सरोना में कचरा डम्पिंग से आक्रोश, कांग्रेस संग वार्डवासियों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
छत्तीसगढ़ 13 अगस्त 2016 (जावेद अख्तर). सरोना में रोजाना शहर भर से सैकड़ों ट्रक कचरे की डम्पिंग का विरोध शुरू हो गया है। शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की अगुवाई में आज वार्ड 70 के पार्षद एवं जोन अध्यक्ष सोमन लाल ठाकुर के साथ सैकड़ों की संख्या में वार्ड की महिलाओं, पुरुषों व बच्चों ने सरोना से कचरा डम्पिंग स्थल को हटाने लेकर धरना दिया।
कांग्रेस शहर अध्यक्ष विकास उपाध्याय ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार के मंत्री एवं रायपुर पश्चिम विधायक राजेश मूणत के रवैय्ये से सैकड़ों सरोनावासियों को नरकीय जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है। राज्य में भाजपा की सरकार ने रायपुर शहर के कचरे को एकत्रित कर नष्ट करने का प्लांट लगाने सरोना में स्थान निश्चित किया है जिसका विरोध शुरू से वार्डवासियों के साथ कांग्रेस भी करती आ रही है। वहीं अब कचरे की डम्पिंग निजी खेतों में की जाने लगी है। जिससे विरोध स्वरूप धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया गया है। वहीं एनजीटी ने भी समझाइश दी और रिहाईशी बस्ती से हटाने का आदेश तक दिया है परंतु राज्य सरकार व जिला प्रशासन अपनी मनमानी जारी रखते हुए कचरे की डम्पिंग सरोना रिहाईशी बस्ती के बीच में ही करने से बाज़ नहीं आ रही।
ढाई वर्ष में नहीं लग सका प्लांट -
सरोना में रोजाना सैकड़ों टन कचरा जमा तो किया जाता है लेकिन उसे नष्ट करने का प्लांट ढाई वर्ष बीतने के बाद भी आज तक लगाया नहीं गया और अभी तक तो प्लांट के फ्रेम तक का अतापता नहीं है। राजधानी का वार्ड क्रमांक 70 सरोना जो कि ननि के दायरे में आने के बावजूद भी विकास के नाम पर शून्य ही रहा था। वर्तमान पार्षद द्वारा अवश्य कार्य करवाए जा रहें हैं जिससे हालात पहले से तो बेहतर है परंतु अभी भी बहुत सारी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। ऐसे में छग सरकार के तुगलकी फरमान ने सरोनावासियों की जिंदगी को मवेशियों की जिंदगी से भी बदतर हालत में पहुंचा दिया है। पहले ही क्या कम मुसीबतें थी कि राज्य सरकार ने तानाशाही करते हुए यहां पर कचरे का ट्रेचिंग ग्राउंड बना दिया और ढाई वर्ष बीतने के बाद भी न ही प्लांट का पता है और न ही अगले ढाई वर्ष में प्लांट लगने की संभावना ही दिखाई दे रही है। खुले मैदान में कचरे के साथ ही मेडिकल वेस्ट व मानव अंगों तक को फेंक दिया जा रहा है, राज्य सरकार की हिटलरशाही से सरोनावासियों को खतरनाक व जानलेवा बीमारियां उपहार स्वरूप मुफ्त में मिल रही है।बरसात के दिनों में एकत्रित कचरे के कारण पूरी बस्ती में डायरिया, मलेरिया, हैजा, अस्थमा, नपुंसकता, चर्मरोग, कैंसर जैसी भयावह व संक्रमित बीमारियों ने पैर पसार दिया है।
हद खत्म करते हुए राज्य सरकार व जिला प्रशासन मनमानी से अब सरोना क्षेत्र में निजी जमीनों पर भी कचरा डम्पिंग करा रहा है, जिसका विरोध यहां के भू-स्वामी लगातार कर रहे, मुख्यमंत्री, मंत्री व कलेक्टर तक फरियाद लेकर गए लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। कचरे में आग से एक महिला की मृत्यु - सरोना के ट्रेचिंग ग्राउंड में पिछले साल लगी आग की चपेट में आने से वयोवृद्ध महिला की आसामायिक मृत्यु पहले ही हो चुकी है। जिस पर भी बहुत हो हंगामा हुआ था, तब राज्य सरकार ने जल्द से जल्द ट्रेचिंग ग्राउंड हटाने का आश्वाासन दिया था बावजूद इसके आज भी ट्रेचिंग ग्राउंड सरोना में ही स्थित है।
एनजीटी के आदेशों की अवहेलना -
भूपेंद्र सिंह सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के मामले छत्तीसगढ़ में देखते हैं। उन्होंने बताया कि एनजीटी के आदेशों को छग राज्य सरकार नहीं मानती है क्योंकि आदेश के बाद भी लगातार दो वर्षों से अवहेलना करती आ रही है और आज भी कर रही है व मनमानी करने पर उतारू है। राजधानी समेत औघोगिक संयंत्रों के मामले में एवं वायु व जल प्रदूषण पर भी एनजीटी द्वारा दिए गए आदेशों को नहीं मान रही है। खारून नदी, मेडिकल वेस्ट, हरियाली व हरियर छत्तीसगढ़ जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं पर सरकार की ढुलमुल सुस्त कार्यशैली, भर्राशाही व लापरवाही पर एनजीटी ने खासी नाराज़गी जताते हुए समझाइश भी दे चुकी है मगर राज्य सरकार अपनी अनैतिक कार्यप्रणाली व मनमानियों से बाज नहीं आ रही है और एक के बाद एक करके एनजीटी के सभी आदेशों को रद्दी समझ डस्टबिन में डाल दे रही है। बरसात के दिनों में सरोना ट्रेचिंग ग्राउंड से होकर बहने वाले नाले का पानी भी खारून नदी में जाकर मिलता है जिसके कारण खारून नदी का पानी दूषित एवं जहरीला हो गया है। खारून नदी का पानी रायपुर एवं दुर्ग जिले में पीने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
राज्य सरकार प्रदूषण से चिंतामुक्त -
सरोना में घरों, होटलों, बाजारों से निकलने वाले कचरे के साथ मेडिकल वेस्टेज एवं कटे हुए मानव अंगों एवं मृत पशुओं को भी वहां पर अनैतिक तरीके से डम्पिंग किया जा रहा। जबकि मेडिकल वेस्टेज को खुले में रखना ही पूरी तरह प्रतिबंधित है। परंतु इसकी चिंता से यहां के बड़े प्राइवेट व सरकारी अस्पताल, नगर निगम, पर्यावरण विभाग व राज्य सरकार पूर्णत: चिंतामुक्त है। शहर भर के छोटे मुकड़ों एवं वार्डों से कचरा एकत्रित कर सरोना डम्पिंग स्थल तक लाने सैकड़ों ट्रकें दिन भर सरोना की घनी बस्ती से होकर गुजरती है और इन ट्रक, हाइवा व डम्परों की रफ्तार बहुत अधिक रहती है, जिसके कारण यहां पर लगातार दुर्घटनायें भी हो रही है। इन बेलगाम ट्रकों से तीन लोगों की मौत तक हो चुकी है मगर फिर भी राज्य सरकार व जिला प्रशासन पूर्णत: चिंतामुक्त है।
आठ वर्षों से अवैध ईंट भट्ठे से त्रस्त सरोनावासी -
सरोना ढाई वर्ष से कचरे ट्रेचिंग ग्राउंड से हलाकान है परंतु यहां के क्षेत्रवासी पहले से यानि विगत आठ वर्षों से अवैध ईंट भट्ठे के संचालन से त्रस्त है और इस भट्ठे ने पहले से ही सरोना क्षेत्र की हालत कांजी हाउस जैसी कर रखी है। पहले तो रसूख व धनबल पर उपजाऊ खेतों से मिट्टी निकाल ली गई, वो भी एक दो फीट गहराई तक नहीं बल्कि दस से बारह फीट गहराई तक खोद दिया गया और फिर इन गहरे गढ्ढों को भरने के लिए भट्ठे से निकलनी वाली डस्ट को उपजाऊ खेतों में भर दिया गया जिससे अब यहां की लगभग सत्तर फीसदी खेत बंजर हो चुके हैं। पूरे क्षेत्र में चारों ओर भट्ठे का डस्ट व चीमनियों से निकलने वाले जहरीले धुंए की परत दिखाई पड़ती है। इसका पुरजोर विरोध सरोनावासी विगत आठ वर्षों से लगातार करते आ रहें हैं मगर आज तक न ही राज्य सरकार कुम्भकर्णीय नींद से बाहर आ पाई और न ही जिला प्रशासन। प्रदेश में शासन व प्रशासन व्यवस्था कितने बेहतरीन कार्य कर रही है इससे समझ सकतें हैं।
भट्ठा संचालक सरकार का करीबी -
सूत्रों के मुताबिक सरोना में अवैध ईंट भट्ठे का संचालक भाजपा सरकार का काफी करीबी है और विगत आठ वर्षों से अच्छा खासा चंदा भी पार्टी को देता है इसीलिए सैकड़ों सरोनावासियों की ज़िंदगियों पर भट्ठा संचालक हावी रहा है। जबकि आठ वर्षों से लगातार इस भट्ठे का विरोध सैकड़ों महिला व पुरूषों द्वारा किया जा रहा है। नगर निगम, पर्यावरण विभाग, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, संत्री, मीडिया तक में शिकायतें की गई मगर इस जहरीले व जानलेवा ईंट भट्ठे पर लगाम नहीं लगाया जा सका है और आज भी यह ईंट भट्ठा चल रहा है। सरकार, मुख्यमंत्री, मंत्री, जिला प्रशासन व अधिकारियों के मुंह पर कालिख है। मगर राज्य सरकार, मुखिया, मंत्री व अधिकारी इस कालिख से प्रसन्न है और स्वंय को गौरवंतित महसूस करते होंगें। इसीलिए आज तक कार्यवाही नहीं की गई है।
प्रदर्शनकारियों ने दी चेतावनी -
उपस्थित प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर सरोना से कचरा डम्पिंग स्थल हटाने कि मांग की अन्यथा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। धरने में बड़ी संख्या में वार्डवासियों सहित विकास उपाध्याय, आनन्द चोपकर, कन्हैया अग्रवाल, राजू यादव, सालिक राम शर्मा, सोमन ठाकुर, मनोहर महाराज, ऋषि चोपकर, अब्दुल हकीम, भूपेंद्र सिंह, पंकज दास, अजय कुमार, दीपक अग्रवाल, दीपक यदु, अशोक ठाकुर, अनिल गिलरे, मुन्ना एवं बड़ी संख्या में सरोना वार्डवासी उपस्थित थे।