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आठ माह में ढाई हजार करोड़ की शराब खपत, शराबखोरी के मामले में रायपुर अव्वल

रायपुर 23 दिसंबर 2017 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री ने पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त करते हुए महज़ आठ माह में प्रदेशवासियों ने ढाई हजार करोड़ रूपये से भी ज्यादा की शराब गटक गये हैं। और अबकी निजी हाथों की बजाए सरकारी उपक्रम से शराब बेचे जाने का सीधा फायदा सरकार को खजाने को हुआ है। विधानसभा में विपक्ष द्वारा पूछे गए सवाल पर छग के आबकारी मंत्री ने जवाब दिया कि सिर्फ आठ महीने के दौरान पिछले साल के निर्धारण से लगभग सात गुना अधिक शराब की बिक्री हुई है।


छग सरकार ने कहीं पर कोई विकास किया या नहीं किया, ये अलग मसला है मगर रमन सरकार ने प्रदेश में शराब बेचने का नया रिकॉर्ड जरूर बना दिया है। विकास एवं समृद्धि की बात करने वाली सरकार का असली चेहरा वीभत्स होगा कोई सोच नहीं सकता है। फिलहाल राजधानी शराब पीकर टुन्न है और रमन सरकार ने हिलते डुलते प्रदेश को शराब पिलाकर झूमने पर मजबूर कर दिया है, यानि झूमता छत्तीसगढ़। 


विस में आबकारी मंत्री ने दिया उत्तर - 
विधानसभा में कांग्रेस विधायक भैयाराम सिन्हा के सवाल पर आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने विधानसभा में बताया है कि 08 महीने में 24 अरब 22 करोड़ 43 लाख 47 हजार 888 रूपये की बिक्री की गयी है। ये आंकड़े एक अप्रैल 2017 से 29 नवंबर 2017 तक के हैं, और सबसे ज्यादा शराब की बिक्री राजधानी रायपुर में हुई है यानि शराबखोरी में रायपुर नंबर-1 है। 


शराब बिक्री के आंकड़े जिलेवार -

विस में दिए आंकड़ों के मुताबिक,

रायपुर में सबसे ज्यादा 3 अरब 89 करोड़ 86 लाख 49 हजार 791 रूपये की शराब लोगों ने पी है।

बलौदाबाजार में 1 अरब 45 करोड़ 73 लाख 4 हजार 997 रूपये

गरियाबंद में 32 करोड़ 23 लाख 94 हजार 780 रूपये 

महासमुंद में 79 करोड़, 63 लाख 13 हजार 192 रूपये

धमतरी में 72 करोड़ 3 लाख 86 हजार 468 रूपये

दुर्ग में 2 अरब 33 करोड़ 46 लाख 68 हजार 184 रूपये

बालोद में 75 करोड़ 35 लाख 21 हजार 607 रूपये

बेमेतरा में 64 करोड़ 92 लाख 29 हजार 55 रूपये 

राजनांदगांव में 1 अरब 18 करोड़ 71 लाख 82 हजार 340 रूपये

कबीरधाम में 46 करोड़ 13 लाख 48 हजार 797 रूपये

बस्तर में 21 करोड़ 2 लाख 5 हजार 194 रूपये

नारायणपुर में 4 करोड़ 21 लाख 67 हजार 405 रूपये

कोंडागांव में 8 करोड़ 30 लाख 56 हजार 41 रूपये

कांकेर में 32 करोड़ 71 लाख 21 हजार 824 रूपये

दंतेवाड़ा में 9 करोड़ 47 लाख 16 हजार 870 रूपये

सुकमा में 4 करोड़ 14 लाख 6 हजार 771 रूपये

बीजापुर में 11 करोड़ 33 लाख 83 हजार 572 रूपये

बिलासपुर में 1 अरब 62 करोड़ 43 लाख 48 हजार 236 रूपये

मुंगेली में 42 करोड़ 78 लाख 67 हजार 216 रूपये

जांजगीर-चांपा में 1 अरब 13 करोड़ 44 लाख 74 हजार 156 रूपये

कोरबा में 67 करोड़ 27 लाख 87 हजार 345 रूपये 

रायगढ़ में 82 करोड़ 37 लाख 90 हजार 189 रूपये

जशपुर में 11 करोड़ 37 लाख 79 हजार 451 रूपये

सरगुजा में 18 करोड़ 87 लाख 99 हजार 513 रूपये

बलरामपुर में 4 करोड़ 42 लाख 7 हजार 698 रूपये

सूरजपुर में 12 करोड़ 21 लाख 43 हजार 355 रूपये

कोरिया में 20 करोड़ 6 लाख 7 हजार 928 रूपये की शराब की बिक्री हुई है।


शराब को बंद करने की बजाए बेचने लगी राज्य सरकार - 
भारत के सभी राज्यों में आबकारी के आंकड़ों पर गौर करें तो चार प्रदेश में शराब प्रतिबंधित है शेष राज्यों में शराब बिक्री का निर्धारण तय है जिससे कि लोग शराब का सेवन ज्यादा न करें। वहीं निजी हाथों में देकर शराब बेचने का काम कराया जाता है। परंतु छग की राज्य सरकार ने शराब बिक्री को निजी हाथों से छीनकर खुद ही बेचने का कारोबार करने लगी है। जबकि शराबबंदी की मांग विगत कई सालों से की जा रही है जिस पर सरकार का तर्क है कि चरणबद्ध तरीके से बंद किया जाएगा। मगर ये चरणबद्ध तरीके की बयानबाजी के जरिए रमन सरकार शराब बेचने का व्यापार करने लगी है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण विस में आबकारी मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों से साफ पता चलता है। 


शराब एक सामाजिक बुराई - 
भारत सरकार का कथन है 'शराब एक सामाजिक बुराई है एवं इसका सेवन शरीर एवं जीवन के लिए घातक हो सकता है। वहीं सरकार नशा मुक्ति केंद्र एवं जनजागरूकता अभियान भी चलाती है। मगर इन सबके क्या मायने रह गए जब वही सरकार शराब की दुकान भी चलाने लगे। इस हिसाब से तो सरकार आमजनों के जीवन से दोहरा खिलवाड़ कर रही है। ऐसे में विचारणीय तथ्य है कि रमन सरकार किसी भी हाल में शराब का व्यापार करना बंद नहीं करेगी और दूसरी तरफ नशा मुक्ति केंद्र, जागरूकता अभियान एवं प्रचार प्रसार पर बेहिसाब राशि खर्च कर सरकारी राजकोष का दुरूपयोग भी करेगी।