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छत्‍तीसगढ - 6 साल बाद सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी को बर्खास्त करेगी सरकार

दंतेवाड़ा 10 जलाई 2017.  साम, दाम, दंड, भेद राजनीति में इन चार शब्दों का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि बिना इसकी उपयोगिता समझे राजनेता नहीं बन सकता है। छग की राजनीति में भी इन शब्दों का उपयोग गाहे-बगाहे राजनेता एवं मंत्री करते रहते हैं, जैसा कि आप पार्टी की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी के मामले में दिखाई दिया।


सोनी सोरी को डराया धमकाया यौन उत्पीड़न जेल में बंद किया गया और मुंह पर स्याही लगाने जैसी घटिया करतूत करने के बावजूद सफलता नहीं मिली। तत्पश्चात मारे खिसियाहट के सरकार को छ: साल बाद अचानक ही याद आया कि उक्त महिला नेत्री शिक्षा विभाग से संबंधित है। इसे कहते हैं सत्ता का नशा क्योंकि ये नशा कईयों के जीवन को नर्क बना देता है और भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकारी खजाने को दोनों हाथों से लुटाता है, कार्यकर्ता, समर्थक एवं ठेकेदारों का भाग्य चमकता है और इनकी किस्मत में सोना चांदी हीरा जवाहरात सबकुछ आ जाता है, ऐसे हजारों उदाहरण एवं प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
सरकार और सरकारी प्रक्रियाएं कई मर्तबा खुद को मजाक बनवा लेती है। छग सरकार को अब याद आई कि सोनी सोरी शिक्षा विभाग में भी पदस्थ हैं और उन्हें 6 साल पहले निलंबित कर दिया गया था। गजनी की माफिक ये भी याद आ गया अचानक कि 3 साल पहले सोनी सोरी ने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। और फिर फिल्मी स्टाइल में, पिछले 6 साल से वे निलंबन के बाद कार्य पर अनुपस्थित भी हैं। 

दो दिन पहले भेजा नोटिस - 
दंतेवाडा के कुआकोंडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने सोनी सोरी को नोटिस देकर पूछा है। उन्होंने कार्य के प्रति उदासीनता बरती और लपरवाही की है और वे बिना अनुमति के या बिना त्यागपत्र दिये चुनाव कैसे लड़ सकती हैं। सोनी सोरी को कहा गया कि वे 10 जुलाई तक जबाब प्रस्तुत करें जबकि उन्हें नोटिस ही 2 दिन पहले मिला है। इस पर सोनी सोरी ने लिखित में कहा है कि वे 15 जुलाई तक खुद सीओ ऑफिस आकर जबाब प्रस्तुत कर देंगी

सभी मामलों में निर्दोष साबित हुई - 
सोनी सोरी आप पार्टी की नेता और सामाजिक कार्यकर्त्ता है। जिन्हें छग शासन ने 6 साल पहले गिरफ्तार किया, उनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ, उनके ऊपर 7 झूठे मुक़दमे लादे गए, जेल में रहने के पश्चात् जमानत मिली। एक एक कर मामलों में न्यायालय द्वारा मुझे निर्दोष करार दिया गया क्योंकि झूठे मामले न्यायालय में नहीं टिकते। जब सब तरह के क़ानूनी दांव-पेंच और उत्पीड़न से बाज़ नहीं आए तो अब अनुशासन का कारण बता उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने की तैयारी कर ली गई। सोनी सोरी ने बताया कि कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जवाब देने की लिए 15 जुलाई तक का समय मांगा है तथा अभी अंतरिम-पत्र उन्हें लिख भी दिया है। सोनी का यह भी कहना है कि उन्हें कभी निलंबन का आदेश प्राप्त नहीं हुआ, यदि शिक्षा विभाग ने कोई निलंबन किया है तो वे मेरे हस्ताक्षर दिखाएं।

शिक्षक को चुनाव लड़ने की होती है पात्रता - 
सोनी सोरी ने कहा कि मैं पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से अपना शिक्षक का कार्य कर रही थी मगर पुलिस ने ही मुझे झूठे मामले में गिरफ्तार किया और मेरे साथ यौन उत्पीड़न किया। न्यायालय से सभी मामलों में निर्दोष साबित हुई, जिससे लोग स्वयं समझ सकतें हैं कि सभी केस झूठे और फर्जी थे, अब सिर्फ एक केस में निर्णय आना बचा है। रही बात चुनाव लड़ने की तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि शिक्षक को चुनाव लड़ने की पात्रता है। अगर वे चुनाव जीत जातीं तो एक पद से इस्तीफा दे देती क्योंकि कानूनी रूप से एक व्यक्ति दो लाभ के पद पर एकसाथ एक ही समय में बना नहीं रह सकता है। 

आदिवासियों के हक के लिए लड़ रही - 
सोनी सोरी ने बताया कि पुलिस और सरकार तरह तरह से मेरे खिलाफ षड़यंत्र करती रहती है क्योंकि मैं आदिवासियों के लिए काम करती रही हूं और आगे भी करती रहूंगी। यहां सरकार और पुलिस अपने मनमुताबिक नियम कायदे कानून बनाते और तोड़ते हैं, आदिवासियों पर अत्याचार किया जाता है, लड़कियों से बलात्कार कर उन्हें नक्सली बताकर जेलों में डाल दिया जाता है या फिर फर्जी मुठभेड़ बता मार दिया जाता है। सरकार और उद्योगपति मिलकर खनिज संपदा को लूटने की इच्छा रखतें हैं इसीलिए खनिज संपदा की रक्षा एवं सुरक्षा करने वाले आदिवासियों को पैसों का लालच दिया जाता है, डराया धमकाया जाता है, नक्सली बताकर अंदर कर दिया जाता है और बेदम पिटाई की जाती है या उन्हें मार दिया जाता है या फिर घर जला दिया जाता है। ऐसा सब हजारों आदिवासियों के साथ किया जा चुका है।

आदिवासी समाज में लोकप्रिय है सोनी - 
सरकार और पुलिस के इन्हीं अत्याचारों के खिलाफ मैंने आवाज उठाई तो मेरे साथ भी ऐसा सब हुआ मगर मैं डरने वाली नहीं हूं और मुझे इस तरह से डराया नहीं जा सकता क्योंकि सभी आरोप झूठे थे और सिर्फ उत्पीड़ित करने के लिए लगाये गए हैं। सोनी सोरी ने कई मामलों को लेकर सामने आईं, मानवाधिकार आयोग तक गई, जिसके चलते छग शासन प्रशासन को नोटिस तक जारी हो चुकी है। सोनी के कारण पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा किए जा रहे अत्याचार का सच सबके सामने आ जाता है। सोनी सोरी एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं और आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय भी है। संभवतः सरकार और पुलिस किसी भी तरीके से सोनी की आवाज दबाना चाहता है।