बिलासपुर - भ्रष्टाचार से तंग आम नागरिक ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका
बिलासपुर 28 फरवरी 2016 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ प्रदेश में भ्रष्टाचार इतना अधिक बढ़ चुका है कि आम आदमी बुरी तरह त्रस्त है। स्मार्ट सिटी का लालीपाप भी झूठा साबित हो गया है। जनता का आरोप है कि राज्य सरकार प्रदेश में विकास का ढोल पीटती है पर उसके अधिकारियों को भ्रष्टाचार की लत लग चुकी है जिसके चलते कई हादसे हो चुके हैं और कई बेगुनाहों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है। बावजूद इसके विभाग के मंत्री आज तक बेसुध हैं, जिससे त्रस्त हो कर एक आम नागरिक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडब्ल्यूडी विभाग में भ्रष्टाचार का यह आलम है कि भ्रष्टाचार से त्रस्त हो कर लोक निर्माण विभाग के खिलाफ एक आम नागरिक मनीशंकर पाण्डेय ने हाईकोर्ट में याचिका ठोक दी है । जानकारी के अनुसार इन सभी मामलों में याचिका दायर की गई -
1. अभी चंद दिनों पहले उच्च न्यायालय बिलासपुर में हाईकोर्ट के निर्माणाधीन बिल्डिंग गिरने, जिसमें 1 इंजीनियर की मौत हो गई और 15 से अधिक मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए।
2. शहर में पिछले आठ सालों से नगर निगम बिलासपुर के द्वारा सिवरेज के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
3. गौरवपथ निर्माण में भी गुणवत्ता विहीन कार्य कर भ्रष्टाचार किया गया, वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री रमन सिंह के द्वारा विकास यात्रा के दौरान गौरवपथ का उद्घाटन किया गया मगर तीन साल में ही पूरा का पूरा गौरवपथ ही भसक गया, गौरवपथ बड़े व छोटे गड्ढों में तब्दील हो गया और तीन वर्ष में तीन बार मरम्मत कार्य अन्य ठेकेदारों से कराया जा चुका है।
4. देश व प्रदेश के इतिहास में एक ऐसे पुल का निर्माण कराया गया जोकि बनने के साथ ही दरक गया, तुर्काडीह में अरपा नदी पर पुल का निर्माण वर्ष 2007 में पीडब्ल्यूडी द्वारा कराया गया था, अरपा पुल का पाया (पिलर्स) तो बनाया गया परंतु सभी पिलर्स का अन्दरूनी हिस्सा पूरा पोला यानि खोखला है। इस तरह आम जनता के जान माल के साथ खिलवाड़ किया गया।
बताते चलें कि सभी मामलों मे ठेकेदारों, संबंधित अधिकारियों व ब्यूरोक्रेसी की मिलीभगत से जबर्दस्त तरीके से करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया है, आरोपों के अनुसार पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री इतने अधिक लापरवाह व गैर जिम्मेदार हो चुके हैं कि उन्हें प्रदेश की आम जनता की जिंदगी से कोई सरोकार नहीं रह गया है। इन सभी की तानाशाही व भ्रष्टाचार से तंग आकर ही इन सभी मामलों को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी गई है। याचिकाकर्ता मनीशंकर पाण्डेय ने बताया कि याचिका में भ्रष्टाचार के इन सभी मामलों में उच्च स्तरीय जांच, केंद्रीय जांच एजेंसी या स्वयं न्यायालय अपने अन्तर्गत एसआईटी का गठन कर अपनी निगरानी में जांच कराने की मांग माननीय उच्च न्यायलय से की गयी है। ताकि आम जनता के धन का दुरूपयोग करने की कीमत इन सभी भ्रष्टाचारियों को चुकानी पड़े। याचिकाकर्ता मनीशंकर पाण्डेय ने आम जनता से अपील भी की है कि भ्रष्टाचार के मामलों को अनदेखा न करें बल्कि मामले को न्यायालय में ले जाएँ। दस बीस भ्रष्टाचार के मामले न्यायालय तक पहुंच गये तो इन सभी भ्रष्टाचारियों को नानी याद आ जाएगी। ताकि भ्रष्टाचार करने से पहले सौ बार सोचें।