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रेलवे के दलाल (1) - खूब बहेगी भ्रष्टाचार की बयार, एक नया "केशवलाल" है तैयार

कानपुर 06 दिसम्‍बर 2017 (अभिषेक त्रिपाठी). ज़ोन के महाभ्रष्ट वाणिज्यकर अफसर केशव लाल के पकड़े जाने के बाद रेलवे के बड़े दलाल और स्मगलर 'अनाथ' हो गए थे। क्योंकि सपा सरकार में "परिवार" के खासम-खास अफसर रहे केशवलाल अकेले दम पर ही रेलवे के स्मगलरों-दलालों को संरक्षण देते रहे और इसके बदले हर महीने करोड़ों सुविधा शुल्क डकारते रहे। पर रेलवे की लीज बोगियों और पार्सल के माध्यम से स्मगलिंग और दलाली करने वालों को कोई तो नया आका चाहिए ही था। सो उन्होंने नई सरकार में एक नए आका को "साध" लिया। 


इस पॉलिटिकल आका ने वाणिज्यकर विभाग में एक नए "केशवलाल" भी जन्म दे दिया है। नए केशवलाल ने विभाग में अपने सबसे सीनियर अफसर तक को ठेंगा दिखा दिया है। हर महीने सरकार को करोड़ों का चूना लगाने की नई "महाभ्रष्‍टाचारी गाथा" फिर शुरू हो चुकी है। दरअसल सूबे में नई सरकार आते ही जब सेल्स टैक्स विभाग का दबाव रेल दलालों पर बढ़ता जा रहा था, और रेल लीज व पार्सल से आने-जाने वाले माल पर टैक्स चोरी करना दुश्वार होता जा रहा था, उसी दौरान जीएसटी भी लग गया। 

रेल स्मगलरों के लिए ये करेले पर नीम चढ़ा जैसा हो गया। तब नया आका बनाने के लिए रेलवे से रेडीमेड गारमेंट्स और होजरी स्मगलि‍ंग (यहां स्मगलिंग का तात्पर्य टैक्स चोरी से है, डिक्शनरी देख लीजिए) करने वाले सबसे बड़े दलाल धर्मेंद्र जायसवाल, सुतरखाना निवासी बॉबी खान, छोटा और बड़ा चिग्गू आदि दलालों ने मिलकर पान मसाला, सुपारी और केमिकल के सबसे बड़े स्मगलर पप्पू मीठे उर्फ दिलीप कुमार गुप्ता से संपर्क किया। तब पप्पू मीठे ने बॉबी, चिग्गू, धर्मेंद्र आदि के माध्यम से सभी दलालों से चंदा करके 75 लाख जोड़ा और "नए आका" के चरणों मे चढ़ा आये. ताकि सरकार को हर महीने करोड़ों के टैक्स का चूना लगवाया जाता रहे। इस चढ़ावे की "सलामी रकम" में किराना और बड़े पान मसाला व्यापारियों ने भी हिस्सा दिया। क्योंकि पप्पू मीठे तो आखिर इन्हीं बड़े ब्रांडों को 'कच्चे' में काम करके टैक्स चोरी करवाता है। 

18 वर्ष पहले एक नंबर प्लेटफॉर्म के 3 नंबर गेट के सामने अपने पिता के साथ केले का ठेला लगाने वाला "पप्पू मीठा" आज पॉलिटिकल लाइजनर की भूमिका में भी आ चुका है। (केशवलाल जैसों के कारण) झोलाछाप डॉक्टरों की तरह के कई छुटभैये झोलाछाप "पत्कार" (पत्रकार मत कहिएगा उन्हें)  भी उसके लिए दौड़-भाग लगाया करते हैं। क्या आप पूछ रहे हैं कि रेलवे के इन दलालों का नया आका कौन है..?? और "आका" तक दलाल पप्पू मीठे को पहुंचाने वाला पार्टी का पदाधिकारी कौन है...वो दक्षिण का है या उत्तर जिले का..??...अरे भाई क्या पूछ रहे हैं, मैं तो सोच भी नहीं सकता कि आप 'उसको' नहीं जानते। ज्‍यादा जानने के लिये हमें पढते रहियेगा। 

वैसे आपकी जानकारी के लिये बता दें कि मोटी "सलामी रकम" के अलावा जितनी रकम हर महीने की तय हुई है, उतनी रकम ही सरकारी खजाने को मिल जाये, तो महज 6 माह में 165 साल पुराना, बेहद संकरा घंटाघर पुल, पूरा नया बन जाये। लगा लें अंदाजा रेलवे लीज-पार्सल से जारी स्मगलिंग का.