BJP की आंतरिक कलह ने बढ़ाईं शाह की मुश्किलें
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर रहे हैं। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं के बीच मतभेद और अहम को लेकर चल रही लड़ाई के कारण कैंपेनिंग और टिकट बंटवारे में दिक्कत हो रही है। मतभेद दूर करने के लिए शाह स्टेट यूनिट में आरएसएस के प्रमुख नेताओं की सेवाएं लेने को मजबूर हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में राज्य इकाई के ज्यादातर वरिष्ठ नेता किसी एक को लेकर रजामंद नहीं हैं और बीजेपी ने मुख्यमंत्री कैंडिडेंट का नाम तय नहीं करने का फैसला किया है।
सूत्रों का कहना है कि कई नेता दूसरों को धौंस देने की कोशिश कर रहे हैं। विधानसभा चुनावों में यह सारी चीजें बीजेपी की संभावनाओं पर असर डाल सकती हैं, इससे चिंतित अमित शाह ने दिल्ली के संगठन मंत्री विजय शर्मा से इन नेताओं से बात करने और इन्हें एक-दूसरे के खिलाफ काम करने से रोकने के लिए कहा है। बीजेपी को दिल्ली में आम आदमी पार्टी अच्छी टक्कर दे रही है, ऐसे में आपसी संघर्ष इसके चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। शर्मा बीजेपी की दिल्ली यूनिट में आरएसएस के प्रतिनिधि हैं, ऐसे में उनका अच्छा दबदबा है।
दिल्ली यूनिट के एक नेता ने बताया, 'अमित शाह को लोकसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा, जहां कुछ लोकसभा क्षेत्रों में दिग्गज नेताओं ने पार्टी के भीतर अपने प्रतिस्पर्धी को मात देकर टिकट पाने की हर कोशिश की।' पार्टी सूत्रों का कहना कि शाह अपना होमवर्क करने, अपने पार्टी नेताओं की मजबूती और कमजोरी का गहन विश्लेषण करने, हर ग्रुप को ध्यानपूर्वक सुनने और इसके बाद अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि शाह नेताओं को यह बताएंगे कि उनके होमवर्क में वह कहां ठहरते हैं और विधानसभा क्षेत्र में दूसरे उम्मीदवारों के मुकाबले उनकी पकड़ कैसी है।
बीजेपी में आपसी मतभेद का एक नजारा उस समय देखने को मिला, जब आम आदमी पार्टी के चीफ अरविंद केजरीवाल ने 14 जनवरी को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली बीजेपी प्रेजिडेंट सतीश उपाध्याय और जनरल सेक्रेटरी आशीष सूद के खिलाफ दस्तावेज बीजेपी के एक सीनियर लीडर ने दिए हैं।
अगर पार्टी को दिल्ली में बहुमत मिलता है तो हर्षवर्द्धन, विजय गोयल, जगदीश मुखी और अब किरण बेदी उन लोगों में शामिल हैं, जो चीफ मिनिस्टर बनने के लिए हाथ आजमा सकते हैं। बीजेपी में टिकट बंटवारे में होने वाली देरी के लिए आंतरिक कलह ही जिम्मेदार है। जहां आप ने अपने सभी कैंडिडेट्स घोषित कर दिए हैं। वहीं, कांग्रेस ने भी 70 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर में अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि इस कारण से बीजेपी का कैंपेन रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।