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खुलासा स्‍पेशल - सेटिंगबाजों का अड्डा बना सूरजपुर जनसम्पर्क विभाग

सूरजपुर 18 जनवरी 2018 (रवि अग्रवाल). सूरजपुर जिले में जनसम्पर्क विभाग भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की काली करतूतों को छिपाने के लिए नया खेल खेला जा रहा है, जिसके तहत भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ों को उजागर करने वाले वास्तविक समाचारों का खंडन जनसंपर्क अधिकारी की मिलीभगत द्वारा प्रकाशित करवाया जा रहा है, क्योंकि जनसंपर्क विभाग छग मुख्यमंत्री के अंतर्गत आता है। ऐसे में सरकार और मुख्यमंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है।


सूत्रों की माने तो जिला मुख्यालय में जहां चहुंओर भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम चल रहा है, वहीं जिला जनसम्पर्क विभाग भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देकर इन्हें बचाने की जुगत लगा रहा है। जनसंपर्क विभाग द्वारा बिना जांच व वीडियो लैब परीक्षण के उक्त खबर का खंडन करना शर्मनाक व अफसोसजनक है क्योंकि जनसंपर्क विभाग छग मुख्यमंत्री के अंतर्गत आता है। ऐसे में सरकार और मुख्यमंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है। 

फूहड़ और अश्लील वीडियो से उपजा विवाद - 
विगत दिनों मीडिया के माध्यम से जिले के प्रतापपुर ब्लॉक में आयोजित पिकनिक पार्टी, संयोजनकर्ता प्रतापपुर के ब्लाक चिकित्सा अधिकारी एवं बीईई थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके आधार पर समाचारों का प्रकाशन भी किया गया। परन्तु जिला जनसम्पर्क विभाग ने उक्त समाचार को अपनी कार्यप्रणाली से गलत ठहरा दिया वह भी प्रमुख आरोपी अधिकारी से प्राप्त जानकारी के आधार पर। जबकि मीडिया द्वारा प्रकाशित समाचारों में वायरल विडियो का हवाला दिया गया है। वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा कि उक्त पिकनिक पार्टी में फूहड़ एवं उत्तेजक गानों की धुन पर अधिकारी व कर्मचारी (महिला एवं पुरूष) एक साथ अश्लील नाच कर रहें हैं। किंतु सूरजपुर जनसम्पर्क विभाग ने वायरल विडियो को दरकिनार कर, ब्लाक चिकित्सा अधिकारी का पक्ष लेते हुए प्रकाशित समाचार का खंडन कर छपवा डाला। जिससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि जनसम्पर्क विभाग इन दिनों लोकहित में कार्य करने की बजाए भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों का हितैषी व सरंक्षक बना हुआ है।

प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सौंपा शिकायतों का पुलिंदा -
छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के सूरजपुर जिलाध्यक्ष रामप्रताप राजवाडे़ के नेतृत्व में बीते दिन कर्मचारियों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रतापपुर में राजेश वर्मा, जोकि ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक के रूप में पदस्थ हैं तथा लगभग 12 वर्षों से नियम विरूद्ध बीईई के प्रभार में कार्य कर रहे, साथ ही जिले के उच्च कार्यालय में पदस्थ रिश्तेदारों के बल पर उक्त पद के साथ अन्य कई राष्ट्रीय योजनाओं का प्रभार भी रखे हुए है जिन्हें आलाधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।
ज्ञापन में उन्होंने उक्त बीईई को भ्रष्ट बताते हुए कई लाख रूपये के गबन के आरोप भी लगाये गये है। जिसकी शिकायत एक वर्ष पूर्व भी छग स्वास्थ्य सचिव रायपुर से की जा चुकी है लेकिन आज तक कोई सार्थक कार्यवाही नहीं हो सकी है। वहीं अपने ज्ञापन में उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि जहां एक ओर प्रदेश भर के स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर एक दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर आंदोलन में थे, उस दिन प्रतापपुर के बीएमओ और बीईई के द्वारा गैरजिमेदाराना तरीके से उन कर्मचारियों को पिकनिक पर ले जाया गया, जो विभागीय कर्मियों की हड़ताल में शामिल नहीं थे।
अपने ज्ञापन में उन्होंने यह भी बताया है कि  सोशल मीडिया पर जो विडियो वायरल हुआ है वह स्वयं वर्तमान बीईई के द्वारा बनाया गया था। वीडियो में कर्मचारी विभागीय ड्रेसकोड में सामूहिक नृत्य कर रहे है जिससे विभाग शर्मसार हुआ है तथा अशोभनीय एवं निंदनीय है एवं कर्मचारियों की भावनाओं को भी ठेस  पहुंचा है। उनका यह भी आरोप है कि सामूहिक अवकाश के दिवस ही उक्त पिकनिक का आयोजन किन उद्देश्यों के तहत किया गया, जोकि लापरवाही, भर्राशाही एवं असंवेदनशीलता को दर्शाता है। जिसमें उन्होंने बीएमओ एवं बीईई को तत्काल पद से पृथक्क करते हुए जांच उपरांत  कार्यवाही की मांग की है।

नये कलेक्टर आए विवादों का पिटारा साथ लाए - 
सूत्रों की माने तो उनका यह भी कहना है कि जब से नवपदस्थ कलेक्टर साहब आये है तब से आये दिन मीडिया द्वारा जनहित के उद्देश्य से भी जो समाचार प्रकाशित किया जाता है उसका खण्डन जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी करना आम हो गया है। अगर बुद्धजीवियों की माने तो उनका कहना यह भी है कि जनसम्पर्क विभाग के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत किसी भी समाचार का खण्डन जारी करना सम्मिलित नहीं है बल्कि उनका कार्य मीडिया और शासन प्रशासन के बीच मध्यस्ता कर समाचारों का आदान प्रदान करना है। जिस अधिकारी या कर्मचारी पर आरोप लगा हो और वह स्वयं स्वीकार कर लेगा, यह कभी भी संभव नहीं। इसलिए उक्त मामले में खंडन पर जिलाधीश एवं जनसंपर्क विभाग दोनों की भूमिका संदिग्ध है। 

कलेक्टर के आदेश पर हुआ खण्डन प्रकाशन : जनसम्पर्क अधिकारी
जिला जनसंपर्क विभाग अधिकारी से जब उक्त समाचार के खंडन संबंधित आधार की  जानकारी ली तो उन्होनें बताया कि प्रतापपुर बीएमओ कलेक्टर के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने जिला कार्यालय आये हुए थे। जिसके पश्चात कलेक्टर द्वारा यह निर्देश जारी किया गया 'उक्त समाचार का खंडन विभाग द्वारा प्रकाशित होना अनिवार्य है'। जिलाधीश महोदय द्वारा उक्त समाचार से संबंधित खंडन का निर्देश खुद कई सवाल खड़े कर रहा? सर्वप्रथम बिना किसी लैब परीक्षण एवं जांच टीम गठित किये वायरल विडियो की वास्तविकता को झुठलाना कहां तक न्यायोचित है? वह भी उस अधिकारी के द्वारा दिए गए कथन के आधार पर जो स्वयं उक्त मामले का मुख्य कर्णधार है।


कर्मी संघ ने जताई खंडन से नाराजगी - 
बीते बुधवार को शाम 4 बजे छग स्वास्थ्य कर्मचारी संघ द्वारा जिला कलेक्टर को  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रतापपुर से संबंधित दो मामलों में शिकायत ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। जिसमें एक मामला पिकनिक पार्टी का है साथ प्रकाशित समाचारों की प्रति भी संलग्न की गई है। ज्ञापन सौंपने के कुछ ही घंटों पश्चात ही बिना जांच किये जनसम्पर्क द्वारा खण्डन जारी किया गया, जिससे स्वास्थ्य कर्मचारी संघ नाराज है। वहीं इस मामले में स्थानीय लोगों ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर जिला प्रशासन के द्वारा इसी तरीके से  अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बिना जांच किये दोषमुक्त किया जाता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जिला सूरजपुर भ्रष्टाचार के कारण अस्त हो जाएगा।