आतंकवाद पर लगाम कसे पाकिस्तान: मुफ्ती मोहम्मद सईद
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए
पाकिस्तान की तारीफ वाला विवादित बयान देने वाले मुख्यमंत्री मुफ्ती
मोहम्मद सईद ने अब आतंकवाद पर पाक को सख्त लहजे में चेताया है। कठुआ और
सांबा में हुए आतंकी हमलों को शांति की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की
साजिश करार देते हुए मुफ्ती सईद ने रविवार को कहा कि अगर पाकिस्तान शांति
और सौहार्द चाहता है तो उसे आतंकवाद पर नियंत्रण रखना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर
विधानसभा ने रविवार को सांबा और कठुआ में हुए आतंकी हमलों के खिलाफ
प्रस्ताव पारित किया । इस प्रस्ताव में आतंकी हमलों की निंदा करते हुए भारत
सरकार से गुजारिश की गई है कि इस मुद्दे को पाकिस्तान के साथ उठाया जाए। रविवार
को मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आतंकी हमलों की निंदा करते हुए कहा
कि पाकिस्तान अगर भारत से दोस्ती चाहता है, तो उसे राज्य में शांति लाने के
प्रयास में मदद करनी होगी। उन्होंने कहा, 'यह क्षेत्र की शांति व्यवस्था
बिगाड़ने की साजिश है। पाकिस्तान को ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों से कहना
होगा कि वे ऐसे हमले करना बंद करें।'मुफ्ती ने कहा, '2003 के बाद राज्य
में शांति देखी गई थी। वैसी ही शांति जम्मू-कश्मीर में लौटेगी। वही शांति
बहाल होगी और जो ताकतें ऐसे हमले कर रही हैं, उन्हें इस सदन से एक पैगाम
भेजा जाना चाहिए। पाकिस्तान खुद भी पीड़ित है और उनके प्रधानमंत्री कहते
हैं कि वह इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं कर सकते।' मुफ्ती ने कहा,
'आतंकवाद से लड़ने के लिए, इसे नियंत्रित करने के लिए हमारे पास दृढ़
इच्छाशक्ति और एक दृढ़ संकल्प है। यदि वह शांति चाहते हैं तो उन्हें उनको
नियंत्रित करना होगा।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति
परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल के दौरान सीमा और नियंत्रण रेखा के दोनों ओर
'शांति कायम रही'। मुख्यमंत्री ने सीमा पार के आतंकियों को 'राज्येतर
तत्व' करार देते हुए पूछा, 'कराची के गिरजाघरों पर हमले करने वाले कौन लोग
हैं? पेशावर में हमले किसने किए? लखवी कौन है?' मुफ्ती ने कठुआ स्थित पुलिस
चौकी पर हुए हमले के लिए शुक्रवार को राज्येतर तत्वों को जिम्मेदार ठहराया
था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 48 घंटों में जो आतंकी हमले कठुआ और
सांबा में हुए, उनमें कुछ भी नया नहीं है क्योंकि ऐसे हमले लंबे समय से
होते आए हैं। मुफ्ती ने यह भी कहा कि पाकिस्तान खुद भी आतंकवाद से
पीड़ित है। उन्होंने कहा, 'आतंकियों को इस्लाम नहीं पढ़ाया जाता। मैं नहीं
जानता कि उन्हें ऐसा क्या पढ़ाया जाता है कि वे जाकर लोगों की हत्या कर
देते हैं। जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था, तब
उन्होंने जम्मू के रघुनाथ मंदिर पर हमला किया था।।' उन्होंने कहा कि पिछले
दो से तीन सालों में ऐेसे हमले होते आए हैं। यहां तक कि सीमा पर सिर भी
काटे गए हैं। कांग्रेस के विधायक दल के नेता नवांग रिग्जिन जोरा ने
मुख्यमंत्री से इस बात पर स्पष्टीकरण देने की मांग की कि आखिर आतंकियों को
'राज्येतर तत्व' क्यों कहा जाए? जोरा ने मुफ्ती से पूछा, 'आप आतंकियों को
राज्य से अलग तत्व क्यों कहते हैं?' मुफ्ती ने जवाब दिया, 'जो चर्चों पर
हमले करते हैं, जिन्होंने पेशावर पर हमला किया, लखवी....ये सब कौन हैं?' गौरतलब
है कि जम्मू के कठुआ जिले में सेना की वर्दी पहने आतंकवादियों के एक
फिदायीन दल ने शुक्रवार सुबह एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया था, जिसमें तीन
सुरक्षाकर्मियों समेत चार लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले में 10 अन्य लोग
घायल हो गए थे। शनिवार को आतंकियों ने सांबा में सेना के कैंप पर हमला
किया था। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद वित्त मंत्री को वित्त वर्ष
2015-16 का बजट पेश करना था, लेकिन नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने
शुक्रवार और शनिवार को हुए आतंकवादी हमले को लेकर प्रस्ताव की मांग की।
विधानसभा अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता ने स्थिति को नियंत्रण में लेने का प्रयास
किया, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। सीएम मुफ्ती ने विपक्ष से कहा कि अगर
वे सदन की गरिमा का सम्मान करते हैं, तो उन्हें कार्यवाही बाधित नहीं करनी
चाहिए। इन आतंकी हमलों के बाद सीएम की ओर से दिया गया यह पहला बयान है।
सरकार के गठन के तुरंत बाद विवादास्पद बयान देने के लिए उनकी आलोचना हुई
थी। उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव का पाकिस्तान, आतंकियों और
अलगाववादियों ने चुनाव का माहौल बनाया था।
IMBN