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मोदी के सब्र का इम्तिहान न ले पाकिस्‍तान, कुछ 'हरकत' हो जाए तो फिर मत कहना: US मीडिया

नई दिल्ली, 28 सितंबर 2016 (IMNB)। उरी हमले के बाद एक के बाद एक भारत के कड़े कदमों से अब दुनिया भी पाकिस्तान के रवैये की आलोचना कर रही है. अमेरिकी अखबार ने भी पाकिस्तान के रुख की आलोचना की है. अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान लंबे समय तक भारत के संयम को हल्के में नहीं ले सकता.
अखबार लिखता है कि अगर पाकिस्तान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग के प्रस्ताव को खारिज करता है तो वह पूरी दुनिया के लिए एक 'अछूत देश' बन जाएगा. 

तो सही होगी पीएम मोदी की कार्रवाई -
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि मोदी फिलहाल संयम बरत रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान इस पर लगातार भरोसा नहीं कर सकता. अगर मोदी के सहयोग के प्रस्ताव को खारिज किया जाता है तो दुनिया के लिए पहले से अछूत पाकिस्तान, अब और अछूत देश बन जाएगा. अखबार ने चेतावनी देते हुए लिखा कि अगर पाकिस्तानी सेना सीमा पार से भारत में हथियार और आतंकवादी भेजना जारी रखती है तो पीएम मोदी की कार्रवाई न्यायसंगत होगी. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर नैतिकतापूर्ण व्यवहार करने के लिए भारत का सम्मानजनक दर्जा है, लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस और बीजेपी सरकारों में स्पष्ट रूप से इसे दिखाने का साहस नहीं था.
मोदी के कदम की सराहना -
समाचार पत्र ने कोई भी सैन्य कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लेने के लिए मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि हालांकि उन्होंने सैन्य कार्रवाई नहीं की, लेकिन उन्होंने इसकी जगह संकल्प लिया कि यदि पाकिस्तानी सेना आतंकवादी समूहों का समर्थन करना बंद नहीं करती है तो वह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने के लिए कदम उठाएंगे. उसने कहा कि वह 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द करने पर विचार कर रहे हैं जो सिंधु नदी के जल पर पाकिस्तान के अधिकारों की रक्षा करती है. समाचार पत्र ने कहा कि वह व्यापार में सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा भी पाकिस्तान से वापस ले सकते हैं. पाकिस्तान को 1996 में यह दर्जा दिया गया था जिसका उसने कभी प्रतिफल नहीं दिया.