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न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अधिवक्ताओं का आंदोलन हुआ तीव्र

लखनऊ 13 फरवरी 2018 (वहाबुद्दीन सिद्दीकी/ए.एस ख़ान). लखनऊ न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा के बैनर तले अधिवक्ताओं, बुद्धीजीवियों, समाजसेवियों ने लखनऊ स्थित गांधी प्रति‍मा पर धरना दिया तथा विधानसभा का घेराव करने का प्रयास किया। मोर्चा अपनी मांगों को लेकर पिछले 60 दिनों से पूरे प्रदेश में आंदोलन चला रहा है। इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, सहित कई ज़िलों में सफल आंदोलन चला कर अधिवक्‍ताओं ने लखनऊ में चालू बजट सत्र के दौरान व विधानसभा के घेराव का प्रयास किया। 


प्रशासन ने विधानसभा के घेराव का प्रयास सजगता पूर्वक रोक कर मोर्चे की मांगों का संज्ञान लेकर आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया । सनद रहे की न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा अपनी चार मांगों को लेकर पिछले 60 दिनों से पूरे प्रदेश में आंदोलन चला रहा है। मोर्चे की प्रमुख मांगें हैं की १. उत्तर प्रदेश में सिविल जज (जुडीशियल ) परीक्षा में भाषा के पेपर में हिन्दी को शामिल किया जाये। सनद रहे की अन्य प्रांतों में परीक्षा के दौरान स्थानीय भाषाओं में भी पेपर उपलब्ध कराया जाता रहा है किंतु उत्तर प्रदेश में एैसा नहीं है । २. प्रदेश में अन्य राज्यों की न्यायिक परिक्षाओं की भांति‍ चार अवसर की बाध्यताओं को समाप्त किया जाये । ३. हिन्दी भाषा के छात्रों के साथ मूल्यांकन में हो रहे भेदभाव को समाप्त किया जाये । ४. न्यायिक परीक्षा का आयोजन प्रति‍ वर्ष नि‍यमित रूप से कराया जाये। 

मोर्चे की ओर से संयोजक राम करन निर्मल तथा आशीष पटेल ने संवाददाता को बताया की वे इससे पहले दोनों उप मुख्यमंत्रियों तथा विधि‍ मंत्री जी से मिल कर अपनी मांगों से अवगत करा चुके हैं। किंतु हर बार कोरे आश्वासन के सिवा कोई तर्कसंगत कार्यवाही के अलावा कोई आदेश जारी नहीं हुआ । यदि‍ सरकार ने उनकी न्याय हित में तर्कसंगत मांगों को अविलम्ब नहीं स्वीकारा तो पूरे प्रदेश में युद्ध स्तर पर आंदोलन छेड़ा जायेगा, जिसकी रूप रेखा तैयार है ।