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पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड का पूरे देश में तीव्र विरोध जारी


लखनऊ 06 सितम्‍बर 2017 (ए.एस खान). बंगलुरू में हुयी कर्मठ महिला पत्रकार एव सक्रिय मानवाधिकार कार्यकत्री गौरी लंकेश की हत्या के विरोध में पूरे देश के नैतिकता वादी पत्रकारों में तीव्र रोष व्याप्त है। पूरे देश में जगह जगह विरोध प्रदर्शन, शोक सभाऐं तथा अनेक माध्यमों से प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन सौंपने का सिलसिला जारी है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बनारस, फैजाबाद हरदोई भोपाल बिदिशा आदी शहरों में पत्रकारों ने सडक पर उतर कर प्रदर्शन किया तथा घटना की सी बी आई जांच तथा हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। वहीं दूसरी ओर लखनऊ कानपूर इलाहाबाद इंदौर सतना खंडवा रतलाम आदी शहरो में पत्रकारों तथा विभिन्न छोटे बडे पत्रकारों के संगठनों ने शोक सभाऐ आयोजित की।

कानपुर प्रेस क्लब में आयोजित शोक सभा में संरक्षक सरस बाजपेई, अध्यक्ष अवनीश दीक्षित, महामंत्री कुशाग्र पांडे सहित सैकडों पत्रकारों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश की आत्मा की शांति की प्रार्थना की तथा घटना की सीबीआई जांच कराने संबंधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित करने का निर्णय लिया गया। लखनऊ में अनेकों छोटे-बडे पत्रकारों के संगठनों ने भिन्न भिन्न जगहों पर शोक सभाऐं तथा विरोध प्रदर्शन किये।

आल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन आईरा की लखनऊ इकाई ने नाजा मार्केट में शोक सभा की -
सनद रहे की आल इन्डियन रिपोर्टर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय चेयरमैन मोहम्मद तारिक जकी के नेतृत्व में तत्परता दिखाते हुए पहले ही मानवाधिकार आयोग में उक्त घटना का केस दर्ज करा दिया है। दिवंगत महिला पत्रकार गौरी लंकेश अपनी बेबाक एव निर्भीक लेखनी के लिए जानी जाती थी। वे समाजिक सरोकारों के कार्यक्रमों में भी काफी सक्रिय भूमिका निभाती आई थीं। विगत कुछ वर्षों से देश में विशेष कर पत्रकारिता जगत में अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति का वे तीव्र विरोध करती आई थी। सनद रहे की विगत कुछ वर्षों में सरकार प्रायोजित बिकाऊ मीडिया के दौर में नैतिकता वादी पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं ।मुंबई का पत्रकार जे डे हत्या कांड से लेकर गौरी लंकेश तक अनेकों नैतिकता वादी पत्रकारों की हत्याऐं तथा हमलों ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की नींव की मूल ईटों को हिला कर रख दिया है।

समीक्षा करने पर ज्ञात होता है की जैसे देश में अघोषित आपातकाल लागू है। जो कलम बिकती है वो सरकारी सरंक्षण में मौज करती है। किंतु जो कलम आम जनता की बात लिखती हैं,  जनता की समस्याओं को उठाती है, सरकार की गलत नीतियों का विरोध करती है । सरकारों की दमन कारी नीतियों के आगे झुकती नही है बिकती नही है। या तो उसे जंजीरों में जकड दिया जा रहा है या खतम कर दिया जा रहा है।