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'आप' में गृहयुद्ध, प्रशांत भूषण का 'लेटर बम' से हमला

नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी में अंदरूनी कलह और उठा पटक तेज होने के बीच प्रशांत भूषण ने पार्टी को एक चिट्ठी लिखकर अपना विरोध जताया है। भूषण की चिट्ठी में पार्टी के फैसलों का विरोध और उनकी असहमति साफ दिखाई दे रही है। चिट्ठी यह बताने के लिए भी काफी है कि पार्टी के भीतर योगेंद्र यादव और खुद भूषण को लेकर विवाद अंतिम दौर में पहुंच चुका है।
भूषण ने पार्टी को एक व्यक्ति (अरविंद केजरीवाल) पर केंद्रित बताते हुए चिट्ठी में लिखा, 'पार्टी ने अपने सभी अकाउंट को वेबसाइट पर जारी करने की बात की थी, लेकिन आरटीआई के अंतर्गत आने के बहुत बाद में भी हम ऐसे नहीं कर सके हैं। हमने चंदे के बारे में तो बता दिया लेकिन खर्च कितना किया, यह अभी भी पर्दे में है।' सीनियर ऐडवोकेट ने अपने पत्र में 2 साल पहले 30 सदस्यों की एक्सपर्ट कमेटी का भी जिक्र किया है, जो पार्टी की नीतियों को तय करने लिए बनाई गई थी। उन्होंने लिखा है कि कमेटी ने 18 महीने पहले अपनी रिपोर्ट भी दे दी लेकिन अभी तक उसे औपचारिक रूप नहीं दिया जा सका है क्योंकि हम में से कुछ लोगों के पास वक्त ही नहीं है। प्रशांत भूषण ने AAP की राष्ट्रीय पार्टी बनने की चाहत पर भी हमला बोला और लिखा कि हम राष्ट्रीय दल बनें इससे पहले देश के अहम मुद्दों पर हमारी सोच का स्पष्ट होना भी जरूरी है। फंड्स को लेकर सवाल उठाते हुए भूषण ने लिखा है कि हम अभी तक फंड्स के खर्च को लेकर न ही कमिटियों को सशक्त बना सके हैं और न ही निर्णय लेने की प्रणाली विकसित कर सके हैं। पार्टी के सभी फैसलों को व्यवस्थित और लोकतांत्रिक तरीके से लिए जाने पर भी भूषण ने जोर दिया है। AAP की नैशनल एग्जेक्युटिव और पीएसी की बैठकें लगातार हों इसकी भी मांग उन्होंने की है। भूषण ने लिखा है कि हाल ही में हुई पीएसी की बैठकों के लिए कुछ सदस्यों को सूचित ही नहीं किया गया। भूषण ने सिद्धांतों का हवाला देते हुए पत्र में लिखा कि हमारी पार्टी आदर्शवाद, एक मिठास और हजारों कार्यकर्ताओं के आंसुओं से बनी है। कार्यकर्ताओं ने एक अलग पार्टी बनाने के लिए बहुत कुछ कुर्बान किया है। प्रशांत भूषण के साथ ही पार्टी की पीएसी में विरोध झेल रहे योगेंद्र यादव ने भी अपने फेसबुक पेज पर टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है, 'पिछले दो दिन से प्रशांत और मेरे बारे में चल रही खबरें सुन रहा हूं, पढ़ रहा हूं, नई-नई कहानियां गढ़ी जा रही हैं, आरोप मढ़े जा रहे हैं, षड्यंत्र खोजे जा रहे हैं। ये सब पढ़कर हंसी भी आती है और दुख भी होता है।' योगेंद्र ने कहानियों को मनगढ़ंत और बेतुका बताते हुए लिखा है कि कहानी गढ़ने वालों के पास टाइम कम होगा और कल्पना ज्यादा लेकिन, इन आरोपों और कहानियों की नीयत को देखकर दुख होता है। योगेंद्र ने लिखा है, 'जनता ने हमें इतनी बड़ी जीत दी है। आज का वक्त बड़ी जीत के बाद, बड़े मन से, बड़े काम करने का है। देश को हमसे बहुत उम्मीद है। मैं यही अपील कर सकता हूं कि हम अपनी छोटी हरकतों से अपने आप को और इस आशा को छोटा न होने दें।'

(IMNB)