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असफलता पर भी धैर्य बनाए रखने से मिलती सफलता :- स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ

घाटमपुर 17 अप्रैल 2017. जीवन में बार बार असफलता मिलने के बाद भी धैर्य न छोड़ने वाला ही सफल होता है। मन की एकाग्रता और पवित्रता से ही मनुष्य को मुक्ति मिलती है। कोई काम करने से पहले विचार बेहद जरूरी है। बिना सोचे समझे किया गया कार्य संकट का कारण भी बनता है। यह बातें सोमवार को ग्राम हथेई में सात दिवसीय श्री मद् भागवत कथा के पांचवें दिन दण्डी स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ युवाचार्य ने कहीं। 


जगद्गुरु शंकराचार्य मठ भानुपुरा मध्य प्रदेश से आए स्वामी तीर्थ जी ने कहा कि विवेक वान पुरुष वस्तु की प्राप्ति के लिए सदमार्ग का चयन करते हैं। ज्ञान प्राप्त करने के बाद संसार में आवाजाही से छुटकारा मिल जाता है। भीष्म के अंतिम समय का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु भक्त वत्सल होते हैं। इसीलिए युद्ध के दौरान प्रतिज्ञा तोड़ भगवन श्रीकृष्ण ने अस्त्र उठा लिया था। उन्होंने कहा कि इस संसार में दो तरह के लोग खुश रहते हैं। पहले मूर्ख और दूसरे अति ज्ञानी। अल्प ज्ञान रखने वाले हमेशा परेशानी में रहते हैं। संसार में अर्थ, काम, लोभ और लालच के वश में आकर परेशान होते हैं। भगवान के चरणों में ध्यान लगा कर नीतिगत कार्य करने से हमेशा कष्ट और अमंगल कारी क्षण दूर हो जाते हैं। 

उन्‍होंने कहा कि काम करने, चलने, उठने और बैठने से लेकर हर समय भगवान का स्मरण करना चाहिए। ईश्वर ने कहीं ये नहीं कहा कि अपने कर्म छोड़ कर भक्ति करो। सुख के समय इष्ट को याद रखने वालों से दुःख कोसों दूर रहता है। कथा के सयोंजक राम लखन अवस्थी और वरिष्ठ पत्रकार शिवा अवस्थी ने बताया कि दण्डी स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ के दर्शन लाभ श्रद्धालु प्रतिदिन दोपहर दो से शाम छह बजे तक ले सकते हैं। 20 अप्रैल को विशाल भोज में ग्राम हथेई समेत आसपास के दर्जनों गावों के हज़ारों लोग शामिल होंगे। कथा के दौरान परीक्षित राम औतार अवस्थी, सन्तोष देवी अवस्थी, कुलदीप दीक्षित, अजय प्रताप सिंह, संजय गुप्ता, आशीष शर्मा, उमेश शुक्ल, शिवा ठाकुर, शिवम शुक्ल, विकास पांडेय, अमित सेन, सचिन द्विवेदी, विजय सिंह समेत आसपास गांवों के सैकड़ों लोग रहे।