व मुतवल्ली स्व: डॉ० नुरुल्लाह के बड़े बेटे मो० जावेद ने वसीयत के मुताबिक वक़्फ़ बोर्ड में मुतवल्ली बनायक जाने की अपील की तो लगातार मो० जावेद व उनके पुत्र रियाज़ को जान से मारने  की धमकियां दी जा रही हैं । जिससे उनमें खौफ व्‍याप्‍त है और दिन-रात उन्हें डर लगा रहता है कि किसी भी वक़्त उनके साथ कोई अनहोनी ना हो जाये। वसीयत नामे के मुताबिक उक्त वक्फ़ संपत्ति में हाजी मो० बख़्श 22 -A के खानदान का ही मुतुवल्ली बनने का ज़िक्र है। उसके बावजूद खानदान के बाहर का कोई बरकात नाम का व्यक्ति अपने आप को मुतवल्ली बताता है, जो कि वसीहत व शिजरे में नहीं है । 


उक्त सम्पत्ति के असली हिस्सेदार बेघर हैं। अब देखने वाली बात ये है कि अब उन लोगों की मदद को कौन आता है? कहां मिलता है सम्पत्ति के वारिसों को न्याय? या फिर उन लाखों करोड़ो केसों की तरह यह केस भी कोर्ट फाइलों की धूल में मिल जाएगा।