रायपुर - 8 विधायकों के खरीद फरोख्त मामले की पूरी हुई जांच, अजीत जोगी पर आ सकती हैं आंच ?
छत्तीसगढ़ 7 जनवरी 2016 (जावेद अख्तर). रायपुर। विधायक खरीद-फरोख्त मामले में सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है और जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत ने अगली तारीख तय कर दी है। लगभग ढाई साल पहले सीबीआई ने सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी जिस पर प्रार्थी वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय की ओर से आपत्ति दर्ज की गई थी। इसके बाद अदालत ने सीबीआई को पांच बिन्दुओं पर जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद अदालत क्लोजर रिपोर्ट मंजूर या नामंजूर करने पर फैसला सुना सकती है।
जांच के लिए टेलीफोनिक रिकॉर्डिंग डिवाइस के तीन बिन्दु तय किए गए। इन बिन्दुओं पर जांच के बाद सीबीआई को 19 मार्च 2014 तक रिपोर्ट पेश करने का समय दिया गया था। लेकिन अब जाकर सीबीआई की जांच पूरी हुई है। जबकि गुप्त सूत्रों के मुताबिक सीबीआई को कई ऐसे प्रमाण मिले थे जिससे कि जोगी की भूमिका स्पष्ट हुई थी मगर 9 वर्षों के लंबे समय अंतराल के बाद ही जांच रिपोर्ट पेश की थी।
परंतु इस जांच रिपोर्ट से वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय सहमत नहीं थे और उन्होंने जांच रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज करा दी थी। उनका कहना था कि सीबीआई ने बहुत सारे सबूतों को अनदेखा कर रिपोर्ट पेश कर दी थी इसलिए जांच पुनः से कराई जानी चाहिए। जिसके बाद न्यायालय ने पुनः से जांच के आदेश दिए थे। समय सीमा के लगभग डेढ़ वर्ष अधिक होने के बाद अब जाकर सीबीआई ने जांच रिपोर्ट पेश की है। उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12, सहपठित धारा 120 बी 34 के तहत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, उनके पुत्र अमित जोगी, पूर्व सांसद पीआर खुंटे और उनके पुत्र ओमप्रकाश खुंटे आरोपी हैं।
क्या हुआ था ?
जोगी सरकार का कार्यकाल खत्म हुआ और आम चुनाव में भाजपा जीती थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर आरोप लगा था कि उन्होंने भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की थी। जिसकी जांच में 45 लाख रुपए नगद भी बरामद किए गए थे। दरअसल जोगी चाहते थे कि भाजपा अपनी सरकार न बना सके और कांग्रेस को दुबारा से सरकार बनाने का ख्वाब पूरा हो सके। क्योंकि 8 भाजपा विधायकों के टूटने से भाजपा बहुमत सिद्ध नहीं कर पाती और कांग्रेस को मौका मिलता। मगर वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने घेराबंदी कर जोगी के मंसूबे पर पानी फेर दिया। जोगी को कांग्रेस से निष्कासन का दर्द भी झेलना पड़ा और पूरे प्रदेश में जोगी परिवार की जमकर किरकिरी भी हुई।
जोगी सरकार का कार्यकाल खत्म हुआ और आम चुनाव में भाजपा जीती थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर आरोप लगा था कि उन्होंने भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की थी। जिसकी जांच में 45 लाख रुपए नगद भी बरामद किए गए थे। दरअसल जोगी चाहते थे कि भाजपा अपनी सरकार न बना सके और कांग्रेस को दुबारा से सरकार बनाने का ख्वाब पूरा हो सके। क्योंकि 8 भाजपा विधायकों के टूटने से भाजपा बहुमत सिद्ध नहीं कर पाती और कांग्रेस को मौका मिलता। मगर वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने घेराबंदी कर जोगी के मंसूबे पर पानी फेर दिया। जोगी को कांग्रेस से निष्कासन का दर्द भी झेलना पड़ा और पूरे प्रदेश में जोगी परिवार की जमकर किरकिरी भी हुई।