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बीएचयू के ट्रामा के उद्घाटन का ड्रामा, इतने पैसों से जनता को मिल जाता एक और ट्रामा

वाराणसी 16 जुलाई 2015 (आलोक कुमार श्रीवास्तव). प्रधानमन्त्री के वाराणसी में 16 जुलाई को प्रस्तावित दौरे की तैयारियों पर जिस प्रकार पानी की तरह पैसा बहाया गया उससे तो अच्छा होता कि बीएचयू के बहुप्रतीक्षित ट्रामा सेन्टर का उदघाटन प्रधानमन्त्री अपने दिल्ली के कार्यालय से कर देते। ट्रामा सेन्टर के उदघाटन के नाम पर कार्यकर्ता सम्मलेन किया जाना, वो भी सूत्रों की माने तो लगभग 25 करोड़ खर्च करके। ये निश्चित तौर पर जनता के पैसे की बर्बादी है।
बताते चलें कि डीएलडब्ल्यू के जिस मैदान पर कार्यकर्ता सम्मलेन की तैयारी की गयी है उस मैदान में वाटर प्रूफ पण्डाल बनाया गया है जिसमें लगभग एक दर्जन एलईडी प्रोजेक्टर लगाये गए हैं। जिनका साउंड सिस्टम ऐसा है कि अच्छे थियेटर को भी मात दे दें। कार्यकर्ताओं के बैठने के स्थान पर ईंट बिछाकर उसके ऊपर प्लाई लगाकर समतल करने के बाद उस पर मैटिंग बिछाई गयी है। मैदान में बने पण्डाल में बारिश का पानी  निकलने के लिए पाइप लाईन बिछाई गयी व मोटर पम्प लगाया गया है जिससे पानी को बाहर निकाला जा सके। मंच पर एसी की व्यवस्था की गयी थी और उसके ठीक बगल में सेफ हाउस बनाया गया था। इसी मंच से प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से शहरी सशक्तिकरण हेतु इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम का शुभारम्भ किया जाना था। वहीँ मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी को ध्यान में न रखते हुए भी प्रधानमन्त्री का कार्यक्रम 16 जुलाई को रखा गया जबकि मौसम वैज्ञानिकों ने वाराणसी व उसके आस पास भारी बरसात की चेतावनी दी थी। उसके बाद भी मोदी के कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाई गयी। वहीं आज भाजपा के पदाधिकारियों ने जहाँ एक और ख़राब मौसम का हवाला देते हुए प्रधानमन्त्री के कार्यक्रम को रद्द किये जाने की सूचना दी वहीं दूसरी ओर केन्द्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने प्रधानमन्त्री का दौरे के स्थगित होने के बाद सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों से बताया कि एक मजदूर की करेन्ट लगने से मृत्यु हो जाने के कारण अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए वाराणसी का दौरा रद्द कर दिया है। साथ ही बताया कि केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार ने वार्ता कर मृत मजदूर को पॉवर कारपोरेशन की ओर से साढ़े सात लाख की तात्कालिक सहायता राशि दिए जाने व शव को उसके परिजनों तक भेजे जाने का प्रबन्ध किया जा रहा है और प्रदेश सरकार ने मजिस्ट्रेट जाँच के आदेश दिए हैं। प्रधानमन्त्री के इंतज़ार में काशी की जनता आस लगाए बैठी थी कि मोदी वाराणसी आएंगे तो काशी की जनता को इसका लाभ मिलेगा परन्तु न तो मोदी जी आये और न ही इसका लाभ जनता को मिल सका बल्कि उनके आगमन कि तैयारी में लगे पश्चिम बंगाल के एक मजदूर की बिजली का करेन्ट लगने से मृत्यु हो गयी। पर जिले में भाजपा के तीन विधायक, महापौर व तीन विधान परिषद सदस्यों के होने के बाद भी किसी ने मजदूर की मौत पर अपनी संवेदना तक व्यक्त करने की जहमत तक नहीं उठाई। जबकि प्रधानमन्त्री ने अपना दौरा रद्द करते हुए मजदूर की मृत्यु पर अपनी संवेदना व्यक्त की है। बताते चलें कि कांग्रेस पार्टी के स्‍थानीय विधायक ने मौके का पूरा राजनैतिक लाभ लेते हुये ट्रामा सेन्टर के आज ही उदघाटन करने की घोषणा करते हुए मृत मजदूर के परिवार को एक करोड़ की आर्थिक सहायता व राज्य व केंद्र सरकार द्वारा उसके परिवार को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है।